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जेएमएम नेता सुदिव्य ने कहा- तिनके को नाव समझकर पकड़ रही भाजपा, निर्दलीय से डर गए बाबूलाल

जेएमएम पहले चरण के बाद दूसरे चरण जीतने की बात कह रही है. इनका कहना है कि हेमंत सोरेन को पूरा समर्थन मिल रहा है.

ETV Bharat exclusive interview with JMM candidate Sudivya Kumar regarding Jharkhand assembly elections 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 5 hours ago

गिरिडीहः झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए प्रचार समाप्ति पर है. दो दिन बाद मतदान होना है. ऐसे में चुनाव में इंडिया गठबंधन की कैसी स्थिति है. जनता का मिजाज क्या जेएमएम समझ सकी है. गिरिडीह के छह सीटों पर कैसा रहेगा प्रदर्शन.

इन सवालों का जवाब झामुमो विधायक सह गिरिडीह के प्रत्याशी सुदिव्य कुमार ने दिया. सुदिव्य से ईटीवी संवाददाता अमरनाथ सिन्हा ने बातचीत की. इस खास बातचीत में उन्होंने कई सवालों का बेबाकी से जवाब दिया. इसके साथ ही कई मसलों पर उन्होंने रोशनी भी डाली.

झामुमो प्रत्याशी सुदिव्य कुमार के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत (ETV Bharat)

सवाल: अंतिम चरण में चुनाव प्रचार है, क्या स्थिति लग रही है

इस सवाल के जवाब में झामुमो प्रत्याशी सुदिव्य कुमार ने कहा कि अंतिम चरण में चुनाव प्रचार है लेकिन फैसला प्रथम चरण में हो गया. प्रथम चरण में जब महिला मतदाताओं का प्रतिशत 4.59 बढ़ गया पुरुषों मुकाबिल तो यह स्पष्ट हो गया कि हेमंत सरकार की जनापेक्षि योजनाएं खासकर महिला केंद्रित योजनाओं का प्रभाव धरातल पर गया है. जिसके चलते महिलाओं ने उत्साहित होकर मतदान किया है. अगर झारखण्ड की माताओं और बहनों का आशीर्वाद पहले चरण में है तो दूसरे चरण में भी रहेगा.

चूंकि मंईया सम्मान योजना की व्यापकता तो पूरे राज्य में है. जिसका लाभ गरीब-गुरबों तक पहुंचा है और उनके आशीर्वाद से यह सरकार पांच साल चली है. जिससे हमें लगता है कि इसका फायदा इंडिया गठबंधन को मिलेगा.

सवाल: भाजपा लगातार मंईयां सम्मान योजना को लेकर सवाल उठा रही है

इस पर उन्होंने भाजपा पर ही कटाक्ष करते हुए कहा कि वादा तो 2014 में अच्छे दिनों का भी था, 15-20 लाख रुपया यूं ही खाते में आ जाएंगे इसका भी था. देश की जनता तो यह भी जानना चाहती है कि 10 वर्षों के बाद 15 लाख रुपया किसके किसके खाते में आए. वादा तो 2022 तक सब के सिर पर पक्की छत का था, वादा तो किसानों की आय दोगुनी करने का था, वादा तो एक सौ स्मार्ट सिटी का भी था.

मेरा यह कहना है कि मेहमान को खाने में साग-सब्जी कब देना है यह घर के मालिक के विचार पर निर्भर है. हमलोगों ने सरकार आपके द्वार वन प्वाइंट ओ के तहत सर्वजन पेंशन योजना दी. पूरी देश की यह यूनिवर्सल पेंशन योजना रही जो उम्र आधारित थी जाती आधारित नहीं थी. हमलोगों ने सरकार टू प्वाइंट ओ में सावित्री बाई फूले योजना दी जो हमारी बच्चियों के लिए थी. सूबे के आठ लाख लोगों को अबुआ आवास दिया और सभी वर्ग को दिया. हमलोगों सरकार बनते ही योजना देना शुरू कर दिया. अब कौन योजना कब देनी है यह तय भारतीय जनता पार्टी नहीं करेगी.

