रतलाम :सरकार द्वारा सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 रुपए प्रति क्विंटल घोषित करने के बावजूद किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि मंडियों में औसत भाव 4000 से 4200 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है और इस दाम पर सोयाबीन बेचने से उन्हें प्रति क्विंटल 500 से 800 रुपए का नुकसान हो रहा है. किसान नेताओं का कहना है कि सोयाबीन को पील सोना कहा जाता है लेकिन इस पीले सोने की चमक त्योहारी सीजन में फीकी पड़ रही है क्योंकि लागत मूल्य के आधार पर सोयबीन का MSP 6000 रु प्रति क्विंटल होना चाहिए था पर ऐसा हुआ नहीं. वहीं जो दाम तय किए गए हैं मंडी में वो भी नहीं मिल रहे.
25 अक्टूबर तक उठाना होगा सोयाबीन पर नुकसान?
कृषि मंडियों में अब भी सोयाबीन 4500 रुपए प्रति क्विंटल से कम ही बिक रहा है. इस पर रतलाम के सोयाबीन उत्पादक किसान समरथ पाटीदार कहते हैं, '' सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन की घोषणा जरूर कर दी है लेकिन उसके बावजूद सोयाबीन 3800 से 4500 रु तक ही बिक रहा है. राज्य सरकार 25 अक्टूबर से 4892 पर सोयाबीन खरीदेगी. लेकिन उसके पहले किसानों को अपनी जरूरत के लिए सोयाबीन की फसल मंडियों में कम दाम पर बेचना पड़ रही.''
दिवाली सिर पर, किसान परेशान
सोयाबीन की एमएसपी 6000 रु प्रति क्विंटल जाने की मांग करने वाले किसान नेताओं का भी कहना है कि 6000 रु प्रति क्विंटल तो दूर सरकार अपनी स्वयं की घोषित एमएसपी पर भी किसानों का सोयाबीन नहीं बिकवा पा रही है. किसान नेता डीपी धाकड़ का कहते हैं, '' नवरात्रि के बाद अब दीपावली का त्योहार आने वाला है. लेकिन किसान अपनी फसल सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर बेचने के लिए या तो इंतजार कर रहे हैं या फिर सोयाबीन को 3500- 3800 और 4000 के दाम पर बेचने को मजबूर हैं. उस पर भी बारिश की वजह से सोयाबीन का उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित हुई है.''