प्रयागराज: फादर, मौलवी या मौलाना किसी को भी जबरन धर्मांतरण कराने का अधिकार नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा अपने आदेश में कहा कि बलपूर्वक, झूठ बोल कर, धोखाधड़ी, जबरदस्ती या प्रलोभन देकर किसी को धर्मांतरित करने पर यूपी धर्मांतरण विरोधी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह कोई भी हो. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह टिप्पणी गाजियाबाद के मौलाना मोहम्मद शाने आलम की जमानत अर्जी खारिज करते हुए की.
मौलाना मोहम्मद शाने आलम पर पीड़िता को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने और मुस्लिम व्यक्ति के साथ उसका निकाह कराने का आरोप है. पीड़िता की शिकायत पर शाने आलम के खिलाफ गाजियाबाद के अंकुर विहार थाने में धर्मान्तरण विरोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज है. पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया और निकाह कराया गया.
आरोपी के वकील ने कहा कि आरोपी ने मार्च 2024 में केवल पीड़िता का निकाह कराया था. उसका जबरन धर्म परिवर्तित नहीं किया. अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया. कहा कि पीड़िता ने अपने बयान में कहा है कि उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया. इसके बाद धर्म परिवर्तन आरोपी मौलाना ने करवाया.