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गाजियाबाद स्थित वृद्ध आश्रम में वृद्धों को मिल रहा प्यार और अपनापन,बुजुर्गों की मां का फर्ज निभा रही इंद्रेश - Ghaziabad Duhai old age home - GHAZIABAD DUHAI OLD AGE HOME

Ghaziabad old age home (Mothers Day Special) :गाजियाबाद दुहाई स्थित आवासीय वृद्ध आश्रम में सौ से ज्यादा की संख्या में रह रहे बुजुर्गों को यहां प्यार और अपनापन का ऐसा महौल मिल रहा है. जिसकी कल्पना इन लोगों ने अपने परिवार से भी नहीं की थी. इस लिए यहां रहने वाले बुजुर्ग महिलाएं और पुरूष इसे अपने घर से बताते हैं. यहां आश्रम की अधीक्षिका इंद्रेश इन्हें अपने बच्चों की तरह ही इनका ख्याल रखती है.मदर्स डे पर आइए मिलवातें हैं इस अनूठी मां से...

वृद्ध आश्रम में वृद्धों को मिल रहा प्यार और अपनापन
वृद्ध आश्रम में वृद्धों को मिल रहा प्यार और अपनापन (ETV BHARAT REPORTER)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 11, 2024, 5:04 PM IST

वृद्ध आश्रम में वृद्धों को मिल रहा प्यार और अपनापन (ETV BHARAT REPORTER)

नई दिल्ली:मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है. इस साल रविवार, 12 मई 2024 को मदर्स डे मनाया जाएगा. दुनिया भर में मां के प्रति सम्मान और प्यार व्यक्त करने के लिए मदर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है. मदर्स डे पर हम आपको एक ऐसी मां की कहानी सुनाएंगे जो साल भर अपने बच्चों से दूर रहती है लेकिन 100 से अधिक बुजुर्गों की मां होने का फर्ज निभाती है. गाजियाबाद की दुहाई स्थित आवासीय वृद्ध आश्रम में उत्तर प्रदेश के हाथरस की रहने वाली इंद्रेश अधीक्षिका का के पद पर तैनात हैं.

आवासीय वृद्ध आश्रम में कुल 105 महिलाएं और पुरुष रहते हैं. इंद्रेश भी इसी आश्रम में रहती हैं. अपने परिवार से दूर रहकर इंद्रेश बुजुर्गों की सेवा करती हैं. विभिन्न परिस्थितियों के चलते बुजुर्ग आश्रम में रहने को मजबूर हैं. इंद्रेश बताती हैं कि हमारा फर्ज है कि बुजुर्गों को न सिर्फ सुख सुविधा उपलब्ध कराना बल्कि उनको आश्रम में एक परिवार जैसा माहौल देना ताकि उन्हें घर की याद ना आ सके और जिन परिस्थितियों में भी वह आश्रम आए हैं, उन तमाम परिस्थितियों को आसानी से भूल सके.
घर में जिस तरह से एक छोटा बच्चा सुबह उठते ही मां के पास दौड़ा चला आता है ठीक उसी तरह वृद्ध आश्रम में बुजुर्ग महिलाएं इंद्रेश के पास सुबह सुबह ही पहुंच जाती हैं. कोई महिला इंद्रेश को गले लगाती है तो कोई प्यार करती है. इंद्रेश बताती हैं कि मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मेरे मां-बाप तो नहीं है लेकिन मुझे ईश्वर ने एक ऐसा परिवार दिया है जिसमें कई मां-बाप हैं. यहां रहकर मुझे अपने मां-बाप की कमी महसूस नहीं होती.

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इंद्रेश बताती हैं कि आश्रम में तैनात सभी कर्मचारी परिवार की तरह सभी बुजुर्गों का ख्याल रखते हैं. जो भी नया कर्मचारी आश्रम में तैनाती लेता है उसको पहले ही समझाया जाता है कि भले ही एक काम काम कर लेना लेकिन किसी बुजुर्ग से कभी ऊंची आवाज से बात नहीं करना और उनसे बदत्तमीजी तो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी. आश्रम में रहने वाली वृद्ध महिला राजबाला बताती हैं कि हमें इस आश्रम जितना प्यार अपने घर में भी नहीं मिला. कई बार घर में हमने अपने बच्चों को हमारे ऊपर चिल्लाते हुए देखा है लेकिन आश्रम में कभी किसी ने हमसे ऊंची आवाज में बात और बदतमीजी तक नहीं की.

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