पटना : लोकसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार का बजट पेश किया गया. वर्ष 2022-23 के दौरान आर्थिक विकास दर के मामले में बिहार अग्रणी रहा. बिहार की आर्थिक विकास दर जहां 10.64% दर्ज की गई, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह 7.24 प्रतिशत दर्ज की गई थी. बिहार राज्य के अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2012-13 में 2.8 लाख करोड़ रुपए का था, जो 2022-23 में बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपए का हो गया.
राजकोषीय घाटा सरकार के लिए चिंता का सबब है. वर्ष 2022-23 में राज्य का राजकोषीय घाटा, कुल सकल घरेलू उत्पाद का 5.97% रहा, जो कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अधिक सीमा 3.50% से ज्यादा है. आपको बता दें कि राजकोषीय घाटा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 3% की अवधि सीमा में रखना बेहतर वित्तीय प्रबंधन माना जाता है. एनडीए की सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023 -24 में राजकोषीय घाटा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 2.98 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य रखा गया है.
वित्तीय प्रबंधन सूचकांक में ब्याज भुगतान का राजस्व प्राप्ति के अनुपात में 10% के अंदर रखना बेहतर माना जाता है. जबकि बिहार का ब्याज भुगतान 2022-23 में राजस्व प्राप्ति का 8.79% था. यह अनुपात 2023-24 के लिए 8.64% अनुमानित है. वर्ष 2024- 25 के लिए 9.25 प्रतिशत अनुमानित है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य को केंद्र सरकार से सहायक अनुदान के रूप में 52160.62 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है.
2023-24 के बजट अनुमान में केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायक अनुदान राशि 53377.92 करोड़ रुपए थी. कुल मिलाकर पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह राशि 1217.30 करोड़ रुपए कम है. अर्थात केंद्र से पिछले वित्तीय वर्ष के तुलना में इस वित्तीय वर्ष में सहायक अनुदान राशि कम मिलने की संभावना है. राजस्व संग्रह के मामले में सरकार ने बेहतर प्रयास करने की कोशिश की है. साल 2022-23 में कुल 2 लाख 21 हजार 13 करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई. जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 2625085 करोड़ पहुंच गया. 2024-25 में राज्य को कुल 16840 करोड़ रुपए अधिक प्राप्ति हुई.