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लैंड डील केस में पूर्व सीएम हुड्डा को फिर झटका, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका खारिज - Shock to Hooda from High Court

Shock to Hooda from High Court: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाईकोर्ट से फिर झटका लगा है. डीएलएफ लैंड डील केस को लेकर जांच कर रहे ढींगरा आयोग मामले में उनकी याचिका खारिज हो गई है. आइये आपको बताते हैं पूरा मामला क्या है.

Shock to Hooda from High Court
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा (बाएं) (Photo- Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 16, 2024, 4:06 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 5:57 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाईकोर्ट से एक बार फिर झटका लगा है. हाईकोर्ट ने ढींगरा आयोग पर तीसरे जज के फैसले के खिलाफ स्पष्ट राय संबंधी नए सिरे से निर्णय की आवश्यकता की मांग को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता हुड्डा के अनुसार इस मामले पर तीनों जजों ने स्पष्ट रूप से अलग-अलग राय रखी है. इसे आधार बताकर हुड्डा ने नए सिरे से निर्णय की आवश्यकता की मांग की थी.

जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्य रूप से जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की संवैधानिक वैधता और मामले में आगामी जांच जारी रखने के संबंध में एक खंडपीठ के विपरीत निष्कर्षों पर अपनी राय देते हुए जस्टिस खेत्रपाल द्वारा पारित नौ मई के आदेश से व्यथित थे. इस मामले में उन्होंने जस्टिस खेत्रपाल के फैसले पर सवाल उठाने वाली याचिका दायर की थी. इसमें हुड्डा ने कहा कि जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने दूसरे जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की राय से स्पष्ट रूप से सहमति व्यक्त की है. हालांकि उसी फैसले में उन्होंने पहले जज अजय कुमार मित्तल द्वारा अपनाए गए इस तर्क का सहारा लेने की राय दी है और कहा कि आयोग को जांच आयोग अधिनियम की धारा 8/बी के तहत नोटिस जारी करने के चरण से कार्यवाही शुरू करने की छूट होगी.

भूपेंद्र हुड्डा की अर्जी में दलील

हुड्डा ने अपनी अर्जी में कहा था कि जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल ने हरियाणा राज्य को केवल उसी विषय पर जांच आयोग नियुक्त करने की स्वतंत्रता दी है, क्योंकि ढींगरा आयोग की अवधि समाप्त होने के कारण कानून में इसे जारी रखने की अनुमति नहीं थी. अर्जी में यह भी कहा कि वास्तव में तीसरे जज ने संदर्भ की शर्तों के अनुसार खंडपीठ के किसी भी जज से सहमति नहीं जताई है. एक स्वतंत्र राय बनाई है, जो दोनों का मिश्रण है. इस तरह जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई के मुद्दे पर समान रूप से तीन विभाजित राय है.

जजों के बीच बहुमत की राय का अभाव

याचिका में बताया गया कि हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई का बिंदु इस मामले को अंतिम निर्णय के लिए एक या अधिक न्यायाधीशों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है. क्योंकि मामले की सुनवाई करने वाले तीनों जज ने अलग-अलग और समान रूप से विभाजित राय व्यक्त की है. इस मुद्दे पर जजों के बीच बहुमत की राय का अभाव है.

ढींगरा आयोग की रिपोर्ट के अस्तित्व पर उठे सवाल

इससे पहले जनवरी 2019 में हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने माना था कि गुरुग्राम में इन विवादास्पद भूमि सौदों की जांच करने वाले जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट 'नॉन-एस्ट' (अस्तित्व में नहीं) है. जबकि इस मुद्दे पर खंडपीठ के दोनों जजों के अलग-अलग विचार हैं. क्या वही ढींगरा आयोग नए सिरे से रिपोर्ट तैयार करना जारी रखेगा या किसी अन्य आयोग को मामले की जांच करनी चाहिए, उनके विचार के लिए तीसरे जज को भेजा गया था. हाईकोर्ट के तीसरे जज अनिल खेत्रपाल ने अपना मत देते हुए अब स्पष्ट किया है कि हरियाणा सरकार आयोग को फिर से जांच जारी रखने के लिए कह सकती है.

ढींगरा आयोग की संवैधानिक वैधता को चुनौती

हाईकोर्ट का यह आदेश पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की याचिका पर पारित किया गया, जिन्होंने ढींगरा आयोग की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी. हालांकि खंडपीठ ने इस मुद्दे पर अलग-अलग राय दी कि क्या ढींगरा आयोग जारी रह सकता है और एक नई रिपोर्ट तैयार कर सकता है या मामले की जांच के लिए कोई अन्य आयोग गठित किया जाना चाहिए. मामले की जांच के लिए ढींगरा आयोग को जारी रखने के मुद्दे को तीसरे जज के पास भेजा गया था.

क्या है डींगरा आयोग

वाड्रा डीएलएफ लैंड डील की जांच के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया था. ये जमीन मामला 2008 का है. वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील मामला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ के बीच हुआ था. रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुड़गांव के मानेसर-शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपये में करीब 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी.

डीएलएफ-वाड्रा लैंड डील के समय हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे. आरोप है कि जमीन खरीदने के करीब एक महीने बाद हुड्डा सरकार ने वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को इस जमीन पर आवासीय परियोजना विकसित करने का परमीशन दे दिया. आवासीय परियोजन का लाइसेंस मिलने के बाद जमीन के दाम बढ़ गये. लाइसेंस मिलने के दो महीने बाद वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ये जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ में बेच दी. बाद में हुड्डा ने आवासीय परियोजना का लाइसेंस डीएलएप को ट्रांसफर कर दिया.

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Last Updated : Jul 16, 2024, 5:57 PM IST

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