कोटा :हाड़ौती के लहसुन उत्पादक किसानों की चांदी हो रही है और मंडी में उनके लहसुन को काफी अच्छे दाम मिल रहे हैं. यहां तक कि व्यापारियों को उम्मीद है कि दिवाली के बाद यह दाम और बढ़ जाएंगे, जहां पर अभी लहसुन के मामले में किसानों की चांदी हो रही है, यह सोने में बदल सकती है. व्यापारियों को उम्मीद है कि दिवाली के बाद दामों में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी होगी, यानी औसत दाम 25000 से बढ़कर 35 से 40 हजार प्रति क्विंटल के बीच में पहुंच जाएगी. दूसरी तरफ अप्रैल माह से अब तक किसान करीब 5 हजार करोड़ का लहसुन हाड़ौती की मंडियों में बेच चुके हैं. इसके साथ ही आने वाले 3 से 4 माह में करीब 1000 करोड़ का माल और किसान लहसुन का बेच देंगे.
एक से दो रुपए किलो बिकने वाली छरी 170 पर पहुंची :साल 2022 में जहां पर लहसुन के दाम काफी कम थे. ऐसे में छरी यानी लहसुन की कलियां महज 1 से 2 रुपए किलो बिक रही थी, जबकि आज की तारीख में यह छरी भी 170 रुपए किलो बिक रही है, यानी की दाम काफी ज्यादा बढ़ गए हैं. दूसरी तरफ अभी भी भारत में लहसुन की डिमांड बनी हुई है. आने वाले दिनों में सप्लाई कम होगी, इसलिए एक्सपोर्ट से भी अच्छे दाम भारत में ही मिल रहे हैं.
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औसत 25000 रुपए प्रति क्विंटल तक मिल रहा दाम :भामाशाह कृषि उपज मंडी के ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी का कहना है कि वर्तमान में नॉर्मल लहसुन के भाव 22 से 23 हजार रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं, जबकि इससे थोड़ा मोटा माल 26 से लेकर 30 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक है, जबकि इससे बड़ा एक्सपोर्ट क्वालिटी का एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी अगर माल है तो उसके 32 से 35 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक भी मिल रहे हैं. वहीं, औसत भाव की बात की जाए तो अधिकांश किसान को 25 से 26 हजार रुपए प्रति क्विंटल दाम मिल जाते हैं.
केवल किसान को मिलता है फायदा :लहसुन को व्यापारी स्टोर करके नहीं रख सकते हैं. इसे किसान जैसे-जैसे निकलता है वैसे ही मंडी में लाकर बेचता है, इसीलिए किसान को ही इसका सारा फायदा मिलता है. वर्तमान में पूरे देश में हाड़ौती में ही लहसुन लगातार आ रहा है. बीते दिनों पंजाब-हरियाणा में कुछ व्यापारियों ने चीनी लहसुन को स्टोर कर लिया था, लेकिन वह खराब हो गया है. इसके चलते वापस राजस्थान और मध्य प्रदेश के लहसुन की डिमांड बढ़ गई है.
अभी हर दिन पहुंच रहा 10 से 12 करोड़ का लहसुन :अविनाश राठी का यह भी कहना है कि अप्रैल से लहसुन की फसल मंडियों में आना शुरू होती हैं, उसके बाद जून में बारिश के बाद से यह कम होती जाती है और वर्तमान में 9 से 11 हजार कट्टे माल रोज मंडी में आ रहा है. इसके अनुसार रोज करीब 4500 से 5000 क्विंटल माल आ रहा है. इसका 11 से 12 करोड़ रुपए रोज किसानों को मिल रहा है. इस अनुसार हर माह यह राशि 350 करोड़ है, जबकि इससे पहले मंडी में प्रतिदिन 25000 क्विंटल तक भी लहसुन की आवक हुई है.
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उत्पादन लागत से 7 से 8 गुना फायदा :कृषि विभाग के बारां जिले के डिप्टी डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर आनंदीलाल मीणा के अनुसार एक हेक्टेयर एरिया में 60 से 70 क्विंटल लहसुन का उत्पादन होता है. कुछ किसान जो नई जमीन पर इसका उत्पादन करते हैं, वहां पर कुछ ज्यादा उत्पादन हो जाता है. यह 70 से 80 क्विंटल तक पहुंच जाता है, जबकि पुरानी जमीन पर उत्पादकता थोड़ी कम रहती है. ऐसे में औसत करीब 65 क्विंटल हेक्टेयर के अनुसार होता है. इस हिसाब से देखा जाए तो लहसुन की फसल उगाने में किसानों का दो से ढाई लाख प्रति हेक्टेयर खर्च होता है. वर्तमान में मंडी में 65 क्विंटल लहसुन के लिए किसान को 12 से 13 लाख रुपए मिल रहे हैं, जो उत्पादन लागत से करीब 6 से 7 गुना ज्यादा है.
5.5 लाख में मीट्रिक टन के आसपास हुआ है उत्पादन :कोटा संभाग में साल 2023 में 89 हजार हेक्टेयर के आसपास एरिया में बुवाई हुई थी. इस एरिया से उत्पादन मार्च 2024 से आना शुरू हो गया था. इस साल करीब 5.5 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हाड़ौती में माना गया है. ऐसे में यह फसल अप्रैल से मंडी में लगातार आ रही है. लहसुन की अगली फसल को आने में 4 से 5 महीने लगेंगे. ऐसे में वर्तमान से दाम ज्यादा बढ़ जाएंगे. उत्पादन के अनुसार किसानों को औसत पूरे साल के भाव के अनुसार भी देखा जाए तो 12 हजार रुपए प्रति क्विंटल दाम मिला होगा, तब भी 6 हजार करोड़ का माल किसानों का हुआ है.