बस्तर:छत्तीसगढ़ के बस्तर में पहले ही मानसून ने दस्तक दे दिया था. हालांकि बारिश रुक-रुककर हो रही थी. इससे किसानों के खेतों में पानी नहीं होने से वे उदास थे. इस बीच बीते एक सप्ताह से बस्तर में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है. इस बारिश के कारण नदी नाले उफान पर हैं. नदी नालों में बाढ़ का पानी भरने से बस्तर के प्रमुख जलप्रपातों की भी खूबसूरती बढ़ गई है. इसके अलावा बारिश के कारण किसानों के खेत-खलिहान भी पानी से भर गए हैं. बारिश और पानी से किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं. उन्होंने अपने खेतों में धान रोपाई शुरू कर दी है.
बस्तर के खेतों में गूंजा लोक गीत, "दाल खाई रे मारीला झिमटी पानी" गाकर महिलाओं ने की धान रोपाई - Bastar women planted paddy singing - BASTAR WOMEN PLANTED PADDY SINGING
बस्तर में धान रोपाई के दौरान महिलाएं लोक गीत गाती नजर आ रही है. भारी बारिश से धान किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. वहीं बस्तर के खेतों में "दाल खाई रे मारीला झिमटी पानी" लोक गीत गूंज रहा है.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Jul 29, 2024, 5:53 AM IST
बस्तर के खेतों में गूंजा लोक गीत: धान रोपाई के दौरान लोक गीत यहां की महिलाएं खेतों में गा रही है. बस्तर का खेत लोक गीत से गूंज रहा है. इस बीच ईटीवी भारत की टीम बस्तर के खेत पहुंचे. ईटीवी भारत के संवाददाता ने महिलाओं से उनके गाए लोक गीत का मतलब पूछा. महिलाओं ने बताया कि पहले के जनरेशन के पास मोबाइल फोन नहीं होता था. जब लड़के-लड़किया घूमने जाते थे, तो उस दौरान गीतों के माध्यम से वो एक दूसरे से कंपीटिशन करते थे और मनोरंजन करते थे. उन्हीं गीतों को आज खेतों में काम करने के दौरान गाकर नए जनरेशन को उसकी कहानियां बता रहे हैं. गाने के बोल हैं, " दाल खाई रे मारीला झिमटी पानी, आमी रानी तुमी राजा रे"."
बता दें कि बस्तर नक्सलवाद के अलावा अपनी कला, संस्कृति और वेश-भूषा के कारण देश भर में मशहूर है. बस्तर की कला, लोक गीत, लोक नृत्य बस्तर के आदिवासियों को एक अलग पहचान देती है. इन दिनों बस्तर के खेतों में धान रोपाई का काम जारी है. बस्तर के आदिवासी महिला धान रोपाई के दौरान लोक गीत गाकर उत्साह के साथ मनोरंजन करते हुए धान की रोपाई कर रहे हैं.