देहरादून:उत्तराखंड में 70 फीसदी क्षेत्र वनों से आच्छादित है और यहां प्राकृतिक बहुमूल्य संपदा के बीच पर्यटन की भी बेहद ज्यादा संभावनाएं हैं. उत्तराखंड वन विभाग के अंतर्गत वाइल्डलाइफ टूरिज्म के अलावा, नेचर टूरिज्म और ट्रेकिंग के क्षेत्र में भी काफी काम किया जा सकता है. इन्हीं तमाम बातों को समझते हुए उत्तराखंड वन विभाग ने राज्य में कई डेस्टिनेशन तैयार करने का मन बनाया है. जिसके लिए वन महकमा जुट गया है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से लैस डेस्टिनेशन:बेहतरीन डेस्टिनेशन तैयार करने के लिएवन विभाग विशेष खासियत वाले अलग-अलग क्षेत्रों को चिन्हित करने का प्रयास कर रहा है. हालांकि पहले भी वन विभाग ने कई क्षेत्रों में ऐसे प्रयास किए हैं, लेकिन इस बार अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से लैस डेस्टिनेशन को स्थापित करने के लिए कहा गया है. इसके लिए विभाग के अधिकारियों को बजट की डिमांड करने और कार्य योजना तैयार करने के लिए भी कहा गया है.
वाइल्डलाइफ टूरिज्म के क्षेत्र में नए क्षेत्र होंगे विकसित:उत्तराखंड में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के रूप में कॉर्बेट को जाना जाता है. लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व में भी जिस तरह बाघों की संख्या बढ़ रही है उसके बाद वाइल्डलाइफ टूरिज्म के क्षेत्र में कुछ नए क्षेत्रों को भी विकसित किया जा सकता है. इसमें न केवल टाइगर बल्कि दूसरे वन्य जीवों के लिहाज से बेहद खास आरक्षित क्षेत्रों में भी गतिविधियों को बढ़ाने पर विचार हो सकता है.
बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन बन सकता है बड़ा बाजार:प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजय मोहन का बर्ड वाचिंग को लेकर विशेष रुझान रहा है और राज्य में बर्ड वाचिंग के लिए कई डेस्टिनेशन बनाए जाने की संभावनाएं भी उनकी तरफ से व्यक्त की जाती रही है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बर्ड वाचिंग एक बड़ा बाजार रहा है और उत्तराखंड में 700 से ज्यादा प्रजातियों की बर्ड का मौजूद होना यह जाहिर करता है कि उत्तराखंड में भी इसके लिए अपार संभावनाएं मौजूद है.