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इंसाफ मिलने तक वन रक्षकों का आंदोलन रहेगा जारी, विभागीय सचिव बोले, बात करने को हैं तैयार, मंगलवार को वार्ता संभव - Forest guards strike

Demands of forest guards. झारखंड में वन रक्षकों की हड़ताल लगातार दूसरे दिन भी जारी रही. जहां एक ओर वन रक्षक इंसाफ मिलने तक हड़ताल जारी रखने की बात कह रहे हैं वहीं विभागीय सचिव को हड़ताल के बारे में जानकारी तक नहीं है.

FOREST GUARDS STRIKE
हड़ताल पर बैठे वन रक्षक (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 17, 2024, 2:27 PM IST

रांची: झारखंड की खनिज संपदा की रक्षा के साथ-साथ इंसान और हाथियों के बीच संभावित टकराव को रोकना सवालों के घेरे में हैं. इसकी वजह है वन रक्षकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जो 16 अगस्त से शुरू हुई है. हड़ताल के दूसरे दिन झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ के महामंत्री मनोरंजन कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि उनकी मांग सौ फीसदी जायज है.

चतरा में हड़ताल पर बैठे वन रक्षक (ईटीवी भारत)

वनरक्षी चाहते हैं कि वनपाल के पद पर प्रमोशन से जुड़ी साल 2014 में बनी झारखंड राज्य अवर वन क्षेत्र कर्मी संवर्ग नियमावली को दोबारा लागू कर दिया जाए. क्योंकि हाल में जो संशोधित नियमावली आई है, उसके मुताबिक वनपाल के 50 फीसदी पद पर अब सीधी बहाली होगी. ऐसा होने से ज्यादातर वनरक्षी बिना प्रमोशन लिए सेवानिवृत्त हो जाएंगे.

हजारीबाग में हड़ताल के दौरान प्रदर्शन करते वन रक्षक (ईटीवी भारत)

इस मसले पर ईटीवी भारत ने वन विभाग के नवनियुक्ति सचिव अबु बकर सिद्दिकी से बात की. उन्होंने कहा कि उन्हें भी मीडिया से ही हड़ताल की जानकारी मिली है. इस मसले पर चर्चा हो सकती है. सोमवार तक सरकारी छुट्टी है. लिहाजा, वनरक्षियों का प्रतिनिधिमंडल संपर्क करता है तो वे मंगलवार को जरूर मुलाकात करेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी कैडर में शत प्रतिशत प्रमोशन संभव नहीं होता. फिर भी फीडबैक लिया जाएगा.

गिरिडीह में हड़ताल पर बैठे वन रक्षक (ईटीवी भारत)

वहीं, संघ के महामंत्री ने कहा कि उनकी मांग जायज है. उन्होंने बताया कि झारखंड पुलिस में एएसआई और इंस्पेक्टर का सौ फीसदी पद प्रमोशन से ही भरा जाता है. लेकिन एक साजिश के तहत नियमावली में संशोधन कर वनरक्षियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. संघ ने इस बात पर खुशी जतायी कि नवनियुक्त विभागीय सचिव उनकी बात सुनने के लिए तैयार हैं.

संभव है कि मंगलवार को सचिव के साथ संघ के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता होगी. आपको बता दें, झारखंड में वनरक्षी के कुल 3,883 पद हैं. इसकी तुलना में फिलहाल 1,625 वनरक्षी ही सेवारत हैं. आंदोलनरत वनरक्षी इस बात से ज्यादा परेशान हैं कि जिस नियमावली को साल 2014 में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्रित्व काल में बनाया गया था, उसमें हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री रहते कैसे संशोधन कर दिया गया.

पलामू में हड़ताल पर बैठे वन रक्षक (ईटीवी भारत)

सबसे खास बात है कि वनरक्षियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से वनों की अवैध कटाई की घटनाएं बढ़ सकती हैं. साथ ही मानसून के दौरान हुए पौधारोपण की देखरेख पर भी असर पड़ेगा. सबसे ज्यादा चिंता जंगली हाथियों और इंसानों के बीच संभावित टकराव को लेकर हैं. क्योंकि जब भी जंगली हाथी गांवों में घुस आते हैं तो उन्हें भगाने में वनरक्षियों की अहम भूमिका होती है.

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