चंडीगढ़: भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने संन्यास का ऐलान कर दिया है. गरीब परिवार से बुलंदियों तक पहुंची रानी रामपाल का जीवन किसी मिसाल से कम नहीं है. आज लोग अपनी बेटियों को रानी जैसा बनाना चाहते हैं. रानी रामपाल का हॉकी करियर करीब 16 साल का रहा. इस दौरान उन्होंने कई बड़े मुकाम हासिल किए. इनमें लगातार दो बार ओलंपिक में भारतीय टीम की कप्तानी करना भी शामिल है.
हरियाणा के शाहबाद में पैदा हुईं रानी
रानी रामपाल हरियाणा की रहने वाली हैं. रानी का जन्म कुरुक्षेत्र जिले के शाहबाद में 1994 में हुआ. रानी रामपाल बेहद गरीब परिवार से आती हैं. उनके पिता रामपाल घोड़ा तांगा चलाते और ईंट बेचते थे. जब रानी ने हॉकी खेलने की जिद की तो परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो रानी की जरूरतें पूरी कर सकें. तांगा चलाकर किसी तरह परिवार का गुजारा होता था. पिता दिन में मुश्किल से 100 रुपये कमा पाते थे. कच्चा मकान बारिश में टपकता था. इसके बावजदू रानी ने हॉकी में आगे बढ़ने का हौसला नहीं छोड़ा.
7 साल की उम्र में पैदा हुआ हॉकी का जुनून
रानी जब 6-7 साल की थीं तभी उनके अंदर हॉकी खेलने का जुनून पैदा हो गया. शाहबाद को हॉकी की नर्सरी कहा जाता है. यहां हॉकी एकेडमी भी है. घरवालों ने पहले रानी को मना किया लेकिन रानी ने तो ठान लिया था कि हॉकी खेलनी है. रानी की इस जिद के आगे उनके पिता को झुकना पड़ा और उन्होंने रानी को का एडमिशन अकाडमी में करा दिया. कोच और कुछ खिलाडियों की मदद से उन्हें किट मिली और उन्होंने प्रैक्टिस शुरू कर दी.
2009 में पहली बार भारतीय टीम में हुआ चयन