जींद: भारत सरकार ने जींद के लोक कलाकार महावीर गुड्डू को पद्मश्री अवॉर्ड देने का ऐलान किया है. महावीर गुड्डू ने हरियाणा की संस्कृति को देश विदेश तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. महावीर गुड्डू ने बताया कि उनके पास कल शाम को 4 बजे मंत्रालय से फोन आया था कि उनको पद्मश्री अवार्ड देने के लिए नामित किया गया है. उन्होंने कहा कि वह ऑफिशियल लिस्ट का इंतजार करते रहे. इसलिए उन्होंने किसी के सामने इस बात का खुलासा नहीं किया. महावीर गुड्डू ने बताया कि बधाई के लिए उनके पास मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और कृषि मंत्री जेपी दलाल का भी फोन आया. उन्होंने बताया कि इस अवॉर्ड के लिए प्रदेश सरकार ने उनके नाम की सिफारिश की थी.
कौन हैं महावीर गुड्डू?:देश-विदेश में हरियाणा की लोक संस्कृति को पहचान दिलाने वाले कलाकारों की सूची में महाबीर गुड्डू का नाम पहली पंक्ति में आता है. महाबीर गुड्डू को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने शिव गायन और बम लहरी को पहली बार कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में मंच पर स्थान दी. साथ ही उन्हें धोती-कुर्ता में सोलो डांस का भी जनक माना जाता है. महावीर गुड्डू जींद जिले के गांगोली गांव के रहने वाले हैं. वे पिछले कई साल से कला के क्षेत्र में सक्रिय हैं. हरियाणवी संस्कृति को आगे बढ़ाने में उनका बहुत योगदान हैं.
हरियाणवी संस्कृति का प्रसार:शिव गायन को पहले साधु संत गाते थे. लेकिन महावीर गुड्डू ने धोती, कुर्ता और खंडका पहनकर मंच पर शिव गायन की शुरुआत की. इसी तरह बम लहरी को जंगम जोगी गलियों और मेलों में गाते थे. इसको भी उन्होंने मंच पर जगह दी. उन्होंने बम लहरी को हरियाणा के साथ-साथ देश विदेश में भी अलग पहचान दिलायी. महावीर गुड्डू ने विलुप्त प्राय घोड़ा नाच को भी अपने साथियों के साथ मिल कर नया आयाम दिया. उन्होंने धोती-कुर्ता पहनकर पहली बार मर्दाना डांस की शुरुआत की. देश विदेश में हरियाणवी आर्केस्ट्रा के कई शो किये. इसमें गांव के कलाकारों को शामिल किया गया. महाबीर गुड्डू ने नाहर सिंह की वीर गाथा के अलावा पंडित लख्मीचंद, चौ. देवीलाल, चौ. रणबीर सिंह, चौ. छोटूराम की जीवन गाथा भी गाई है.