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बीजेपी में सिर फुटव्वल! वरिष्ठ नेता कह रहे लोकतांत्रिक व्यवस्था की बात - Jharkhand Assembly Elections 2024

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 12, 2024, 9:45 AM IST

Jharkhand Assembly Elections 2024. भारतीय जनता पार्टी खुद को अनुशासित पार्टी कहती है. कार्यकर्ता कहते हैं कि सब कुछ कार्यकर्ता तय करते हैं. कार्यकर्ता की सहमति के बाद ही वरिष्ठ नेता निर्णय लेते हैं. अभी सूबे के 81 विधानसभा सीट पर उम्मीदवार चयन के लिए रायशुमारी हुई है. इस रायशुमारी को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने का निर्देश झारखंड प्रभारी ने दिया था. लेकिन गिरिडीह-धनबाद समेत कई विधानसभा सीट पर कार्यकर्ता उलझते दिखे. कहा जाए तो टिकट से पहले सिर फुटव्वल की स्थित बन गई है. अब पार्टी के वरिष्ठ नेता सफाई दे रहे हैं. इस विषय पर पार्टी नेता अनंत ओझा से ईटीवी भारत संवाददाता अमरनाथ सिन्हा ने सीधी बात की.

JHARKHAND ASSEMBLY ELECTIONS 2024
अनंत ओझा से बात करते संवाददाता अमरनाथ सिन्हा (ईटीवी भारत)

गिरिडीह:बीजेपी के कार्यकर्ता कहते हैं भारतीय जनता पार्टी मतलब पार्टी विद डिफरेंट, अनुशासन वाली पार्टी, लेकिन जब भी चुनाव सिर पर होता है तो अनुशासन तार-तार हो जाता है. झारखंड में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है.

अनंत ओझा से बात करते संवाददाता अमरनाथ सिन्हा (ईटीवी भारत)

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए 81 विधानसभा सीट के उम्मीदवार चयन को लेकर रायशुमारी की गई है. कार्यकर्ताओं के मन को टटोला गया है. अपने तीन पसंदीदा उम्मीदवार के लिए वोटिंग कराई गई है. उम्मीदवार के चयन के लिए या प्रक्रिया अच्छी है, लेकिन इसी रायशुमारी के दरमियान अलग-अलग दावेदार के समर्थक आपस में ही उलझते दिखे.

कार्यकर्ताओं से बात करते अनंत ओझा (ईटीवी भारत)

गिरिडीह, धनबाद, पलामू के विश्रामपुर और हजारीबाग में यह स्थिति देखने को मिली. इन स्थानों में तो कई दफा स्थिति बिगड़ती रही जिन्हें सम्भालने में प्रभारियों के साथ-साथ जिले के पदाधिकारियों को काफी पसीना बहाना पड़ा. गिरिडीह में तो कई दफा हो-हल्ला होता रहा. इन हंगामे को लेकर ईटीवी भारत ने पार्टी के वरिष्ठ नेता सह राजमहल के विधायक अनंत ओझा से बात की. इनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी में लोकतांत्रिक व्यवस्था है. यह पार्टी आज भी अनुशासन वाली है. यहां कार्यकर्ता भारत माता की जय का नारा लगाते हैं. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता इसी उद्घोष के साथ निर्णय प्रक्रिया में भागीदार बने. पीरटांड़ जैसे प्रखंड के सुदूरवर्ती इलाके से आये कार्यकर्ताओं की भागीदारी रही.

