शिमला:हिमाचल प्रदेश में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता की दहलीज तक पहुंचाने में ओपीएस ने अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी. उस दौरान कांग्रेस ने सत्ता में आने के लिए लोगों को 10 गारंटियों का भरोसा दिया था. जिसमें प्रदेश में कर्मचारियों की वोट की ताकत को देखते हुए ओपीएस का वादा पहले नंबर पर था.
हिमाचल में कर्मचारी मतदाताओं का किसी भी पार्टी को सत्ता के केंद्र में पहुंचाने और बाहर करने में महत्वपूर्ण योगदान रहता है. ऐसे में कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने के लिए विधानसभा चुनाव में ओपीएस को बड़ा हथियार बनाया था. जिसका लाभ ये हुआ कि हिमाचल में रिवाज बदलने का नारा देने वाली भाजपा की जयराम सरकार 25 सीटें जीतकर सत्ता से बाहर हो गई और कर्मचारियों को कांग्रेस के राज में अपना भविष्य सुरक्षित नजर आया. जिसके दम पर कांग्रेस 40 सीट जीतकर प्रदेश की सत्ता पर पहुंचने में सफल हुई.
ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नेतृत्व में कांग्रेस की नई सरकार बनी. जिसके बाद सीएम सुक्खू ने पहली ही कैबिनेट की बैठक में ओपीएस को बहाल कर कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य की उम्मीदों को पंख लगा दिए, लेकिन सत्ता संभालने के साथ वित्तीय संकट से जूझ रही सुक्खू सरकार ने सबसे अधिक कर्मचारियों की संख्या वाले हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को अभी तक ओपीएस की सुविधा का लाभ नहीं दिया है. जिससे ओपीएस की आस लगाए हजारों कर्मचारी निराश और हताश हैं.
ओपीएस का लाभ लिए बिना 120 कर्मचारी रिटायर
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में अभी तक भी ओपीएस लागू नहीं हुई है. जिस कारण सुक्खू सरकार के राज में करीब 120 कर्मचारी बिना ओपीएस की सुविधा का लाभ लिए रिटायर हो गए हैं. ऐसे में बिजली बोर्ड में रिटायरमेंट के नजदीक बैठे कर्मचारियों को भी भविष्य की चिंता सताने लगी है. राज्य बिजली बोर्ड में करीब 6500 कर्मचारियों को अपने सुखद और सुरक्षित भविष्य के लिए ओपीएस लागू होने का इंतजार हैं. कर्मचारी भी विभिन्न मंचों के जरिए सुक्खू सरकार से ओपीएस को लागू करने की मांग उठा चुकी है.