कुरुक्षेत्र: पैसा कमाने के साथ चकाचोंद की जिंदगी जीने के लिए विदेश की तरफ रुख करने का इन दिनों काफी चलन है, लेकिन इस बीच कुछ नकारात्मक खबरें भी सामने आई जब सैकड़ों अवैध प्रवासियों को अमेरिका ने डिपोर्ट करके भारत भेज दिया. उनकी दर्द भरी कहानियां भी सबके सामने आई, कि किस प्रकार उनके परिजनों ने खेत और घर बेचकर या लोन लेकर उन्हें डंकी रूट से अमेरिका भेजा, लेकिन महज 15 दिन में ही अमेरिका ने उन्हें वापस स्वदेश भेज दिया. इस बीच हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में ऐसे युवा भी देखने को मिले हैं, जिनका विदेश जाने का सपना टूटा तो उन्होंने आधुनिक तरीके से खेती शुरू की, जिससे वो अब भारी मुनाफा कमा रहे हैं.
खेत में पॉलीहाउस बनाकर शुरू की आधुनिक खेती (Etv Bharat) ऐसे शुरू हुआ सफर : कुरुक्षेत्र जिले के मिर्जापुर गांव के रहने वाले संजीव ने बताया कि वो भी चकाचोंद से भरी जिंदगी जीने और पैसे कमाने के लिए विदेश जाना चाहते थे. उन्होंने कनाडा जाने के लिए दो बार प्रयास किया, लेकिन वो असफल हो गए. लेकिन उन्होंने दूसरे लोगों की तरह डंकी रूट का सहारा नहीं लिया. उन्होंने इससे यही सीख ली कि अब बस यहीं पर रहकर देश की माटी से ही पेट भरना है. उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर परंपरागत तरीके से खेती छोड़कर आधुनिक तरीके से खेती अपनाना शुरू किया, नतीजन आज वो लाखों रुपए प्रति माह कमा रहे हैं.
आधुनिक तरीके से सब्जियों की नर्सरी तैयार की (ETV Bharat)
3 एकड़ में लगाया पॉलीहाउस:गांव मिर्जापुर के युवा किसान संजीव ने बताया कि उसने तीन एकड़ में पोली हाउस लगाकर सब्जियों की खेती शुरू की. वह यहां पर हाईटेक तरीके से खेती कर रहे हैं और उन्होंने तीन एकड़ में पोली हाउस लगाया हुआ है. वहीं आधे एकड़ में एक पॉलीहाउस और लगाया जा रहा है, जिसमें आधुनिक तरीके से सब्जियों की नर्सरी तैयार होगी. वो अब दूसरे युवाओं को भी नसीहत दे रहे हैं कि यहीं रहकर अपना काम शुरू करें.
दूसरे जिलों में भी होती है इनकी सब्जियों की सप्लाई (ETV Bharat) दूसरे जिलों में भी होती है सप्लाई :संजीव ने बताया कि ज्यादातर वो खीरे की खेती कर रहे हैं जो पॉलीहाउस के अंदर लगाए जाते हैं, लेकिन अगर दूसरी फसल का समय बच जाता है तो वो उसमें टमाटर या शिमला मिर्च की खेती भी करते हैं. वो साल में दो बार खीरे की खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा तैयार की गई सब्जियों की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है, जिसके चलते खेत से ही उनकी सब्जियां खरीदने के लिए व्यापारी आते हैं और दूसरे जिलों में भी वो सब्जियां भेज रहे हैं.
एक एकड़ में करीब 10 हजार पौधे खीरे के लगाए जाते हैं (ETV Bharat) हर महीना कमा रहे 4 से 5 लाख रुपए :उन्होंने कहा कि एक फसल करीब तीन से चार महीने की होती है और उसमें उनका डेढ़ लाख से 2 लाख रुपए तक पूरा खर्चा आता है, जबकि उनका मुनाफा एक बार में 5 से 7 लाख तक का निकल जाता है. ऐसे में वह 3 एकड़ में एक महीने में चार से पांच लाख रुपए कमा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विदेश में बैठे हुए लोगों से भी ज्यादा घर पर मालिक बनकर कमा रहा हूं, फिर अमेरिका के सपने क्यों देखुं. उन्होंने कहा कि एक एकड़ में करीब 10 हजार पौधे खीरे के लगाए जाते हैं, जिससे 500 से 700 क्विंटल खीरा निकल जाता है.
