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दो डिस्कॉम को पांच कंपनियों में बांटने की तैयारी, संगठन बोले- 'किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं'

Uppcl Purvanchal Dakshinanchal : पावर काॅरपोरेशन की ओर से काफी मंथन करने के बाद तैयार किया गया प्रस्ताव.

उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन
उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन (Photo credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2024, 5:52 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन की ओर से पूर्वांचल डिस्कॉम को तीन कंपनियों और दक्षिणांचल को दो कंपनियों में बांटने की तैयारी है. हर कंपनी में तकरीबन 25 से 30 लाख उपभोक्ताओं की संख्या रहेगी. बताया जा रहा है कि कुल मिलाकर इन दोनों निगमों से पांच कंपनियां तैयार की जाएंगी और लाखों की संख्या में उपभोक्ता इन कंपनियों के अंतर्गत आएंगे. पावर काॅरपोरेशन की ओर से काफी मंथन करने के बाद यह प्रस्ताव तैयार किया गया है, हालांकि इस निर्णय का विद्युत कर्मचारी संगठन कड़ा विरोध कर रहे हैं.

संगठनों का कहना है कि किसी भी हाल में निजीकरण नहीं होने देंगे. पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन का कहना है कि संगठन निजीकरण की बात कहकर जनता में भ्रम फैला रहे हैं. यह निजीकरण नहीं, बल्कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी, लेकिन पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन के इस तर्क का यूनियन के नेता बिल्कुल भी समर्थन नहीं करते हैं. फिलहाल अब जल्द पावर कॉरपोरेशन और यूनियन के बीच निगमों में पीपीपी मॉडल लागू करने को लेकर बहस छिड़नी तय है. पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि दो डिस्कॉम में पांच कंपनियां होने से कई निजी निवेशक आगे आएंगे और एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल तैयार होगा.

पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन की ओर से कहा जा रहा है कि नई कंपनियों की सीमा, इनके मंडलों और जिलों में व्यवस्था होगी कि प्रशासनिक नियंत्रण में सुविधा हो. हर कंपनी में बड़े नगर भी शामिल हों और ग्रामीण क्षेत्र का भी सामंजस्य रहे. काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को निवास, अपने परिवार के दायित्व के निर्वहन में कोई असुविधा नहीं होगी. यह भी कहा जा रहा है कि निजी क्षेत्र के साथ पार्टनरशिप की जाएगी न कि ऊर्जा विभाग का प्राइवेटाइजेशन किया जाएगा. इस नई व्यवस्था में संबंधित कंपनियों का अध्यक्ष शासन का ही कोई वरिष्ठ अवसर होगा, जिससे सभी का हित सुरक्षित रहे. अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा. वर्तमान में जिस तरह की सेवा शर्तें उनके लिए लागू हैं, वहीं सेवा शर्तें इन कंपनियों के लिए भी लागू होंगी, हालांकि पावर काॅरपोरेशन के इस तर्क पर बिजली की यूनियनें बिल्कुल भी राजी नहीं हैं. उनका कहना है कि इससे वर्तमान में कंपनियों में तैनात नियमित और संविदा कर्मचारी पैदल हो जाएंगे. उन्हें पूछने वाला कोई नहीं होगा. नियमित कर्मियों को कंपनियां नियमित नहीं रखेंगी और संविदा कर्मियों की जगह कंपनियों के अपने कर्मचारी लेंगे तो जो बेरोजगार होंगे उनका क्या होगा. इस बारे में प्रबंधन का कोई ध्यान नहीं है. निजीकरण किसी भी स्थिति में स्वीकार न करने का ऊर्जा संगठनों ने मन बनाया है.



क्या कहते हैं यूनियन नेता :निजीकरण के मुद्दे पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि निजीकरण को लेकर पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन झूठ फैला रहा है. प्रबंधन निजी कंपनियों के प्रवक्ता की तरह काम कर रहा है. पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियां उन्हें सौंपने की तैयारी है. भारत सरकार ने सितंबर 2020 में वितरण कंपनियों के निजीकरण का ड्राफ्ट मीटिंग डॉक्यूमेंट जारी किया था, जिसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया तो निजीकरण कैसे कर दिया जाएगा. यह किसी कीमत पर स्वीकार नहीं है. पावर काॅरपोरेशन के फैसले से 68000 कर्मचारियों पर छटनी की तलवार लटक रही है, इसलिए बिजली कर्मियों को प्राइवेटाइजेशन स्वीकार नहीं होगा.

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