बीजेपी कार्यकर्ता (ईटीवी भारत)

टिकट मिलने के बाद कैसे दूर होगी नाराजगी

ईटीवी संवाददाता ने अनंत ओझा से पूछा कि इस बार गिरिडीह विधानसभा से टिकट के लिए कई नेता दावेदार हैं. दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है, टिकट तो एक को मिलेगा. ऐसे में चुनाव के समय नाराज नेताओं-कार्यकर्ताओं को कैसे संभाला जाएगा. इसपर अनंत ओझा ने कहा भारतीय जनता पार्टी में मत अनेक निर्णय एक पद्धति है. इसी पद्धति से भाजपा काम करती है. यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से होती है पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बैठता है, चुनाव समिति बैठती है. राज्य नेतृत्व निर्णय करता है फिर राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष पूरा विषय जाता है. पूरा विश्वास है कि राज्य में जो लहर चल रही है हेमंत हटाओ, झारखंड बचाओ और भाजपा लाओ उसका असर गिरिडीह में भी दिखेगा और जिले के सभी छह में से छह सीट भाजपा जीतेगी.

बीजेपी कार्यकर्ता (ईटीवी भारत)

यहां अनंत ने हेमंत सोरेन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. कहा कि पांच लाख रोजगार देने का वादा किया था जो पूरा नहीं हुआ, हालांकि जब ईटीवी भारत ने दो करोड़ रोजगार को लेकर सवाल किया तो विधायक अनंत ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का घोषणा पत्र एक संकल्प पत्र होता है. नरेंद्र मोदी ने जो कहा इसे शत प्रतिशत पूर्ण करने का काम किया.

क्या नियम विरुद्ध लाये गए थे कार्यकर्ता

बुधवार को श्याम मंदिर में गिरिडीह विधानसभा सीट के लिए रायशुमारी कार्यक्रम आयोजित हुआ था. पार्टी के नियमानुसार इस रायशुमारी में गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य, जिला पदाधिकारी, निवर्तमान जिला पदाधिकारी, पूर्व जिलाध्यक्ष, जिला कार्यसमिति सदस्य, निवर्तमान मंडल अध्यक्ष, मोर्चा प्रदेश पदाधिकारी, मोर्चा जिलाध्यक्ष, मोर्चा जिला पदाधिकारी, पूर्व मंडल अध्यक्ष के साथ साथ कार्यसमिति के सदस्य ही प्रत्याशी चयन कर सकते और वोटिंग दे सकते हैं. एक वोटर को तीन-तीन दावेदारों को सूचीबद्ध करना था.

मिली जानकारी के अनुसार गिरिडीह विधानसभा सीट की रायशुमारी के लिए संगठन के वोटरों की संख्या लगभग 300 है, लेकिन रायशुमारी में इससे अधिक कार्यकर्ता आ गए. बताया जाता है कि कुछ कार्यकर्ता जोश में आ गए. यह भी कहा जा रहा है कि कुछ कार्यकर्ता जो वोटर नहीं थे उनको जानबूझकर बुलाया गया था. हालांकि किसने कहने पर बुलाया गया था यह साफ नहीं है. ऐसे में जब पार्टी के वोटर लिस्ट में नाम नहीं रहने पर कार्यकर्ताओं को बैरंग घुमाया गया तो हंगामा शुरू हो गया.

झारखंड प्रभारी ले सकते हैं जानकारी

अब सवाल उठ रहा है कि अगर ऐसा ही हुआ तो पार्टी के नियम के विरुद्ध जाकर किसने अनुशासन तोड़ने के लिए कुछेक कार्यकर्ता को प्रेरित किया. किसी ने कहा या जोश में ही कार्यकर्ता हंगामा कर बैठे, या हालिया वर्ष में आये नेताओं को पार्टी नियमों की जानकारी नहीं रही और अपना समर्थन बढ़ाने के लिए अलग से कार्यकर्ताओं को इस रायशुमारी में भेज दिया गया या फिर ऐसे नेता अनुशासन को ही दर किनार कर गए. कहा जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता इन विषयों का आकलन कर रहे हैं. यह भी सम्भव है कि राज्य के प्रभारी भी इसे गंभीरता से लेते हुए पार्टी के जिला स्तरीय नेताओं, रायशुमारी के प्रभारियों से जवाब तलब कर सकते हैं.

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