देहरादून:ऑल इंडिया सर्विस के अफसरों पर कार्रवाई का ऐसा दौर शायद ही किसी प्रदेश में दिखाई दिया हो. जैसा उत्तराखंड में रहा. ये स्थिति साल 2021 के बाद बनती दिखाई दी. जब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाखरो सफारी का मामला सामने आया. इस प्रकरण के बाद महकमा ऐसे विवाद में फंसा, जिससे अब तक वो उबर नहीं पाया है. पहले इस मामले के कारण कुछ अफसरों को जेल की हवा खानी पड़ी तो कुछ को निलंबन और अटैचमेंट पर भी रहना पड़ा.
मामले में तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक हॉफ राजीव भरतरी को आरोप पत्र जारी किया गया. जिसका रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें सामना करना पड़ रहा है. तत्कालीन के वाइल्डलाइफ वार्डन जेएस सुहाग निलंबित कर दिए गए. तत्कालीन निदेशक राहुल को वन मुख्यालय में अटैचमेंट पर रहना पड़ा. किशन चंद को तो जेल की भी हवा खानी पड़ी. हालांकि, इस मामले में डीजी फॉरेस्ट की जांच में आईएफएस (IFS) अफसर सुशांत पटनायक का नाम भी सामने आया.
विवाद की ये शुरुआत आगे जाकर दो प्रमुख वन संरक्षक के बीच कुर्सी की लड़ाई तक भी पहुंची. जब सरकार ने हॉफ राजीव भरतरी को हटाया तो वो हाईकोर्ट में इसके खिलाफ चले गए और विनोद सिंघल को हटाकर खुद की प्रमुख वन संरक्षक बनाए जाने का आदेश ले आए. इस मामले ने वन विभाग की छवि पर बेहद ज्यादा चोट पहुंचाई. बहरहाल, दोनों शीर्ष अफसर रिटायर हो गए.
इसके बाद सब कुछ ठीक होता हुआ दिखाई दिया, लेकिन अचानक पेड़ों के अवैध कटान के मामले सामने आने लगे. चकराता और पुरोला में सैकड़ों पेड़ों को अवैध रूप से काटे जाने की बात सामने आ गई. इसके बाद पुरोला टोंस वन प्रभाग में तत्कालीन डीएफओ सुबोध काला को निलंबित कर दिया गया. उधर, चकराता क्षेत्र में तत्कालीन डीएफओ कल्याणी को मुख्यालय में अटैच कर दिया गया.
बिनसर अभयारण्य क्षेत्र में वनाग्नि में 6 वनकर्मियों की गई थी जान:इस मामले में जांच के आदेश देने के बाद वन विभाग कुछ शांत लग रहा था कि तभी वनाग्नि सीजन में बिनसर अभयारण्य क्षेत्र में भीषण आग लगने का मामला सामने आया. जिसमें 6 लोगों की जान चली गई. प्रकरण सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने इसका संज्ञान लिया और क्षेत्रीय डीएफओ ध्रुव सिंह मर्तोलिया के साथ वन संरक्षक कोको रोसे को निलंबित कर दिया गया. इतना ही नहीं कुमाऊं चीफ पीके पात्रों को पद से हटाकर वन मुख्यालय में अटैच कर दिया गया.
उत्तराखंड में आईएफएस अधिकारियों की भारी कमी: उत्तराखंड में आईएफएस अधिकारियों की पहले ही काफी ज्यादा कमी है. इसी वजह से कई अधिकारियों को डबल चार्ज या इससे भी ज्यादा जिम्मेदारियां देनी पड़ रही है. वन मुख्यालय में तो एक ही अधिकारी को कई कई जिम्मेदारियां दी गई है. इन स्थितियों के बीच वन विभाग में ऑल इंडिया सर्विस के अफसर का निलंबन और हो रही कार्रवाई इस कमी को बढ़ा रही है.