28 लाख में लगाया पॉलीहाउस, आज लाखों कमा रहे (ETV Bharat) दूसरे लोगों को भी दिया रोजगार :संजीव का कहना है कि उन्होंने भारत में रहकर अपना काम शुरू करके न सिर्फ खुद के लिए रोजगार स्थापित किया है बल्कि यहां पर करीब 10 लोगों को स्थाई तौर पर रोजगार दिया हुआ है क्योंकि पॉलीहाउस में मजदूर का काम काफी होता है और परमानेंट उनके पास करीब 10 मजदूर रहते हैं जो उनकी निराई गुड़ाई से लेकर सब्जियों को तोड़ने और पैकिंग करने का काम करते हैं ऐसे में वह खुद भी पैसा कमा रहे हैं और दूसरों के परिवार को भी चला रहे हैं. उन्होंने युवाओं से अपील की कि वह इतने पैसे खर्च करके विदेश जाने की बजाय यहां पर रहकर ही अपना खुद का काम करें और उसमें सफल होकर अपने परिवार और गांव का नाम रोशन करें.
उपराष्ट्रपति से भी संजीव हो चुके सम्मानित (ETV Bharat) उपराष्ट्रपति से भी हो चुके सम्मानित : संजीव पिछले 3 सालों से पॉलीहाउस में खेती कर रहे हैं. आधुनिक तरीके से खेती करने के चलते 2023 में राज्य स्तरीय कृषि मेले में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के द्वारा संजीव को सम्मानित किया जा चुका है. इतना ही नहीं, तत्कालीन कृषि मंत्री जेपी दलाल के द्वारा भी उनको सम्मानित किया जा चुका है.
3 एकड़ में लगाया पॉलीहाउस (ETV Bharat) सरकार दे रही खेती और डेरी पर अनुदान : संजीव के पिता धर्मवीर मिर्जापुर ने कहा कि बहुत दुख की बात है कि हमारे भारतीय अमेरिका से वापस भेजे गए हैं, लेकिन अब युवाओं को भी सोचना चाहिए कि हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार युवाओं के लिए काम कर रही है. हरियाणा में जो युवा पढ़े लिखे हैं और मेहनत करते हैं, वह बिना पर्ची बिना खर्चे के नौकरी पर लग रहे हैं. अगर कोई नौकरी पर नहीं लग पाता तो वह सरकार के द्वारा चलाई हुई योजनाओं का लाभ ले सकते हैं. कृषि विभाग और डेयरी विभाग के द्वारा बहुत सी योजनाएं चलाई हुई है, जिसमें अनुदान दिया जाता है. उन्होंने कहा कि हमने 4000 स्क्वायर फीट में एक पॉलीहाउस लगाया है. इस पर करीब 28 लाख रुपए खर्च आया था, जिसमें 50% बागवानी विभाग के द्वारा अनुदान दिया गया है. ऐसे में जो युवा विदेश जाने की सोचते हैं, पहले यहां पर अपना काम शुरू करने की सोचे.
पॉलीहाउस की खेती में पानी की होती है बचत : धर्मवीर मिर्जापुर ने बताया कि पॉलीहाउस में आधुनिक तरीके से खेती की जाती है और यहां पर ड्रिप इर्रिगेशन से सिंचाई की जाती है. ऐसे में जो किसानों के सामने और आम लोगों के सामने पानी की समस्या बनी हुई है, वो भी इस विधि से दूर होती है, क्योंकि यहां पर बहुत कम पानी खेती में लगता है.
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