पूर्व डीजीपी अभयानंद से खास बातचीत (ETV Bharat) पटनाःनीट पेपर लीक का अनुसंधान अब सीबीआई के हाथों में है. शिक्षा मंत्रालय ने सीबीआई को केस सौंप दी है. ईओयू से सीबीआई को जांच सौंपे पर जाने पर बिहार की पूर्व डीजीपी अभयानंद ने अपनी प्रतिक्रिया दी. ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा है कि इससे जांच की गति धीमी हो जाएगी. सीबीआई के अनुसंधान में सब कुछ अच्छा होता है लेकिन उसकी गति धीमी हो जाती है. सीबीआई का पुराना ट्रैक रिकार्ड भी कुछ ऐसा ही रहा है.
परीक्षा रद्द के अलावा कोई विकल्प नहींः बातचीत मेंअभयानंद ने बताया कि ईओयू ने इस मामले में जांच अच्छी की है. उन्होंने कहा कि एक शिक्षक होने की नाते वह चाहेंगे कि नीट यूजी की यह परीक्षा रद्द हो. परीक्षा रद्द होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बच रहा. परीक्षा भी दोबारा एक ऐसी एजेंसी से करवाया जाए जिसकी विश्वसनीयता हो. क्योंकि एनटीए से भरोसा उठ गया है.
"अभी यह मामला गर्म था और लोग उम्मीद कर रहे थे कि जल्दी से इसमें कुछ कार्रवाई हो जाएगी. इन्वेस्टिगेशन एंड ट्रायल तेज होना चाहिए था जो अब लगता है कि धीमा पड़ जाएगा. सीबीआई की जांच में सब ठीक है लेकिन रफ्तार धीमा हो जाएगा. एक शिक्षक होने के नाते मेरा मानना है कि परीक्षा रद्द होनी चाहिए."-अभयानंद, पूर्व डीजीपी, बिहार
प्रतिष्ठित संस्था आयोजित करे परीक्षाः पिछले 15 दिनों में जो कुछ हुआ है एनटीए के कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिह्न खड़े हुए हैं. अभयानंद का मानना है कि जेईई एडवांस्ड के जैसे नीट को भी किसी प्रतिष्ठित मेडिकल संस्था द्वारा आयोजित की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जेईई एडवांस्ड का पेपर हर साल जैसे कोई ना कोई आईआईटी आयोजित कराता है. इस प्रकार नीट का पेपर एम्स जैसे संस्थान द्वारा आयोजित करनी चाहिए.
दिल्ली एम्स आयोजित करें परीक्षाः अभ्यानंद ने कहा कि आईआईटी का एक बहुत बड़ा रेपुटेशन है. आईआईटी अपने परीक्षा कंडक्ट कराने के दौरान उसे रेप्युटेशन को ध्यान में जरूर रखता है. वह अपने रेपुटेशन को खराब नहीं होने देने के लिए जी जान लगा देता है लेकिन एनटीए में ऐसा कुछ नहीं है. लोग-आते जाते रहते हैं और कोई रेपुटेशन नहीं है जिसको आने वाले लोग ढ़ोते हैं. एम्स दिल्ली का रेपुटेशन बहुत अधिक है. यदि एम्स दिल्ली नीट परीक्षा कंडक्ट करती है तो इस प्रकार की गड़बड़ी नहीं होगी.
कैसे रूकेगा अपराधः अभयानंद ने एंटी पेपर लीक कानून पर कहा कि यदि कानून से अपराध पर अंकुश लगता तो बहुत सारे अपराध खत्म हो गए रहते हैं. अपराध सही अनुसंधान और त्वरित ट्रायल से रूकता है. कानून मूल रूप से एक सॉफ्टवेयर होता है जो किसी हार्डवेयर के अंदर में काम करता है. अगर बेहतर से बेहतर सॉफ्टवेयर बनाकर उसे हार्डवेयर से अटैच नहीं किया जाए तो सॉफ्टवेयर ऐसे ही पड़ा रहेगा और उसका कोई काम नहीं आएगा.
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