बिलासपुर: गरियाबंद में फ्लोराइड युक्त पानी के मामले में हाईकोर्ट ने पीएचई विभाग को शपथपत्र के साथ जवाब देने को कहा. कोर्ट ने कहा कि शपथपत्र के साथ इस बात का भी जवाब दिया जाए कि फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए क्या किया जा रहा है. कोर्ट ने गरियाबंद सहित पूरे प्रदेश में स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की जरूरत बताई है.
गरियाबंद में फ्लोराइड वाटर पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सख्त, पीएचई विभाग से पूछा- साफ पानी देने के लिए क्या कर रहे ? - Chhattisgarh High Court - CHHATTISGARH HIGH COURT
HC On Fluoride Contaminated Water छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में गरियाबंद में फ्लोराइड वाटर पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि लोगों को साफ पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है. ऐसे में शासन की तरफ से गरियाबंद के लोगों को साफ पीने का पानी देने के लिए क्या काम किया जा रहा है?Chhattisgarh High Court
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Sep 12, 2024, 9:32 AM IST
|Updated : Sep 12, 2024, 9:57 AM IST
गरियाबंद में पानी साफ करने लगाए 6 करोड़ के प्लांट:गरियाबंद में फ्लोराइड वाटर के मामले में सुनवाई के दौरान यह जानकारी सामने आई कि जिले के 40 गांवों में 6 करोड़ की लागत से प्लांट तो लगाए गए लेकिन वह कुछ महीने में ही बंद हो गए. इस पर विभाग की ओर से बताया गया कि 40 फ्लोराइड रिमूवल प्लांट में से 24 सही तरीके से काम कर रहे हैं. बाकी को सुधारा जा रहा है.
फ्लोराइड पानी से डेंटल फ्लोरोसिस की बढ़ रही बीमारी: गरियाबंद जिले के लगभग सभी गांवों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस का शिकार हो रहे हैं. हाईकोर्ट के नोटिस के बाद विभागीय सचिव ने अपने जवाब में कहा था कि क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों और कैंप के माध्यम से लगातार इलाज जारी है. पानी में 8 गुना नहीं बल्कि अधिकतम 3 गुना फ्लोराइड की बात सामने आई है. कोर्ट ने फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्र के लोगों के बीमार होने पर चिंता जताते हुए कहा कि साफ और सुरक्षित पानी उपलब्ध कराना राज्य सरकार की जिमेदारी है.