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झारखंड में बढ़ी धान खरीद की रफ्तार, बावजूद जानिए क्यों किसान नहीं बेच पा रहे धान - PADDY PROCUREMENT IN JHARKHAND

झारखंड में धान खरीद की रफ्तार धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगी है. लेकिन किसान फिर भी धान नहीं बेच पा रहे हैं.

Paddy procurement in Jharkhand
नामकुम लैंपस (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 16, 2024, 7:41 PM IST

रांची:हेमंत सरकार धान खरीद को लेकर गंभीर है. लगातार दो साल सुखाड़ की वजह से कम पैदावार हुआ है, जिसका असर धान खरीद पर भी पड़ा है. ऐसे में इस बार राज्य सरकार को उम्मीद है कि वह धान खरीद के लिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहेगी. इन सबके बीच राज्य में 15 दिसंबर से शुरू हुई धान खरीद की गति धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है.

धान बिक्री के लिए निर्धारित 695 केंद्रों में से 16 दिसंबर तक 232 केंद्रों पर धान खरीद शुरू हो गई है, जिसमें निबंधित 2,33,678 किसानों में से 822 किसानों ने कुल 54,463.18 क्विंटल धान बेचा है. ईटीवी भारत ने नामकुम लैंपस में चल रही धान खरीद का जायजा लिया.

जानकारी देते संवाददाता भुवन किशोर झा (ईटीवी भारत)

इस दौरान ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते हुए मैनेजर नीरज कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित दर पर आज से धान खरीद शुरू कर दी गई है. इस बार धान बिक्री के 72 घंटे के अंदर किसानों को 50 फीसदी राशि उपलब्ध करा दी जाएगी.

  • धान अधिप्राप्ति की संख्या - 695
  • रजिष्टर्ड किसान - 2,33,678
  • अब तक(16 दिसंबर 24) धान बेचने वाले किसानों की संख्या - 822
  • अब तक (16 दिसंबर 24) खुले धान अधिप्राप्ति केन्द्र - 232
  • अब तक (16 दिसंबर 24) धान प्राप्ति - 54463.18 क्विंटल

धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य और सफलता

वर्ष लक्ष्य (क्विंटल में) प्राप्ति (क्विंटल में)
2018-19 40,00,000 22,74,044.65
2019-20 30,00,000 38,03,007.67
2020-21 60,85,000 62,88,529.11
2021-22 80,00,000 2,13,365.46
2022-23 36,30,000 17,16,078.88
2023-24 60,00,000 17,02,146.43
2024-25 60,00,000 --------------

धान बेचने को किसान तैयार मगर नहीं हो रहा निबंधन

एक तरफ राज्य सरकार किसानों को धान बेचने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे किसान हैं जो धान बेचना तो चाहते हैं लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण उन्हें बिचौलियों का सहारा लेना पड़ रहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए खिजरी की सुनीता कहती हैं कि रजिस्ट्रेशन के लिए कई बार ऑनलाइन आवेदन किया गया लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली.

नामकुम की महिला किसान अंजलि लकड़ा कहती हैं कि सरकार को धान खरीद की तारीख 15 दिसंबर की जगह नवंबर से रखनी चाहिए. आम तौर पर बिचौलिए नवंबर से ही धान खरीदना शुरू कर देते हैं. ऐसे में पैसे के कारण किसान सरकारी रेट की जगह तुरंत मिलने वाले पैसे का सहारा लेने को मजबूर हैं. इन सबके बीच सरकार ने इस साल धान खरीद के लिए व्यापक तैयारी करने का दावा किया है ताकि लक्ष्य हासिल किया जा सके और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने का मौका मिले.

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