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पत्नी के नाम खरीदी गई गैंगस्टर की प्रॉपर्टी की जा सकती है जब्त, हाई कोर्ट का आदेश - allahabad high court

आजमगढ़ के गैंगेस्टर राजेंद्र यादव की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि गैंगस्टर द्वारा पत्नी के नाम से खरीदी गई प्रॉपर्टी को जब्त किया जा सकता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 4, 2024, 10:51 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि गैंगस्टर द्वारा अपनी पत्नी के नाम से खरीदी गई प्रॉपर्टी को गैंगस्टर एक्ट में जब्त किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि गैंगस्टर एक्ट के तहत प्रॉपर्टी जब्त करते समय यह साबित करना जरूरी है कि संबंधित प्रॉपर्टी को अपराध के जरिए की गई कमाई से हासिल किया गया है. कोर्ट ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति पर तमाम मुकदमे है. लेकिन उसके द्वारा अर्जित प्रॉपर्टी वैध तरीके से की गई कमाई से ली गई है तो उसे गैंगस्टर एक्ट में जब्त नहीं किया जा सकता है. आजमगढ़ के गैंगस्टर राजेंद्र यादव की पत्नी मीना देवी की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने दिया.

गैंगस्टर राजेंद्र यादव की पत्नी ने दाखिल की थी याचिकाःजिलाधिकारी आजमगढ़ ने गैंगस्टर राजेंद्र यादव के दो प्लांट गैंगस्टर एक्ट के तहत जब्त करने का 11 अगस्त 2022 को आदेश दिया. जीयनपुर थाना प्रभारी ने इससे पूर्व जांच कर रिपोर्ट दी थी कि प्रॉपर्टी राजेंद्र यादव द्वारा अपराध के जरिए की गई कमाई से खरीदी गई है. राजेंद्र यादव और उसकी पत्नी ने इसके खिलाफ जिलाधिकारी के समक्ष आपत्ति दाखिल की जिसे खारिज कर दिया गया. स्पेशल जज गैंगस्टर एक्ट ने भी उसकी आपत्ति को खारिज कर दिया. इसके बाद हाई कोर्ट में मीना देवी द्वारा याचिका दाखिल की गई. जिसमें कहा गया कि उक्त प्रॉपर्टी का उसके पति से कोई लेना-देना नहीं है. उसने यह दोनों प्लाट अपने रिश्तेदारों की मदद से रकम जुटा कर खरीदे हैं. इसलिए इसे जब्त करना गैरकानूनी है.

प्रॉपर्टी खरीदने के लिए पैसे का श्रोत साबित नहीं कर सकीःयाचिका का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता नितेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि कोर्ट ने सभी तथ्यों व साक्ष्य के परीक्षण के बाद प्रॉपर्टी जब्त करने का आदेश दिया है. इस आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि याची यह साबित करने में असफल रही है कि प्रॉपर्टी उसके पति द्वारा नहीं बल्कि उसकी खुद की आय से खरीदी गई है. इस बात को साबित करने के लिए जो साक्ष्य दिए जाने चाहिए वह पर्याप्त नहीं है. याची की आमदनी का कोई जरिया नहीं है और उसने प्रॉपर्टी किस प्रकार से खरीदी, इसका कोई संतोषजनक प्रमाण नहीं दे सकी है. कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

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