गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले के हथुआ प्रखंड के बरवा कपरपुरा गांव निवासी डॉ. सत्य प्रकाश एक ऐसे शिक्षक है, जो बच्चों के साथ साथ पेड़-पौधों का भी ख्याल रखते हैं. एक ओर बच्चों को शिक्षा प्रदान कर उनका जीवन संवार रहे हैं, तो दूसरी ओर पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण को बचाने की कोशिश में जुटे हैं. उनकी इस यात्रा के पीछे एक मार्मिक कहानी छिपी है.
बेटी की मौत के बाद जीवन में नया मोड़: सत्य प्रकाश ने अब तक एक लाख से अधिक पेड़-पौधे लगाकर एक अनूठी मिसाल पेश की है. उन्होंने इकलौती बेटी की मौत के बाद पेड़ को ही अपनी संतान बना ली. सत्य प्रकाश ने 'पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ' के नारे को सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि अपने जीवन का मिशन बना लिया है. दरअसल सत्य प्रकाश की इकलौती बेटी की मौत ने उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ ला दिया जिससे उन्होंने पेड़ों के प्रति अपने प्रेम को समर्पित कर दिया.
कैसे हुई थी मौत ? : पर्यावरण प्रेमी सत्यप्रकाश ने बताया कि उनकी बेटी जब एक साल चार माह की थी, तभी वह खेलने के दौरान 20 अक्टूबर 2021 को पानी भरे टब में गिर गई थी. जब तक उसे कोई देख पाता तब तक उसकी स्थिति काफी खराब हो गई. कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई.
बेटी की मौत के बाद पर्यावरण से प्यार: सत्य प्रकाश बताते हैं कि बेटी के निधन के गम को उन्होंने पेड़ों की सेवा में लगा दिया. उन्होंने महसूस किया कि पेड़ भी इंसानों की तरह ही जीवन देते हैं. वे ऑक्सीजन देते हैं, मिट्टी को बांधते हैं और पर्यावरण को संतुलित रखते हैं. जिसके बाद उन्होंने पेड़ लगाने का बीड़ा उठाया और धीरे-धीरे यह उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया. उन्होंने अपने गांव के लोगों को भी पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया है.
"मैं पहले ट्यूशन पढ़ा कर परिवार का भरण पोषण करता था. उस वक्त भी अपनी कमाई से मैं दस प्रतिशत पर्यावरण के लिए निकाल देता था. जो भी काम किया उससे प्राप्त होने वाले आमदनी का दस प्रतिशत निकालकर पेड़-पौधे लगाता था, ताकि यह अभियान रुके नहीं. बेटी की मौत के बाद पर्यावरण के ज्यादा करीब आ गया और पेड़-पौधे लगाने लगा."-सत्य प्रकाश, पर्यावरण प्रेमी शिक्षक