सवाल: चुनाव प्रचार जाति धर्म पर चला गया. राहुल गांधी हो या अमित शाह सभी इसी दिशा में चले गए

मैं तो इस बारे में नहीं कहूंगा, हां भारतीय जनता पार्टी के कॉर्पोरेट बॉम्बिंग का जो कंटेंट होता है वह फूट डालो राज करो पर चलता. यदि समाज में फूट डालना है तो किसी काल्पनिक शत्रु का भय खड़ा करना होगा. अब दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि शायद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भूगोल नहीं पढ़ा. आठवीं क्लास के एक बच्चे से यदि हिंदुस्तान का नक्शा देकर पूछेंगे कि बताओ कि झारखंड की सीमा किसी अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती है तो वो बोलेगा कि क्या बेतूका सवाल कर रहे हो.

ऐसे में सवाल यह है कि जब झारखंड की सीमा किसी अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगती नहीं है तो घुसपैठ का जवाबदेह झारखंड सरकार कैसे हो सकती है. भारत की सीमाएं गृह मंत्रालय के अधीन बीएसएफ के द्वारा संरक्षित हैं. अगर इनफील्ट्रेशन हो रहा है तो जवाबदेह गृह मंत्रालय है. भटकाव तब आता है जब आपका आत्मविश्वास समाप्त हो जाता है. जब आपके पास आत्मविश्वास नहीं रहता है कि जो हम बोल रहे हैं जनता उसे मान लेगी तब आप (भाजपा) एक साथ कई एक मुद्दे की बात शुरू कर देते हैं.

आप भ्रष्टाचार की बात करते हैं तो आपकी बातों को हाई कोर्ट खारिज कर देती है. आप बांग्लादेशी घुसपैठ की बात करते हैं तार्किक तौर पर वर्ष 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई. अब जो आंकड़े 2024 में झारखंड की जनता के गले में ठूंस रहे हैं जनता उसे पचा नहीं पा रही. जब 2011 के बाद जनगणना हुआ ही नहीं तो आप कैसे बता सकते हैं कि किसी समुदाय की आबादी बढ़ गई या घट गई. गैर तार्किक बातों से जनता को बरगलाने की कोशिश कामयाब नहीं होगी.

सवाल: धनवार में निरंजन राय का जाना जेएमएम पर कितना असर डालेगी

इसके सवाब में सुदिव्य कुमार ने कटाक्ष करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग इतना डरे हुए हैं कि हर तिनके को वे नाव समझकर पकड़ ले रहे हैं. चंपाई सोरेन को नाव समझकर पकड़ लिया कि पूरा कोल्हान जीत जाएंगे अब उनकी खुद की सरायकेला की सीट फंसी हुई है. सरायकेला की सीट जीत जाते हैं तो एक चमत्कार से काम नहीं होगा. अब धनवार में झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री के समक्ष या स्थिति आ गई की एक निर्दलीय से उनको भय हो गया.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे को निर्दलीय प्रत्याशी के पास जाना पड़ा और गृहमंत्री के मंच पर लाकर उन्हें बैठाना पड़ा. यह दिख रहा है कि धनवार की जनता उनके (बाबूलाल मरांडी) के बारे में क्या सोचती है. ठीक है निर्दलीय प्रत्याशी को निश्चित तौर पर भाजपा के पक्ष में शामिल करवा लिया गया लेकिन शामिल होने के बाद जनता के द्वारा जो नारे हेमंत सोरेन के पक्ष में लगाए जा रहे थे उन नारों ने धनवार की जनता के मनोभाव को प्रकट कर दिया है.

भाजपा नेता ले जा सकती है, जनता को नहीं ले जा सकते हैं. बड़ी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष, इतने बड़े कद के नेता, यदि निर्दलीय प्रत्याशी से डर रहा है तो यह बतलाता है कि उनके पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई है. यह तो बाबूलाल मरांडी की राजनीतिक हार है मुझे लगता है कि बाबूलाल यदि खुद को राजनीतिक सिद्धांत के व्यक्ति कहते हैं तो उन्हें अभी चुनाव से नाम वापस ले लेना चाहिए.

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