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हिमालय में धधक रही आग से पर्यावरणविद् चिंतित, पेयजल स्त्रोतों पर भी पड़ रहा असर - FOREST FIRE IN UTTRAKHAND

रुद्रप्रयाग में मदमहेश्वर घाटी सहित कई इलाकों के जंगलों में आग लगी है. ऐसे में पर्यावरणविद चिंतित नजर आ रहे हैं.

FOREST FIRE IN UTTRAKHAND
हिमालयी क्षेत्र में उठ रही आग की लपटें (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 11, 2025, 9:03 PM IST

रुद्रप्रयाग: फायर सीजन शुरू होने से पहले ही जिले के जंगल धूं-धूं कर जल रहे हैं. अभी तक एक दर्जन से अधिक जगहों पर आग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. जंगलों में लगी आग के कारण लाखों की वन संपदा राख हो चुकी है. आग की लपटे धीरे-धीरे जंगलों से ग्रामीण इलाकों तक पहुंच रही हैं, जबकि हिमालय क्षेत्र में भी आग की लपटें उठने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हो गए हैं और वे इसे भविष्य के लिए अशुभ संकेत बता रहे हैं. वहीं वन विभाग आगामी 15 फरवरी से शुरू होने वाले फायर सीजन की तैयारियां में जुटा हुआ है.

मदमहेश्वर घाटी के जंगलों में लगी आग: इन दिनों मदमहेश्वर घाटी के हिमालय क्षेत्र में आग का धुंआ उठ रहा है, जबकि जिले के कई इलाकों के जंगलों में लग रही आग से लोग भयभीत हैं. एक ओर जंगलों में लग रही आग के कारण वन संपदा को लाखों का नुकसान हो रहा है, तो वहीं हिमालयी क्षेत्र में आग लगने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं. वे इसका कारण मौसम में आए बदलाव को बता रहे हैं. पिछले कई सालों से मौसम में काफी बदलाव आ गया है. जिसका उदाहरण है कि समय पर बारिश और बर्फबारी नहीं हो रही है.

हिमालय में धधक रही आग से पर्यावरणविद् चिंतित (video-ETV Bharat)

आग की लपटों से जंगल हो रहे राख: स्थानीय निवासियों ने कहा कि पिछले कई वर्षों से मौसम में बदलाव आ रहा है. आग की घटनाएं समय से पहले देखने को मिल रही हैं. समय पर ना ही बारिश हो रही है और ना ही बर्फबारी हो रही है. जिससे बीमारियां भी हो रही हैं. उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. यहां भी आग की लपटों से जंगल राख हो रहे हैं.

पर्यावरण विशेषज्ञों ने जताई चिंता: पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में उठ रही आग की लपटों ने पर्यावरणविदों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. मदमहेश्वर घाटी के जंगल धूं-धूं कर जल रहे हैं. जिले के कई इलाकों के जंगलों में आग लगी हुई है. उन्होंने कहा कि जंगलों में आग लगने से अभी से गर्मी का अहसास होने लगा है. प्राकृतिक स्त्रोतों पर भी इसका बुरा असर दिख रहा है. दिन के समय 20 डिग्री तापमान हो रहा है. बारिश की कमी के चलते नमी भी खत्म हो गई है और आग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं.

केदारनाथ का 15,407 हेक्टेयर क्षेत्रफल अति संवेदनशील: आगामी 15 फरवरी से शुरू होने जा रहे वन विभाग का फायर सीजन 15 जून तक चलेगा. जिले में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग का 923 हेक्टेयर व केदारनाथ का 15407 हेक्टेयर क्षेत्रफल अति संवेदनशील व संवेदनशील है. दोनों वन प्रभागों में 66 प्रतिशत वन आरक्षित क्षेत्र है. जिसमें 20 प्रतिशत क्षेत्र चीड़ बाहुल्य क्षेत्र है. ऐसे में चीड़ की सूखी पत्तियों पर अधिक आग लगने की संभावनाएं रहती हैं. प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी आग की घटनाओं को रोकने के लिए विभाग जोर-शोर से तैयारियों में जुट गया है.

जिले में कुल 31 क्रू स्टेशन बनाए: जनपद में दो मुख्य कंट्रोल भी बनाए गए हैं, जहां से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा. इसके अलावा एक मोबाइल के साथ ही कुल 31 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. प्रत्येक क्रू स्टेशन में लगभग पांच वन कर्मियों को तैनात किया जाएगा. जिससे क्रू स्टेशन के आसपास के क्षेत्रों में होने वाली आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.

सेटेलाइट और फायर एप भी तैयार: उप प्रभागीय वनाधिकारी वन प्रभाग डीएस पुंडीर ने बताया कि जनपद में चारधाम यात्रा को देखते हुए खांकरा, रुद्रप्रयाग, जवाडी, अगस्त्यमुनि और गुप्तकाशी को पांच सेक्टर में बांटा गया है, जबकि एक मोबाइल क्रू स्टेशन और 31 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. उन्होंने कहा कि आग की घटना घटित होने पर इसकी सूचना तत्काल उपलब्ध हो, इसके लिए सेटेलाइट और फायर एप भी बना दिया गया है. जिसके माध्यम से तत्काल आग लगने की सूचना उपलब्ध हो जाएगी. इस बार जंगलों की आग बुझाने के लिए जन सहभागिता को माध्यम बनाया गया है.

