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नेपाल में बांध टूटने से बॉर्डर इलाके में बाढ़, कोसी ने तोड़ा 56 साल का रिकॉर्ड, बिहार के 20 जिलों पर प्रलय का खतरा - BIHAR FLOOD - BIHAR FLOOD

FLOOD IN BIHAR: बिहार में बाढ़ का मंजर भयानक है. कोसी बराज से रिकॉर्ड तोड़ पानी छोड़ा जा रहा है. इसके बावजूद नेपाल में भारी बारिश के कारण जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. कोसी बराज पर पानी चढ़ने से आवागमन बंद कर दिया गया है. वहीं नेपाल में लालबकेया नदी का बांध टूटने से भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्रों में पानी घूसने लगा है. जानें क्या है कोसी बराज का हाल?

बिहार में बाढ़ का मंजर
बिहार में बाढ़ का मंजर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 29, 2024, 9:53 AM IST

Updated : Sep 29, 2024, 11:26 AM IST

पटनाः नेपाल में भारी बारिश के कारण कोसी में लगातार पानी बढ़ रहा है. रविवार की सुबह 5 बजे तक कोसी बराज वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक पानी छोड़ा गया जो 56 साल का रिकॉर्ड टूट गया. 1968 के बाद सबसे अधिक पानी कोसी में छोड़ा गया है. नेपाल में भारी बारिश के कारण लगातार कोसी नदी में पानी का स्तर बढ़ रहा है, जिससे शनिवार की शाम कोसी बराज पुल पर पानी चढ़ गया है. बिहार सरकार और नेपाल सरकार के परिचालन को बंद कर दिया गया है.

कोसी के 56 गेट खोले गएः जल संसाधन विभाग के मुताबिक नेपाल में भारी बारिश हो रही है. 24 घंटों में नेपाल प्रभाग स्थित कोसी नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में 200 एमएम से अधिक बारिश हुई है. इस कारण लगातार कोसी में पानी बढ़ रहा है. नेपाल ने कोसी और गंडक बराज में 10.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा. नेपाल प्रभाग में पानी का दबाव बढ़ने के कारण कोसी बराज के 56 गेट खोल दिए गए हैं, इससे कोसी में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है.

शनिवार से छोड़ा जा रहा पानीः बीते 24 घंटों में कोसी के जलस्तर में करीब 4 लाख क्यूसेक का उछाल आया है. जल संसाधान विभाग के अनुसार नेपाल के बराह क्षेत्र में शनिवार की दोपहर एक बजे तक 4 लाख 45 हजार 550 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. कोसी बराज से 5 लाख 21 हजार 455 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है. शाम 6 बजे तक यह डिस्चार्ज बढ़कर 5,67,760, रात 8 बजे 5 लाख 90 हजार 385 क्यूसेक और रात 10 बजे दस बजे डिस्चार्ज 6,01,600 क्यूसेक हो गया है.

कोसी बराज की सुरक्षा में तैनात जवान (ETV Bharat)

नेपाल में बाढ़ टूटाः नेपाल के फतुहा पुल के पास लालबकेया नदी का बांध टूट गया है. इस कारण भारत नेपाल के बॉर्डर इलाकों में बाढ़ आ गयी है. इसका असर बिहार में भी देखने को मिलेगा. नेपाल से सटे भारतीय क्षेत्र में पानी घूसने लगा है. कोसी एवं गंडक में आई बाढ़ की स्थिति से बिहार के गोपालगंज, सारण, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, शिवहर, समस्तीपुर, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा, खगड़िया और भागलपुर जिले में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.

20 जिलों में अलर्टः कोसी एवं गंडक नदी में आई भीषण जल प्रलय को देखते हुए बिहार सरकार ने 20 जिलों के जिलाधिकारी को अलर्ट मोड पर आने का आदेश जारी किया है. जल संसाधन विभाग ने विभाग के सभी अधिकारियों व इंजीनियरों की छुट्टी रद्द करते हुए डेंजरस स्पॉट पर कैम्प करने का आदेश दिया है. मुख्यालय स्तर पर 24 घंटे तमाम तटबंधों की मॉनिटरिंग की जा रही है. कोसी एवं गंडक नदी पर नजर रखने के लिए 90 इंजीनियर को 24 घंटे निगरानी के लिए नियुक्त किया है. आपदा प्रबंधन विभाग कम्युनिटी किचन, दवा की कमी नहीं हो इसके लिए हेल्थ कैंप एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम को तैयार रहने को कहा गया है.

