चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाईकोर्ट से एक बार फिर झटका लगा है. हाईकोर्ट ने ढींगरा आयोग पर तीसरे जज के फैसले के खिलाफ स्पष्ट राय संबंधी नए सिरे से निर्णय की आवश्यकता की मांग को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता हुड्डा के अनुसार इस मामले पर तीनों जजों ने स्पष्ट रूप से अलग-अलग राय रखी है. इसे आधार बताकर हुड्डा ने नए सिरे से निर्णय की आवश्यकता की मांग की थी.
जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्य रूप से जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की संवैधानिक वैधता और मामले में आगामी जांच जारी रखने के संबंध में एक खंडपीठ के विपरीत निष्कर्षों पर अपनी राय देते हुए जस्टिस खेत्रपाल द्वारा पारित नौ मई के आदेश से व्यथित थे. इस मामले में उन्होंने जस्टिस खेत्रपाल के फैसले पर सवाल उठाने वाली याचिका दायर की थी. इसमें हुड्डा ने कहा कि जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने दूसरे जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की राय से स्पष्ट रूप से सहमति व्यक्त की है. हालांकि उसी फैसले में उन्होंने पहले जज अजय कुमार मित्तल द्वारा अपनाए गए इस तर्क का सहारा लेने की राय दी है और कहा कि आयोग को जांच आयोग अधिनियम की धारा 8/बी के तहत नोटिस जारी करने के चरण से कार्यवाही शुरू करने की छूट होगी.
भूपेंद्र हुड्डा की अर्जी में दलील
हुड्डा ने अपनी अर्जी में कहा था कि जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल ने हरियाणा राज्य को केवल उसी विषय पर जांच आयोग नियुक्त करने की स्वतंत्रता दी है, क्योंकि ढींगरा आयोग की अवधि समाप्त होने के कारण कानून में इसे जारी रखने की अनुमति नहीं थी. अर्जी में यह भी कहा कि वास्तव में तीसरे जज ने संदर्भ की शर्तों के अनुसार खंडपीठ के किसी भी जज से सहमति नहीं जताई है. एक स्वतंत्र राय बनाई है, जो दोनों का मिश्रण है. इस तरह जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई के मुद्दे पर समान रूप से तीन विभाजित राय है.
जजों के बीच बहुमत की राय का अभाव
याचिका में बताया गया कि हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई का बिंदु इस मामले को अंतिम निर्णय के लिए एक या अधिक न्यायाधीशों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है. क्योंकि मामले की सुनवाई करने वाले तीनों जज ने अलग-अलग और समान रूप से विभाजित राय व्यक्त की है. इस मुद्दे पर जजों के बीच बहुमत की राय का अभाव है.