बस्तर:छत्तीसगढ़ मेंसच्ची प्रेम कहानी के बारे में जब जब बात होती है, झिटकु मिटकी का नाम जरूर लिया जाता है. बस्तर के इस प्रेमी जोड़े ने प्यार की खातिर अपनी जान दे दी और हमेशा के लिए अमर हो गए. आज के दौर में कुंवारे और शादीशुदा जोड़े प्यार और एक दूसरे का साथ बनाए रखने की मन्नत मांगते हुए झिटकू मिटकी का आशीर्वाद लेते हैं. प्रेम के प्रतीक के तौर पर उनकी मूर्तियां अपने पास रखते हैं.
बस्तर के झिटकू मिटकी का अमर प्रेम, जिनकी याद में आधुनिक युग में लोग धातु कला बनाते हैं, यह कला अनमोल है और लोग इसे अपने घरों में स्थापित करते हैं. बस्तर के कलाकार झिटकू मिटकी की मूर्तियां बनाते हैं, जो दूर दूर तक मशहूर हैं. झिटूक मिटकी की याद में मेले लगते हैं, उन्हें राजा-रानी का दर्जा प्राप्त है. हालांकि इस प्यार का अंत इंसानी रूप में हुआ. हाल ही में झिटकु मिटकी पर एक छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाई गई जो वैलेंटाइन वीक के पहले दिन 7 फरवरी को रिलीज हुई.
छत्तीसगढ़ की अमर प्रेम कहानी (ETV Bharat Chhattisgarh)
कौन हैं झिटकू मिटकी:बस्तर के जानकार अविनाश प्रसाद ने झिटकु मिटकी की कहानी बताई. उन्होंने बताया कि कोंडागांव जिला मुख्यालय से लगभग 50 से 60 किलोमीटर दूर विश्रामपुरी मार्ग में एक पेन्ड्रावन गांव है. मिटकी इस गांव की रहने वाली थी. मिटकी के सात भाई थे. सात भाइयों की इकलौती बहन मिटकी को भाई बहुत प्रेम करते थे. हर रोज सुबह उठने के बाद सातों भाई सबसे पहले मिटकी का चेहरा देखते थे. भाइयों के प्रेम की छांव में मिटकी बड़ी हुई. समय इसी तरह गुजरता चला गया. इसी दौरान गांव में एक मेला लगाया गया. इस मेले में मिटकी की मुलाकात झिटकु से हुई. पहली ही नजर में दोनों के बीच प्यार हो गया.
झिटकु मिटकी की अमर प्रेम कहानी (ETV Bharat Chhattisgarh)
सातों भाइयों ने घर जमाई बनकर रहने की रखी शर्त: झिटकु पड़ोसी गांव का रहने वाला था. दोनों के बीच अक्सर मुलाकात होने लगी और उनका प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों ने साथ जीने मरने की कसमें खाई. झिटकु ने मिटकी के भाइयों से मिटकी से शादी करने की इच्छा जाहिर की. मिटकी के भाइयों ने झिटकु के सामने घर जमाई बनकर रहने की शर्त रखी. चूंकि झिटकु अकेला था, उसका कोई परिवार नहीं था तो वह मिटकी से बहुत प्यार करता था इसलिए तुरंत इसके लिए राजी हो गया. इस तरह झिटकु मिटकी की शादी हो गई.
झिटकु ने गांव में ही मिटकी के लिए एक अलग मिट्टी का घर बनाया. दोनों खुशी खुशी रहने लगे. शादी के बाद दोनों का जीवन उत्साहमय आनंदपूर्वक चल रहा था. लेकिन मिटकी के भाइयों को अक्सर ये बात खलती थी कि एक गांव में रहने के बाद भी उनकी बहन दूसरे घर में रह रही है.
मिटकी के भाइयों ने की झिटकु की हत्या (ETV Bharat Chhattisgarh)
तांत्रिक ने कही गांव के बाहरी व्यक्ति की नरबलि की बात:इसी बीच गांव में अकाल पड़ा. गांव का एकमात्र तालाब का पानी सूख गया. गांव वालों ने इसका कारण तलाशना शुरू किया. गांव में तांत्रिक बुलाया गया. तांत्रिक ने बताया कि तालाब में नर बलि देने पर इसका पानी नहीं सूखेगा और हमेशा तालाब में पानी भरा रहेगा. तांत्रिक ने ये भी कहा कि गांव के बाहरी व्यक्ति की नर बलि देनी पड़ेगी. जिसके बाद गांव के लोगों ने सातों भाइयों को ये कहकर भड़काया कि झिटकु गांव से बाहर का है, उसकी बलि देने पर ना सिर्फ गांव के तालाब में पानी आ जाएगा बल्कि उनके और आसपास के गांवों में भी इनकी प्रसिद्धि हो जाएगी.
सात भाइयों ने मिलकर बहन के पति की ली जान, बहन की भी गई जान: जिसके बाद एक दिन बारिश हुई और बारिश के दौरान गांव के लोगों में मिटकी के भाइयों के साथ मिलकर तालाब किनारे झिटकु की हत्या कर दी. इधर घर में मिटकी, झिटकु का इंतजार करती रही. लेकिन झिटकु रातभर घर नहीं पहुंचा. अगले दिन ढूंढते ढूंढते मिटकी तालाब के पास पहुंची, तालाब के कीचड़ में मिटकु का शव देखा. झिटकु की मौत को मिटकी सहन नहीं कर पाई और उसने भी उसी तालाब में झिटकु के करीब अपनी जान दे दी.
कोंडागांव के पेंड्रावन की कहानी (ETV Bharat Chhattisgarh)
झिटकू मिटकी का अमर प्रेम: बस्तर के जानकार व वरिष्ठ पत्रकार अविनाश प्रसाद बताते हैं कि मिटकी को गपा देवी कहा जाता है. इसके पीछे मान्यता है कि मिटकी जब झिटकु को ढूंढते हुए तालाब किनारे पहुंची थी तो उसके पास गपा यानी टोकरी थी, जिससे उसे गपा देवी कहा जाने लगा. वहीं झिटकु का शव जिस जगह पर मिला वहां खोड़िया देव की गुड़ी थी इसलिए उसे खोड़िया राजा कहा जाने लगा.
झिटकू मिटकी की मूर्तियां देश विदेश में मशहूर:बस्तर के जानकार व वरिष्ठ पत्रकार अविनाश प्रसाद ने बताया कि बस्तर एक अलग संसार है. इस वजह से यहां की प्रेम कहानी भी सबसे अलग है. यहां जब दो लोगों के प्रेम की बात आती है तो यहां दो ही नाम जाने जाते हैं. ये नाम हैं झिटकु मिटकी. झिटकु मिटकी का शास्वत अमर प्रेम था. उनकी मौत के बाद आज इनकी पूजा की जाती है. उनके नाम पर मेले मंडई आयोजित किए जाते हैं. आज यहां के पारंपरिक कलाकार बेल मेटल में उनकी मूर्तियां बनाते हैं. जिसे देश विदेश के लोग बस्तर से अपने साथ लेकर जाते हैं.