गणेश चतुर्थी के लिए जुटे मूर्ति कलाकार (ETV Bharat Barmer) बाड़मेर: गणेश चतुर्थी के पर्व को लेकर पीजी कॉलेज के पास रहने वाले मूर्तिकारों के कई परिवार दिन-रात गणेश मूर्तियां बनाने में लगे हुए हैं. जैसे-जैसे गणेश चतुर्थी का पर्व नजदीक आ रहा है. ऐसे में अब मूर्तिकार भी गणेश मूर्तियों को अंतिम रूप दे रहे हैं. दूसरी ओर शहर के पीजी कॉलेज रोड के किनारे रखी तैयार छोटी बड़ी रंग-बिरंगी अगल-अलग मूर्तियां हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं. ऐसे में लोग बनकर तैयार हो चुकी मूर्तियों की खरीददारी के लिए भी पहुंच रहे हैं.
तीन-चार महीनों से लगे हैं मूर्ति बनाने में: पिछले 15 सालों से मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकार सुरेश ने बताया कि 7 सितंबर को आने वाले गणेश चतुर्थी के पर्व को लेकर मूर्तियों की सीजन शुरू हो गई है. तीन-चार महीने पहले मूर्तियां बनाना शुरू कर देते हैं. ताकि गणेश चतुर्थी के पर्व से पहले अच्छा खासा मूर्तियों का स्टॉक हो जाए. उन्होंने बताया कि खड्डी और मिट्टी को मिलकर मूर्ति बनाते हैं.
पढ़ें:गणेश चतुर्थी सात सितम्बर को , जयपुर के मोती डूंगरी में 9 दिन होंगे विशेष कार्यक्रम, चांदी के सिंहासन पर विराजेंगे गणपति - Ganesh Chaturthi festival
1-8 फीट तक की मूर्ति: इस काम में मेहनत बहुत लगती है. 1 फीट से लेकर 8 फीट तक की मूर्तियां बनाई हैं. गणेश चतुर्थी में अब कुछ दिन ही रहे हैं. ऐसे में समय कम है, तो दिन-रात कलर आदि का कार्य करके मूर्तियों को तैयार कर रहे हैं. बाड़मेर में कुल छोड़ी-बड़ी करीब 1500 मूर्तियों की बिक्री होती है. प्रत्येक मूर्ति के अलग-अलग दाम होते हैं.
पढ़ें:कुचामन में गणेश उत्सव की धूम, बाजार में बिक रही इको फ्रेंडली मूर्तियां
परिवार के छोटे-बड़े सदस्य मिलकर करते हैं कार्य: मूर्तिकार भीमाराम ने बताया कि वह पिछले 20 सालों से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. गुजरात से मूर्ति का सांचा लाते हैं. उदयपुर से कलर और कवास गांव से खड्डी लाकर मूर्ती बनाते हैं. एक मूर्ति बनाने में कम से कम 15 दिन का समय लगता है. तीन महीने पहले ही तैयारियां शुरू करते हैं. तब जाकर समय पर मूर्तियां तैयार होती है. परिवार के छोटे-बड़े सदस्य मिलकर इस कार्य को करते हैं.
पढ़ें:पुष्य नक्षत्र में गणेश जन्मोत्सव का आगाज, मोती डूंगरी मंदिर में 9 दिन होंगे विशेष कार्यक्रम - Moti Dungri Shri Ganeshji Temple
मेहनत के मुताबिक आमदनी नही!: इसी प्रकार मूर्तिकार सुखदेव बताते हैं कि करीब 16 साल को गए हैं. बाड़मेर में मूर्तियों बनाते हुए पिता के साथ यहां आया था. बाड़मेर में 5-7 परिवार के लोग मूर्ति बनाने का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि इस कार्य के मेहनत बहुत लगती है, लेकिन उतनी आमदनी नहीं होती है. इस कार्य को लेकर जैसे—तैसे घर परिवार का गुजारा चलाते हैं. उन्होंने बताया कि कई लोग पहले ऑडर देकर मूर्तियां बनवाते हैं जबकि अधिकतर लोग दो—तीन दिन पहले आकर मूर्तियों की खरीदारी करते हैं. इस बार भी कई लोगो ने गणेश प्रतिमाओ की बुकिंग करवाई है.