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Rajasthan: यहां दो गज पर विराजमान हैं मां लक्ष्मी, पूजन करने से कुंवारी युवतियों की हो जाती है जल्दी शादी - MAHALAKSHMI TEMPLE

अनूठा महालक्ष्मी मंदिर, जहां दो गज पर विराजमान हैं मां लक्ष्मी. पूजन करने से कुंवारी युवतियों की हो जाती है जल्दी शादी.

Mahalakshmi Temple
दो गज पर विराजमान हैं मां लक्ष्मी (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 21, 2024, 6:02 AM IST

जयपुर:यूं तो छोटी काशी में सैकड़ों मंदिर हैं, लेकिन माता महालक्ष्मी के इक्का-दुक्का मंदिर ही मौजूद हैं. स्टेट पीरियड में तत्कालीन राज्यों की सोच और धर्म के प्रति समर्पित समाज की ओर से तैयार किए गए इन्हीं में से एक है गजलक्ष्मी और वैभव लक्ष्मी के नाम से जाना जाने वाला श्री महालक्ष्मी जी मंदिर. मान्यता है कि यहां माता की पूजा-आराधना करने से धन-धान्य और खुशहाली तो मिलती ही है, साथ ही कुंवारी युवतियों की जल्द शादी भी हो जाती है.

छोटी काशी में कई बड़े और प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन यहां करीब 160 साल पुराना और अनूठा लक्ष्मी मंदिर है. ये एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां लक्ष्मी जी गज लक्ष्मी के रूप में विराजित हैं. मां लक्ष्मी यहां दो हाथियों पर सवार हैं. मंदिर के सेवादार पंडित संतोष दवे ने बताया कि जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के शासनकाल में महालक्ष्मी के इस मंदिर को बनाया गया था. पंचद्रविड़ श्रीमाली ब्राह्मण समाज की ओर से यहां महालक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. यही वजह है कि ये श्रीमाली ब्राह्मणों की कुलदेवी भी हुईं और इस प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर में सेवा पूजा भी इसी समाज के ब्राह्मण करते आ रहे हैं.

अनूठा महालक्ष्मी मंदिर... (ETV Bharat Jaipur)

पूजन से अविवाहित युवतियों की हो जाती है जल्दी शादी : मंदिर में करीब 30 साल से सेवा पूजा कर रहे पं. संतोष दवे ने बताया कि महालक्ष्मी मंदिर में विराजमान माता की प्रतिमा गज लक्ष्मी और वैभव लक्ष्मी के नाम से भी जानी जाती हैं. दीपावली पर यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसके साथ ही श्राद्ध पक्ष की अष्टमी को पाटोत्सव होता है. इस दौरान विशेष साज-शृंगार किया जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने पर धन-धान्य तो मिलता ही है, साथ ही अविवाहित युवतियों के मां लक्ष्मी के पूजन से शादी भी जल्द हो जाती है.

तत्कालीन महाराजा ने श्रीमाली ब्राह्मण को यहां बसाया : जय विनोदी पंचाग के आदित्य मोहन श्रीमाली से मिली जानकारी के अनुसार जहां भी श्रीमाली ब्राह्मण रहते हैं, वहां मां लक्ष्मी जी का मंदिर जरूर होता है. जयपुर के महाराजा वेधशाला का निर्माण करने वाले प्रधान राज्य ज्योतिषी पं. केवलराम श्रीमाली के पूर्वजों को करीब 200 साल पहले जयपुर लाए थे. तब जयपुर में महालक्ष्मी के पूजन के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया था. साथ ही एक शिवलिंग और नंदी बाबा को भी प्राण प्रतिष्ठित किया गया था.

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पीढ़ियों से आ रहे हैं श्रद्धालु : इस मंदिर के आसपास अब एक बड़ा बाजार सज चुका है. सामने ही एक निजी महाविद्यालय भी मौजूद है. ऐसे में व्यापारी और छात्र गजलक्ष्मी के दर्शन करने के साथ ही अपने दिन की शुरुआत करते हैं. व्यापारी विष्णु खंडेलवाल ने बताया कि अपनी दुकान पर जाने से पहले माता के दर्शन जरूर करते हैं. वहीं, शिक्षक राहुल ने बताया कि वो 2 साल से यहां नियमित आ रहे हैं. पहले इस मंदिर की जानकारी नहीं थी.

हालांकि, अब वो यहां नियमित आते हैं और यहां आकर वो डिप्रेशन फ्री हो जाते हैं. शाम को होने वाली आरती में तो अलग ही सुकून मिलता है. वहीं, छात्रा दुर्वा ने बताया कि वो अपने दादाजी और पिताजी के साथ बचपन से यहां आ रही हैं. उन्हें लगता है कि यहां आकर उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी. यही वजह है कि वो हर शुक्रवार को अपने फ्रेंड्स को भी यहां लाती हैं.

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