देहरादून: केदारनाथ उपचुनाव के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है. प्रदेश में सियासी सरगर्मियां भी बढ़ती जा रही हैं. इस चुनाव में जहां बीजेपी अपनी उपलब्धियां जनता के सामने रख रही है तो वहीं कांग्रेस तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने में लगी हुई है. शनिवार 26 अक्टूबर को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने देहरादून कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में प्रेस वार्ता की और भू-कानून समेत कई मुद्दों पर बीजेपी और धामी सरकार को घेरा.
प्रेस वार्ता में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के अलावा नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व विधायक केदारनाथ मनोज रावत भी मौजूद रहे. पूर्व विधायक केदारनाथ मनोज ने इस दौरान भू-कानून को लेकर न सिर्फ सरकार पर सवाल उठाए, बल्कि जमीनों के खुर्दबुर्द का भी आरोप लगाया.
पूर्व MLA ने बीजेपी के विकास मॉडल पर उठाए सवाल (ETV Bharat) पूर्व विधायक मनोज रावत ने कहा कि उत्तराखंड में भू-कानून से संबंधित बहुत बड़े आंदोलन हो रहे हैं. हजारों की संख्या में लोग इन आंदोलनों में शामिल हो रहे हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी हाल ही में अगस्त्यमुनि में घोषणा की थी कि उनकी सरकार जल्द ही बृहद भू-कानून लाएगी. इससे पहले भी सख्त भू-कानून को लेकर सीएम धामी एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति बना चुके थे, लेकिन उसका रिजल्ट अभीतक सामने नहीं आया.
पूर्व विधायक मनोज रावत ने कहा कि साल 2018 के बाद भाजपा सरकारों ने उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) की कुछ धाराओं में संशोधन कर जो बदलाव किया है कि उसकी वजह से प्रदेश की सारी कीमती जमीनें बिक चुकी हैं.
पूर्व विधायक मनोज रावत ने बताया कि मसूरी हाथीपांव इलाके में राज्य गठन के समय उत्तराखंड के 'पार्क एस्टेट' की 422 एकड़ भूमि थी. इस 422 एकड़ भूमि में 172 एकड़ वो जमीन भी शामिल है, जो राज्य गठन से पहले साल 1990 से लेकर साल 1992 तक तत्कालीन यूपी सरकार के पर्यटन विभाग ने पर्यटन विकास के नाम पर मूल निवासियों से अधिग्रहीत की थी.
पूर्व विधायक मनोज रावत ने आरोप है कि उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के सीईओ ने अधिग्रहीत की गई 172 एकड़ में से 142 एकड़ भूमि (762 बीघा या 2862 नाली या 5,744,566 वर्ग मीटर) एक एयरो स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को केवल एक करोड़ रुपए प्रति सालाना किराए पर साहसिक पर्यटन से संबधित गतिविधियों के ऑपरेशन, मैनेजमेंट और डेवलपमेंट के नाम पर 15 साल के लिए दी. लेकिन इस जमीन का सर्किल रेट करीब 2,757 करोड़ बैठता है, जिसे सरकार ने 15 साल के लिए एक करोड़ रुपए सालाना किराए में दिया. ये जमीन साल दिसंबर 2022 में दी गई थी.
पूर्व विधायक मनोज रावत ने आरोप ने बताया कि इस जमीन को किराए पर देने से पहले पर्यटन विभाग ने उस भूमि पर एशियाई विकास बैंक से 23 करोड़ रुपए कर्ज लेकर उसे विकसित किया था. यानी पर्यटन विभाग ने 23 करोड़ खर्च कर जमीन को सजा-धजा कर उसकी सारी कमियां दूर करते हुए 15 साल के लिए राज्य की अरबों की जमीन मात्र 15 करोड़ रुपए कमाने को दे दी.
पूर्व विधायक मनोज रावत ने सवाल किया कि सरकार के विकास का ये कौन सा मॉडल है. साथ ही कहा कि सरकार ने पिछले साल केदारनाथ के लिए भी एयरो स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड को अकेले हेलीकाप्टर उड़ाने की अनुमति देने की कोशिश की थी, लेकिन विरोध के बाद इस विचार को बदल दिया. सरकार की नजर मसूरी के बाद रुद्रप्रयाग जिले के स्विटजरलैंड के नाम से जाने जाने वाले चोपता की जमीन पर है. इसीलिए वहां स्थानीय बेरोजगार युवकों को उजाड़ने का काम किया जा रहा है.
बीजेपी ने दिया जवाब:कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत के आरोपों पर बीजेपी विधायक विनोद चमोली से सवाल किया गया. विधायक विनोद चमोली ने कहा कि कांग्रेस को आरोप लगाने से पहले पूरा अध्ययन करना चाहिए. क्योंकि मसूरी की जिस जमीन पर काग्रेस नेता सवाल खड़े कर रहे है, वो एक्टिविटीज के लिए दी गई है. सरकार प्रदेश में पर्यटन की संभावनाएं तलाश रही है ताकि बेहतर से बेहतर पर्यटन सुविधाएं दे सके. पर्यटन एक्टिविटी के लिए जो जमीन दी गई है, वो किराए पर दी गई है न की बेची गई है. जब उसे क्षेत्र में एक्टिविटी बढ़ेगी तो उसे पर्यटन बढ़ेगा और स्थानीय लोगों को आय का नया जरिया मिलेगा.
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