लखनऊ:चर्चित IPS आनंद कुमार मंगलवार को रिटायर हो गए. वर्ष 1988 में यूपीएससी पास कर आईपीएस बनने वाले आनंद की पहली पोस्टिंग हैदराबाद में बतौर एएसपी हुई. इसके बाद हैदराबाद से यूपी आए फिर कई जिलों में तैनाती के बाद उन्हें मुजफ्फरनगर व मेरठ जैसे जिलों में कप्तानी मिली. योगी सरकार में एडीजी कानून व्यवस्था की कमान मिलने पर यूपी में माफियाओं पर शिकंजा कसा और जब यूपी की जेलों की जिम्मेदारी मिली तो जेल के अंदर कैदियों की आय्यशी पर लगाम लगाई. हालांकि बाद में अब्बास अंसारी की अवैध मुलाकातों पर उन्हें योगी की सरकार की नाराजगी भी झेलनी पड़ी. करीब 36 वर्ष की पुलिस सेवा के बाद डीजी सीबीसीआईडी आनंद कुमार रिटायर हो गए.
नौकरी के दौरान हमेशा चर्चा में रहे आनंद कुमार
वर्ष 1988 बैच के आनंद कुमार अपने पुलिस सेवा के दौरान कई बार चर्चा में रहे. दो बार तो आनंद कुमार डीजीपी पद के लिए टॉप पर चले लेकिन ऐन मौके पर बाजी कोई और मार ले गया. आखिरी में चर्चा में आनंद कुमार तब आए जब जेल में अब्बास अंसारी और अतीक के भाई अशरफ की अवैध मुलाकातों का खुलासा हुआ और जेल प्रशासन को भनक ही नहीं लगी. तब सीएम योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी दिखाते हुए आनंद कुमार को साइड पोस्टिंग दी थी.
मूल रूप से पटना के रहने वाले हैं
आनंद कुमार मूल रूप से बिहार के पटना के रहने वाले हैं. उनका जन्म 4 अप्रैल 1964 को हुआ था. आनंद कुमार के पिता एसके श्रीवास्तव सरकारी सेवा में थे. उनकी प्रारंभिक पढ़ाई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से हुई और फिर हायर एजुकेशन के लिए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में एडमिशन लिया. जहां से उन्होंने इतिहास में ग्रेजुएशन किया. उन्होंने मास्टर्स भी इतिहास में ही किया है और दिल्ली यूनिवर्सिटी में टॉप किया. इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी की और वर्ष 1988 में आईपीएस अफसर बने. यूपी में मुरादाबाद, गोरखपुर, गाजियाबाद में एएसपी के पद पर रहे.
इन पदों पर रहे
आनंद कुमार को मेरठ, मुजफ्फरनगर और रायबरेली जिले में पुलिस कप्तानी भी मिली. कुछ समय के लिए वो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए और फिर एयरपोर्ट ऑथरिटी में बतौर सिक्योरिटी डायरेक्टर रहे. बाद में वे सहारनपुर, लखनऊ के डीआईजी और सहारनपुर में आईजी बने. यूपी में योगी सरकार बनी और आनंद कुमार को एडीजी कानून व्यवस्था बनाया गया. इस दौरान उन्होंने सपा सरकार में बिगड़ी कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई सख्त फैसले लिए थे. इसके बाद उन्हें डीजी जेल भी बनाया गया, जहां उन्होंने जेल के अंदर चल रही अपराधियों की मौज पर लगाम लगाई. सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगवाए, मुलाकातों के सख्त नियम लागू करवाए.
जब झेलनी पड़ी सरकार की नाराजगी
सख्त अफसरों में एक आनंद कुमार ने अपनी नौकरी के दौरान चढ़ाव दे. एक दौर ऐसा भी आया जब उन्हें योगी सरकार की नाराजगी का सामना करना पड़ा. एक तरफ जब मुख्तार अंसारी और उसके परिवार पर योगी सरकार सख्त कार्रवाई कर रही थी, उसी दौरान चित्रकूट जेल में बंद मुख्तार के विधायक बेटे अब्बास अंसारी से उसकी पत्नी निकहत की मुलाकात की बातें सामने आईं. ये भी सामने आया कि मुलाकात के बादले महंगे गिफ्ट दिए गए. चित्रकूट पुलिस ने इसका भंडाफोड़ किया और जेल अफसरों को गिरफ्तार किया गया. इतना ही नहीं, प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड की साजिश का तानाबाना बरेली जेल में बुना गया, यहां अतीक का भाई अशरफ अपने गुर्गों से मुलाकात करता रहा. तब भी जेल मुख्यालय को भनक तक नहीं लग सकी. जिसके बाद योगी सरकार ने आनंद कुमार को जेल विभाग से हटा साइड पोस्टिंग दे दी. हालांकि कुछ ही दिनों में नाराजगी दूरी हुई और फिर उन्हें डीजी सीबीसीआईडी बनाया गया.
साइबर अपराधियों से मोर्चा लेने वाले IPS सुभाष चंद्रा भी रिटायर
मंगलवार को आनंद कुमार के अलावा 1990 बैच के आईपीएस सुभाष चंद्रा भी रिटायर हुए. सुभाष चंद्रा मौजूदा समय डीजी साइबर क्राइम के पद पर तैनात थे. यूपी में साइबर क्राइम से निपटने के लिए कई बड़े फैसलों के पीछे सुभाष चंद्रा ही थे. यूपी में पहले हर मंडल फिर हर जिले में साइबर क्राइम थाना खोलना, हर थाने में साइबर हेल्प डेस्क का संचालन, यूपी पुलिस के जवानों को हाईटेक साइबर ट्रेनिंग जैसे कई अहम कदम सुभाष चंद्रा ने उठाए थे.
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