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रुड़की में किसानों का जोरदार प्रदर्शन, गन्ने के बकाया भुगतान की मांग, रेल रोकने की दी चेतावनी - FARMERS PROTEST IN ROORKEE

हरिद्वार जिले के रुड़की में मंगलावर को किसानों ने सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया.

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भारतीय किसान यूनियन रोड का विरोेध प्रदर्शन. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 11, 2025, 9:35 PM IST

रुड़की:भारतीय किसान यूनियन रोड के बैनर तले आज मंगलवार 11 फरवरी को सैंकड़ो किसानों ने हरिद्वार जिले के रुड़की में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर धरना दिया. किसानों की मांग है कि इकबालपुर शुगर मिल पर गन्ने के भुगतान का करीब 200 करोड़ रुपए बकाया है, जिसका जल्द से भुगतान कराया है. इस दौरान भारतीय किसान यूनियन रोड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पदम सिंह रोड ने शासन-प्रशासन को चेतावनी भी दी. साथ ही बीजेपी सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की.

पदम सिंह रोड ने कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो किसान रेलवे ट्रैक पर कूच करेंगे और हरिद्वार, रूड़की व लक्सर में रेलवे स्टेशनों पर रेल रोकने से भी पीछे नहीं हटेंगें. कई घंटे चले धरना प्रदर्शन के बाद रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने किसानों के साथ बैठक की.

किसानों ने सरकार को दी रेल रोकने की चेतावनी. (ETV Bharat)

बैठक में रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट आशीष मिश्रा ने किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों का जल्द से जल्द निस्तारण किया जाएगा. रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट से मिले आश्वासन के बाद किसानों ने अपना धरना समाप्त किया. भारतीय किसान यूनियन रोड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पदम सिंह रोड ने कहा कि किसानों के महज चंद रुपयों के बकाया ट्यूबल बिल पर विद्युत विभाग गरीब किसानों को परेशान कर रहा हैं और साथ ही उनके कनेक्शन काटे जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि गन्ना मिलों पर किसानों का करीब 200 करोड़ों रुपए का बकाया है. इस साल भी कोई पैसा नहीं दिया गया. न ही गन्ने का मूल्य तय किया गया. गरीब किसानों का शोषण किया जा रहा है. किसानों ने ऐलान किया है कि यदि अभी भी उनकी मांगे पूरी नहीं की गई तो वह हरिद्वार, रुड़की और लक्सर रेलवे स्टेशनों पर जाकर धरना प्रदर्शन करेंगे और रेल रोकेंगे.

रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट आशीष मिश्रा ने कहा कि उनके स्तर पर जो भी समस्या हैं, उसका निस्तारण किया जाएगा. इसके अलावा जो समस्या उनके स्तर के बाहर की है कि उसको उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा. इस आश्वासन के बाद किसानों ने अपना धरना समाप्त कर दिया.

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