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रुद्रप्रयाग: फायर सीजन शुरू होने से पहले ही जिले के जंगल धूं-धूं कर जल रहे हैं. अभी तक एक दर्जन से अधिक जगहों पर आग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. जंगलों में लगी आग के कारण लाखों की वन संपदा राख हो चुकी है. आग की लपटे धीरे-धीरे जंगलों से ग्रामीण इलाकों तक पहुंच रही हैं, जबकि हिमालय क्षेत्र में भी आग की लपटें उठने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हो गए हैं और वे इसे भविष्य के लिए अशुभ संकेत बता रहे हैं. वहीं वन विभाग आगामी 15 फरवरी से शुरू होने वाले फायर सीजन की तैयारियां में जुटा हुआ है.

मदमहेश्वर घाटी के जंगलों में लगी आग: इन दिनों मदमहेश्वर घाटी के हिमालय क्षेत्र में आग का धुंआ उठ रहा है, जबकि जिले के कई इलाकों के जंगलों में लग रही आग से लोग भयभीत हैं. एक ओर जंगलों में लग रही आग के कारण वन संपदा को लाखों का नुकसान हो रहा है, तो वहीं हिमालयी क्षेत्र में आग लगने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं. वे इसका कारण मौसम में आए बदलाव को बता रहे हैं. पिछले कई सालों से मौसम में काफी बदलाव आ गया है. जिसका उदाहरण है कि समय पर बारिश और बर्फबारी नहीं हो रही है.

हिमालय में धधक रही आग से पर्यावरणविद् चिंतित (video-ETV Bharat)

आग की लपटों से जंगल हो रहे राख: स्थानीय निवासियों ने कहा कि पिछले कई वर्षों से मौसम में बदलाव आ रहा है. आग की घटनाएं समय से पहले देखने को मिल रही हैं. समय पर ना ही बारिश हो रही है और ना ही बर्फबारी हो रही है. जिससे बीमारियां भी हो रही हैं. उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. यहां भी आग की लपटों से जंगल राख हो रहे हैं.

पर्यावरण विशेषज्ञों ने जताई चिंता: पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में उठ रही आग की लपटों ने पर्यावरणविदों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. मदमहेश्वर घाटी के जंगल धूं-धूं कर जल रहे हैं. जिले के कई इलाकों के जंगलों में आग लगी हुई है. उन्होंने कहा कि जंगलों में आग लगने से अभी से गर्मी का अहसास होने लगा है. प्राकृतिक स्त्रोतों पर भी इसका बुरा असर दिख रहा है. दिन के समय 20 डिग्री तापमान हो रहा है. बारिश की कमी के चलते नमी भी खत्म हो गई है और आग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं.

केदारनाथ का 15,407 हेक्टेयर क्षेत्रफल अति संवेदनशील: आगामी 15 फरवरी से शुरू होने जा रहे वन विभाग का फायर सीजन 15 जून तक चलेगा. जिले में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग का 923 हेक्टेयर व केदारनाथ का 15407 हेक्टेयर क्षेत्रफल अति संवेदनशील व संवेदनशील है. दोनों वन प्रभागों में 66 प्रतिशत वन आरक्षित क्षेत्र है. जिसमें 20 प्रतिशत क्षेत्र चीड़ बाहुल्य क्षेत्र है. ऐसे में चीड़ की सूखी पत्तियों पर अधिक आग लगने की संभावनाएं रहती हैं. प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी आग की घटनाओं को रोकने के लिए विभाग जोर-शोर से तैयारियों में जुट गया है.

जिले में कुल 31 क्रू स्टेशन बनाए: जनपद में दो मुख्य कंट्रोल भी बनाए गए हैं, जहां से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा. इसके अलावा एक मोबाइल के साथ ही कुल 31 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. प्रत्येक क्रू स्टेशन में लगभग पांच वन कर्मियों को तैनात किया जाएगा. जिससे क्रू स्टेशन के आसपास के क्षेत्रों में होने वाली आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.

सेटेलाइट और फायर एप भी तैयार: उप प्रभागीय वनाधिकारी वन प्रभाग डीएस पुंडीर ने बताया कि जनपद में चारधाम यात्रा को देखते हुए खांकरा, रुद्रप्रयाग, जवाडी, अगस्त्यमुनि और गुप्तकाशी को पांच सेक्टर में बांटा गया है, जबकि एक मोबाइल क्रू स्टेशन और 31 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. उन्होंने कहा कि आग की घटना घटित होने पर इसकी सूचना तत्काल उपलब्ध हो, इसके लिए सेटेलाइट और फायर एप भी बना दिया गया है. जिसके माध्यम से तत्काल आग लगने की सूचना उपलब्ध हो जाएगी. इस बार जंगलों की आग बुझाने के लिए जन सहभागिता को माध्यम बनाया गया है.

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