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मोहन यादव सरकार से जागी कर्मचारियों की उम्मीद, बिना प्रमोशन नहीं होगा कोई रिटायर्ड - MP Employees Waiting Promotion

मध्य प्रदेश में कई कर्मचारी बिना प्रमोशन मिले रिटायर्ड हुए जा रहे हैं. उन्हें प्रमोशन का लाभ ही नहीं मिल पा रहा. प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा कोर्ट में चल रहा है. हालांकि इस बीच पूर्व की शिवराज सरकार ने कई समिति गठित की लेकिन कोई लाभ नहीं मिला, वहीं अब कर्मचारियों को प्रदेश की मोहन यादव सरकार से उम्मीद है.

MP EMPLOYEES WAITING PROMOTION
मोहन यादव सरकार से जागी कर्मचारियों की उम्मीद (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 1, 2024, 3:43 PM IST

भोपाल: प्रमोशन को लेकर राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए ताजा नियम ने प्रदेश के साढ़े 7 लाख कर्मचारियों के जख्म को फिर हरा कर दिया है. प्रदेश कर्मचारी पिछले 8 सालों से बिना पदोन्नति के ही रिटायर्ड होते जा रहे हैं. इन सालों में करीबन 1 लाख 20 हजार कर्मचारी रिटायर्ड हो गए, लेकिन इन्हें प्रमोशन का लाभ सरकार नहीं दे पाई. प्रमोशन में आरक्षण के नियमों में उलझे कर्मचारियों का यह मुद्दा कोर्ट और सरकार के बीच उलझा हुआ है, लेकिन प्रदेश के तमाम आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को इस दौरान लगातार प्रमोशन का लाभ मिल रहा है. कर्मचारियों को अब प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से इस दिशा में निर्णय लेने की उम्मीद है.

तीन सरकारें बदली, नहीं निकला हल

प्रमोशन में आरक्षण का यह मुद्दा पिछले करीबन 8 सालों से उलझा हुआ है. साल 2016 में जबलपुर हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम 2002 को निरस्त कर दिया था. इसके बाद 2 बार शिवराज सरकार, फिर कांगेस की कमलनाथ सरकार और अब मोहन सरकार आ चुकी है, लेकिन कर्मचारियों का पदोन्नति का मुद्दा नहीं सुलझा सका है. हालांकि शिवराज सरकार द्वारा इस दौरान समिति गठित कर सीनियर एडवोकेट्स से नियम भी तैयार कराए, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ. पदोन्नति का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट पूर्व में कह चुकी है कि पदोन्नति पर फिलहाल कोई रोक नहीं है. यहां तक कि कुछ प्रकरणों में कर्मचारियों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर पदोन्नति का लाभ मिल भी चुका है.

प्रमोशन में आरक्षण में कब क्या हुआ

30 अप्रैल 2016: मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 को खारिज कर दिया. सरकार को आदेश दिया कि वह नए नियम बनाए. हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया.

9 दिसंबर 2020: कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए शिवराज सरकार द्वारा प्रशासन अकादमी के तत्कालीन महानिदेशक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया. समिति से 15 जनवरी 2021 तक अनुशंसा मांगी गई. समिति ने अपनी अनुशंसा सरकार को सौंप दी.

13 सितंबर 2021: प्रदेश के तत्कालीन गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल उपसमिति गठित की गई. समिति ने सरकार को अपनी अनुशंसा दे दी. इसमें विभागों में कार्यवाहक पदोन्नति का रास्ता निकाला गया, लेकिन कर्मचारी इससे खुश नहीं हैं.

कोर्ट से मिल रहा पदोन्नति का लाभ

कर्मचारियों को उम्मीद है कि मौजूदा मोहन सरकार से प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर कोई ठोस रास्ता निकल सकता है. हालांकि कोर्ट ने पदोन्नति के मामले में रोक नहीं लगाई है, लेकिन राज्य सरकार इसका लाभ भी नहीं दे रही. प्रदेश के कई विभागों के कर्मचारी पदोन्नति के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं और उन्हें इसका लाभ भी मिल रहा है. स्कूल शिक्षा विभाग, नगर निगम, पशुपालन विभाग के कर्मचारी पदोन्नति को लेकर याचिकाएं लगा चुके हैं. हाल में ही 21 मार्च को नगरीय निकाय के असिस्टेंट इंजीनियर्स की याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए दो माह में प्रमोशन का लाभ दिए जाने का आदेश दिया था.

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सरकार की उदासीनता से कर्मचारी निराश

उधर सरकार द्वारा ठोस कदम न उठाए जाने से प्रदेश के कर्मचारी निराश हैं. सपाक्स के अध्यक्ष केएस तोमर कहते हैं कि 'जब कई प्रकरणों में हाईकोर्ट ही पदोन्नति के आदेश दे चुकी है, तो सरकार आखिर क्यों इस पर चुप बैठी है. सरकार को इस दिशा में जल्द से जल्द रास्ता निकालना चाहिए.' मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी के मुताबिक 'सरकार की उदासीनता के चलते एक लाख 20 हजार कर्मचारी बिना प्रमोशन ही रिटायर्ड हो गए. सरकार उच्च पद दे रही है, लेकिन सम्मान प्रमोशन से मिलता है. सरकार यह सम्मान भी अपने कर्मचारियों को देना नहीं चाहती.' मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे कहते हैं कि 'सरकार ने प्रमोशन का रास्ता निकाला नहीं और अब पदोन्नति को लेकर नया नियम बना दिया. सरकार एक तरह से कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है.'

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