कोसी बराज का पुल जिसपर पानी चढ़ने के बाद फैला कचरा (ETV Bharat)

किन-किन नदियों में बाढ़ः नेपाल में बारिश के कारण कोसी और गंडक बराज से पानी छोड़ने के कारण बिहार के अनेक नदियों के जलस्तर में भारी वृद्धि होगी. गंगा, गंडक, बागमती, अधवारा समूह , बालन, भूतही बालन, गजना, तिल्लुगा, बिहुला, दहा, गेंदा, सुरसर, मिर्चाइया, भेंगा नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है. जिस कारण इन नदियों के इलाकों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है.

उत्तर बिहार में बाढ़ का कारणः बता दें कि बिहार में हर साल बाढ़ तबाही मचाती है. इसमें उत्तर बिहार सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. नदी बचाओ अभियान के संयोजक और पिछले 40 वर्षों से बाढ़ पर काम करने वाले दिनेश मिश्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इसका मुख्य कारण नेपाल में अत्यधिक बारिश होना. नेपाल की भौगोलिक स्थिति अलग है. भारत से ऊंचे स्थान पर बसा हुआ है. हिमालय एवं अन्य पहाड़ों पर बारिश होने के कारण पानी का बहाव नीचे की तरफ होता है. नेपाल में बराह क्षेत्र में पानी इकट्ठा होता है और वहीं से सप्तकोसी नदियों के माध्यम से पानी कोसी अन्य उन नदियों में जाती है.

बिहार में बाढ़ से बचाव के लिए माइकिंग करते एसडीआरएफ के अधिकारी (ETV Bharat)

बंगाल बराज भी बाढ़ का कारणः आपकों बता दें कि कोसी नदी की सात सहायक नदियां है जिसे सप्त-कोसी कहलाता है. तमोर, अरुण, दूधकोसी, तामकोसी, सुनकोसी, लिखू और इंद्रावती है. सप्तकोसी भारत के नदियों में पानी आने के कारण उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. बंगाल में फरक्का पर बने बराज भी बिहार में बाढ़ का कारण बनता जा रहा है. फरक्का बराज बनने के बाद गंगा व अन्य नदियों में गाद होने लगा. इससे पानी का प्रवाह धीरे-धीरे कम होता गया और नदियों की गहराई धीरे-धीरे कम होती गई. नीतीश कुमार कई बार केंद्र सरकार से इसो बंद करने को लेकर कह चुके हैं.

कहां से निकलती है कोसीः कोसी 'बिहार का शोक' के नाम से जाना जाता है. यह हर साल बिहार में भयंकर तबाही मचाती है. तिब्बत से निकले वाली कोसी चीन, नेपाल होते हुए भारत में बहती हुई गंगा नदी में मिलती है. पिछले 250 वर्षों में यह नदी 120 किमी तक फैल चुकी है. हिमालय की ऊंची पहाड़ियों से तरह-तरह के अवसाद (बालू, कंकड़-पत्थर) अपने साथ लाती हुई निरंतर अपने क्षेत्र का विस्तार कर रही है.

बिहार में नदी का पानी निचले इलाकों में प्रवेश करने के बाद का दृश्य (ETV Bharat)

बिहार के लिए अभिशापः कोसी नदी बिहार के लिए एक वरदान और अभिशाप दोनों है. यह नदी उत्तरी बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है और किसानों के लिए सिंचाई का एक प्रमुख जल स्रोत है. कोसी नदी पर कई बांध और जलविद्युत परियोजनाएं भी हैं जो बिहार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. लेकिन इसमें आने वाली बाढ़ बिहार के लिए एक बड़ी समस्या है. हर साल लाखों लोग बेघर होते हैं.

कोसी परियोजना की परिकल्पनाः1953-54 में पहली बार बाढ़ को रोकने के लिए कोसी परियोजना की शुरूआत की गई. नदियों पर काम करने वाले दिनेश कुमार मिश्रा ने बताया कि 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस योजना की शुरुआत की. इस परियोजना के शिलान्यास के समय यह कहा गया था कि अगले 15 सालों में बिहार की बाढ़ की समस्या पर क़ाबू पा लिया जाएगा. पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 1955 ई में कोसी परियोजना के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान सुपौल के "बैरिया" गांव में सभा की थी. कहा था कि मेरी एक आंख कोसी पर रहेगी और दूसरी आंख बाकी हिन्दुस्तान पर.

