कोरबा: छत्तीसगढ़ में बिजली की डिमांड ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. बीते कुछ सालों तक प्रदेश में बिजली की डिमांड 3000 से 4000 मेगावॉट के बीच रहती थी. जो इस समय 5000 से 6000 मेगावॉट के बीच पहुंच चुकी है. मांग में इसी तरह बढ़ोतरी होती रही, तो साल 2029-30 में छत्तीसगढ़ को 8805 मेगावॉट बिजली की जरूरत होगी. यह अनुमान केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण ने 20वीं इलेक्ट्रिक पावर सर्वे के आधार पर लगाया है.
छत्तीसगढ़ में साल दर साल इस तरह बढ़ेगी बिजली डिमांड | |
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वित्तीय वर्ष | मांग (मेगावॉट में) |
2023-24 | 5824 |
2024-25 | 6232 |
2025-26 | 6668 |
2026-27 | 7165 |
2027-28 | 7634 |
2028-29 | 8168 |
2029-30 | 8740 |
(20वीं इलेक्ट्रिक पावर सर्वे की रिपोर्ट)
साढ़े 7 फीसदी की दर से बढ़ रही छत्तीसगढ़ में बिजली की डिमांड: सर्वे के आधार पर इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ने बताया है कि छत्तीसगढ़ की बिजली जरूरतें हर साल लगभग साढ़े 7 फीसदी की दर से बढ़ रही है. फिलहाल केंद्रीय पूल से बिजली उधार लेकर प्रदेश की बिजली जरूरतों को पूरा किया जा रहा है. जानकारों का मानना है कि जल्द प्रदेश में नए पावर प्लांट खोलकर बिजली उत्पादन में इजाफा नहीं किया गया तो निजी क्षेत्र से बिजली खरीदने की जरूरत पड़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा.
प्रति व्यक्ति बिजली खपत करने के मामले में छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर पर: प्रतिव्यक्ति बिजली की खपत के मामले में देशभर में छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर पर है. जबकि पहले स्थान पर गुजरात है. प्रति व्यक्ति बिजली की खपत सबसे ज्यादा गुजरात में हो रही है. सीईए (Central Electricity Authority) सेंट्रल ग्रिड के माध्यम से हर राज्य में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत की गणना करती है. पिछले बार जब यह सर्वे हुआ था, तब नए आंकड़ों के अनुसार प्रति व्यक्ति बिजली खपत के मामले में गुजरात पहले नंबर पर और छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर रहा. जानकार इसका कारण औद्योगिकरण और किसानों के साथ ही बिजली उपयोगकर्ता के सामान्य उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि को माना गया.
बिजली की डिमांड ज्यादा लेकिन उत्पादन कम: छत्तीसगढ़ में बिजली उत्पादन का लगभग 80 फीसदी हिस्सा कोयला आधारित पावर प्लांट से ही होता है. एक दो को छोड़कर राज्य सरकार के लगभग सभी पावर प्लांट प्रदेश की ऊर्जाधानी कोरबा में ही स्थपित हैं. इन पावर प्लांट्स की कुल उत्पादन क्षमता 2445 मेगावॉट है. यह कुल खपत का लगभग 40 फीसदी है. लेकिन छत्तीसगढ़ में बिजली की खपत ज्यादा है जिससे बिजली की मांग को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ बिजली वितरण कंपनी को दूसरी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है. हालांकि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 7858 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. लेकिन इनमें छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी के अलावा एनटीपीसी और दूसरी बिजली कंपनियों के संयंत्र शामिल हैं.
440 मेगावॉट की यूनिट बंद, 2029 तक एक और यूनिट होगी उत्पादन से बाहर :एक तरफ प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ रही है, तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी की पुरानी इकाइयां बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं. साल 2018 में उत्पादन कंपनी के तय मानक से ज्यादा प्रदूषण फैलाने पर एनजीटी के निर्देश पर 50- 50 मेगावॉट की चार इकाइयों को बंद कर दिया था. इन यूनिट्स की स्थापना 1966-68 में पूर्व सोवियत संघ के सहयोग से कोरबा में हुई थी. इसी तरह 31 दिसंबर 2020 को कोरबा ईस्ट में स्थित राज्य बिजली उत्पादन कंपनी की 120-120 मेगावॉट की दो यूनिट बंद हो गई थी. जिससे छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी को 440 मेगावॉट बिजली का नुकसान हुआ था. अब साल 2029 में उत्पादन कंपनी की 210 मेगावॉट की एक दूसरी यूनिट भी बंद होने वाली है. जो हसदेव ताप विद्युत गृह(HTPS) कोरबा वेस्ट का हिस्सा है.