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नए जिलों और कॉलेजों के रिव्यू के फैसले पर भड़के गहलोत, कहा- मोदी की गारंटी की हवा निकाल रही भाजपा सरकार - Gehlot on govt Decision

राजस्थान में पिछले साल सत्ता संभालने के बाद भजनलाल सरकार पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की योजनाओं का रिव्यू करने की लगातार घोषणा कर रही है. इस पर बयान देते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार मोदी की गारंटी की हवा निकाल रही है, क्योंकि पीएम मोदी विधानसभा चुनाव से पहले कह रहे थे कि किसी भी योजना को बंद नहीं किया जाएगा.

नए जिलों और कॉलेजों का रिव्यू
नए जिलों और कॉलेजों का रिव्यू (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 13, 2024, 3:24 PM IST

जयपुर. राजस्थान में पिछले साल सत्ता संभालने के बाद भजनलाल सरकार पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की योजनाओं का रिव्यू करने की लगातार घोषणा कर रही है. अब भजनलाल सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के बनाए नए जिलों और खोले गए 300 से ज्यादा नए कॉलेजों के रिव्यू का फैसला लिया है. इस पर बयान देते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार मोदी की गारंटी की हवा निकाल रही है, क्योंकि पीएम मोदी विधानसभा चुनाव से पहले कह रहे थे कि किसी भी योजना को बंद नहीं किया जाएगा.
नए जिलों के सरकार के फैसले पर गहलोत ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट में लिखा कि "हमारी सरकार ने राजस्थान में नए जिले रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रामलुभाया की समिति की रिपोर्ट के आधार पर बनाए. राजस्थान में नए जिलों की सख्त आवश्यकता थी. क्षेत्रफल में राजस्थान से छोटे मध्य प्रदेश में 55 जिले हैं. छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में भी 33 जिले हैं. हमारी सरकार ने प्रशासनिक क्षमता बढ़ाने एवं सर्विस डिलीवरी को बेहतर करने के लिए नए जिले बनाए और वहां कलेक्टर, एसपी एवं अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों को तैनात किया."

जनता का भला देखेगी सरकार या राजनीतिक कारण :अपनी इसी पोस्ट में अशोक गहलोत ने आगे लिखा कि "राजस्थान की भाजपा सरकार ने मंत्रिमंडलीय उप-समिति बनाकर जिलों का रिव्यू करने का फैसला किया है. अब यह देखना होगा कि यह समिति राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों एवं विकास के हित को देखकर फैसला लेगी या फिर राजनीतिक कारणों से पिछली सरकार के फैसले को गलत साबित करने की मंशा से कार्य करते हुए राजस्थान की जनता के हितों को ताक पर रखेगी."

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कॉलेजों को बंद करने जा रही भाजपा सरकार :कांग्रेस सरकार के समय नई खोली गई 300 से ज्यादा कॉलेजों के रिव्यू के फैसले को लेकर अशोक गहलोत ने कहा कि "राजस्थान की भाजपा सरकार का 'मोदी की गारंटी' पर एक और प्रहार. अभी तक हम सबने सुना था कि सरकार का काम शिक्षा के नए संस्थान जैसे स्कूल और कॉलेज खोलकर विद्यार्थियों को उनके घर के पास ही शिक्षा उपलब्ध करवाना है. परन्तु राजस्थान की भाजपा सरकार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा खोले गए कॉलेजों को बन्द करने जा रही है."

नए कॉलेजों से कम हुई ड्राप आउट की दर :गहलोत ने कहा कि "मीडिया में भाजपा सरकार द्वारा तर्क दिए जा रहे हैं कि कुछ कॉलेजों की इमारतें अभी तैयार नहीं हैं. हमारी सरकार ने 303 कॉलेज खोले, जिनमें से करीब 250 कॉलेजों की इमारतों का निर्माण कार्य चल रहा है. यह तो कॉमन सेंस की बात है कि कॉलेज की घोषणा होने के बाद ही इमारत बनेगी. हमारी सरकार के दौरान कोविड से करीब 2 साल तो निर्माण कार्य ही अटके रहे. इन कॉलेजों में पढ़ाने के लिए RPSC के माध्यम से 2000 से अधिक सहायक प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई. अस्थायी आधार पर विद्या संबल योजना के तहत गेस्ट फेकल्टी लगाकर पढ़ाई करवाई जा रही थी. गांवों के पास ही नए कॉलेज खोलने का ही नतीजा था कि राजस्थान में पहली बार कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक हो गई थी और ड्रॉप आउट रेट कम हुआ था."

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कौन लोग हैं जो छवि खराब करने वाले फैसले ले रहे :अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि "प्रधानमंत्री विधानसभा चुनाव में गारंटी देकर गए थे कि हमारी सरकार की किसी योजना को बंद या कमजोर नहीं किया जाएगा. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार में पता नहीं ऐसे कौन लोग हैं, जो छवि खराब करने के लिए ऐसे फैसले कर रहे हैं, जिससे ये संदेश जाए कि राजस्थान की भाजपा सरकार 'मोदी की गारंटी' की हवा निकाल रही है और जनता का अहित करने वाले फैसले कर रही है."

NEET में गड़बड़ियों पर कही यह बात :NEET में गड़बड़ियों के आरोपों पर भी अशोक गहलोत ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा, 'NEET परीक्षा में हुईं गड़बड़ियों को लेकर आ रहीं सूचनाओं से यह स्पष्ट है कि यह पूरी परीक्षा संदेह के घेरे में है. परीक्षा करवाने वाली एजेंसी एनटीए की भूमिका ही संदेहास्पद है. यदि सरकार की अभ्यर्थियों के साथ न्याय करने की मंशा है तो NEET परीक्षा को लेकर जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए. अगर मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में ही ऐसी अनियमितताएं हो जाएंगी तो यह देश में मेडिकल सेवाओं के भविष्य पर सवालिया निशान लगा देगा.

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