बिहार के वाल्मिकीनगर में गंडक नदी बराज से छोड़ा जा रहा पानी (ETV Bharat)

बाढ़ का नहीं हुआ समाधानः 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कोसी बराज का उद्घाटन किया था. वीरपुर में बैराज बनाकर नेपाल से आने वाली सप्तकोसी के पानी को एक कर दिया गया और बिहार में तटबंध बनाकर नदियों को मोड़ दिया गया. लेकिन बाढ़ की समस्या से निजात नहीं मिला. नेपाल में भारी बारिश के कारण कोसी में पानी बढ़ जाता है. इस कारण बराज को खोलना पड़ता. बराज खोलने के कारण बिहार में तबाही मचती है.

बाढ़ का स्थाई समाधान कैसे?: वर्षों से बिहार को बाढ़ से बचने के लिए नेपाल में हाई डैम बनाने की मांग हो रही है. इसको लेकर बिहार और नेपाल सरकार के बीच कई बार वार्ता भी हो चुकी है। लेकिन अब तक नेपाल में हाई डैम का निर्माण नहीं हो पाया. दिनेश कुमार मिश्रा की माने तो नेपाल में हाई डैम बनाना आसान नहीं है. नेपाल के बड़े क्षेत्र में हाई डैम बनाने की बात हो रही है. जहां से सप्तकोसी निकलती है, वहां हाई डैम बनाना बहुत ही रिस्की होगा. यह इलाका भूकंप के सबसे रिस्की जोन में आता है.

निचले इलाकों पानी घूसरे से ऊंचे स्थान पर जाते बाढ़ पीड़ित (ETV Bharat)

हाई डैम बनाना खतरनाकः यदि यहां पर हाई डैम बनाया जाता है तो तो 26 मील का बड़ा झील बनेगा. बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री के बी सहाय ने विधानसभा में यह वक्तव्य दिया था कि नेपाल में डैम बनाना बहुत ही रिस्की होगा. विभागीय रिपोर्ट के आधार पर यह कहा गया कि यदि डैम बनने के बाद भूकंप आता है और यदि वह क्षतिग्रस्त होता है तो भागलपुर तक का पूरा इलाका रात में नष्ट हो जाएगा. इसी को देखते हुए कोसी नदी के दोनों तटबंधों पर बांध का निर्माण शुरू हुआ जो अनवरत चल रहा है.

नदियों को जोड़ने की बातः1970 के दशक में बांध डिजाइनर और पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ. केएल राव ने "राष्ट्रीय जल ग्रिड" का प्रस्ताव रखा. दक्षिण में पानी की गंभीर कमी और उत्तर में हर साल बाढ़ से चिंतित थे. उन्होंने सुझाव दिया कि ब्रह्मपुत्र और गंगा बेसिन जल अधिशेष क्षेत्र हैं और मध्य और दक्षिण भारत जल की कमी वाला क्षेत्र है. उन्होंने प्रस्ताव दिया कि अधिशेष पानी को कमी वाले क्षेत्रों में भेजा जाना चाहिए.

ऊंचे स्थान पर जाते बाढ़ पीड़ित (ETV Bharat)

इस तरह बाढ़ पर होगा नियंत्रणः पूरे देश में बाढ़ और सुखार की स्थिति को देखते हुए 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में नदियों को जोड़ने की बात कही गई. नदियों को जोड़ने की परिकल्पना इसलिए की गई थी कि देश के कुछ हिस्से प्रतिवर्ष बाढ़ की चपेट में तो कुछ हिस्से सुखाड़ की चपेट में आते हैं. उसी को देखते हुए सरकार ने प्रदेश के सभी नदियों को एक दूसरे से जोड़ने की बात कही. दिनेश कुमार मिश्रा का भी कहना है कि यदि नदियों को एक दूसरे से जोड़ा जाए तो बहुत हद तक बाढ़ की समस्या पर कंट्रोल किया जा सकता है.

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Last Updated : Sep 29, 2024, 11:26 AM IST

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