जयपुर.लोकसभा चुनाव के नतीजों और मंत्रिमंडल गठन के बाद अब सबको लोकसभा स्पीकर के नाम की घोषणा का इंतजार है. इस बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि आगे जाकर भाजपा का कोई अलोकतांत्रिक कृत्य करने का इरादा नहीं है, तो लोकसभा स्पीकर का पद सहयोगी दलों को ही देना चाहिए. साथ ही उन्होंने एनडीए में भाजपा के सहयोगी दलों जनता दल यूनाइटेड और तेलुगु देशम पार्टी को कुछ उदाहरण देकर चेताया भी है.
दरअसल, अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'लोकसभा स्पीकर पद के चुनाव की ओर केवल टीडीपी एवं जेडीयू ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता उत्सुकता से देख रही है. यदि भाजपा के मन में आगे जाकर कोई भी अलोकतांत्रिक कृत्य करने का इरादा नहीं है, तो उन्हें स्पीकर का पद किसी सहयोगी दल को ही देना चाहिए.'
पढ़ें:राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने वाले ओम बिरला क्या दोबारा बन पाएंगे स्पीकर ?, तोड़ पाएंगे बलराम जाखड़ का रिकॉर्ड... जानें क्या बन रहे हैं समीकरण
भाजपा को याद दिलाया गठबंधन धर्म: भाजपा को गठबंधन धर्म की याद दिलाते हुए इसी पोस्ट में अशोक गहलोत ने लिखा, 'गठबंधन धर्म को निभाते हुए 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में तेलुगु देशम पार्टी व शिवसेना के स्पीकर और यूपीए सरकार में 2004 से 2009 तक सीपीआई (एम) के स्पीकर रहे और अच्छे से लोकसभा का प्रबंधन हुआ.
पढ़ें:18वीं लोकसभा: संसद का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा, नवनिर्वाचित सदस्य शपथ ग्रहण करेंगे - PARLIAMENT SESSION
टीडीपी और जेडीयू को याद दिलाए 'षड़यंत्र': एनडीए में भाजपा के सहयोगी टीडीपी और जेडीयू को चेताते हुए गहलोत ने कहा, 'टीडीपी और जेडीयू को महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश एवं राजस्थान में भाजपा द्वारा किए गए सरकार गिराने के षड़यंत्रों को नहीं भूलना चाहिए. इनमें से कई राज्यों में तो स्पीकर की भूमिका के कारण ही सरकार गिरी और पार्टियां टूटीं. 2019 में टीडीपी के 6 में से 4 राज्यसभा सांसद भाजपा में शामिल हो गए थे और तब टीडीपी कुछ भी नहीं कर सकी थी. अब अगर भाजपा लोकसभा स्पीकर का पद अपने पास रखती है, तो टीडीपी और जेडीयू को अपने सांसदों की हॉर्स ट्रेडिंग होते देखने के लिए तैयार रहना चाहिए.'