बैतूल। विधानसभा चुनाव से पहले शासकीय सेवा में डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा देकर चर्चित हुईं पूर्व अधिकारी निशा बांगरे एक बार फिर चर्चा में हैं. चुनाव के पूर्व राज्य शासन द्वारा उनका इस्तीफा समय पर स्वीकार ना किए जाने को लेकर उन्होंने न्यायालय की शरण भी ली थी, लेकिन अंतिम क्षणों में कांग्रेस ने जिले की आमला विधानसभा सीट पर उनके स्थान पर 2018 में चुनाव हारे मनोज मालवे पर विश्वास किया और मैदान में उतार दिया, लेकिन मनोज मालवे भी चुनाव हार गए. इस दौरान निशा बांगरे को कांग्रेस ने पहले महामंत्री और बाद में प्रदेश मुख्य प्रवक्ता बनाया, लेकिन प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभालने से पूर्व ही निशा बांगरे का कांग्रेस से मोहभंग हो और उन्होंने कांग्रेस को जलता हुआ घर बताते हुए इस्तीफा दे दिया.
पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने रविवार को कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को पत्र भेजकर पार्टी के सभी दायित्वों से मुक्त करने को कहा है. निशा ने इसके साथ ही कांग्रेस पर उन्हें धोखा देने और षड़यंत्र कर चुनाव लड़ने से रोकने का आरोप भी लगाया है. जीतू पटवारी को आज भेजे गए पत्र में निशा ने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
कांग्रेस पर धोखा देने का लगाया आरोप
दो पन्नों के पत्र में निशा बांगरे ने कहा कि 'मैं समझती थी कि कांग्रेस से चुनाव लड़कर समाज के शोषित पीड़िता और वंचित लोगों का प्रतिनिधित्व कर बाबा साहब के सपनों को साकार कर सकूंगी, लेकिन पिछले 6 महीने से कांग्रेस की नीयत को करीब से आंकलन कर मैंने यह पाया कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे विधानसभा में टिकट देने का वादा किया. निशा ने लिखा कि 229 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए और एक सीट आमला मेरे लिए होल्ड पर रखने का केवल दिखावा कर समाज का वोट बटोरना चाहा. खुद षडयंत्र कर मुझे चुनाव लड़ने से रोका. पुन: मुझे लोकसभा में टिकट देने का भरोसा दिया गया, लेकिन इसमें भी वादाखिलाफी की गई. बाबा साहब ने कहा था कि कांग्रेस जलता हुआ घर है, मैंने यह महसूस भी किया. कांग्रेस ने बाबा साहब को कभी टिकट नहीं दिया, बल्कि उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़े करके उन्हें चुनाव में हरा दिया. कांग्रेस ने न्याय तब भी नहीं किया था और कांग्रेस न्याय अब भी नहीं कर पा रही है.'
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