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मंडी में 'क्वीन VS किंग' के बीच चुनावी रण में कांटे की टक्कर, जनता किस पर लुटाएगी प्यार...किसके सिर सजेगा ताज - Mandi Lok Sabha seat - MANDI LOK SABHA SEAT

Mandi Lok Sabha seat: हिमाचल प्रदेश की मंडी संसददीय सीट (Mandi Lok Sabha Election 2024) इस समय सबसे हॉट सीट बनी हुई हैं. अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव का ट्रेंड बताता है कि मंडी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार की पार्टी केंद्र में सरकार बनाती है. 1951-52 के आम चुनाव से लेकर 2019 लोकसभा चुनाव तक ये सिलसिला जारी है. मंडी सीट पर अब तक 19 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें कुल 13 बार राजपरिवारों ने जीत हासिल की है.

Mandi Lok Sabha
डिजाइन फोटो (ईटीवी भारत(ग्राफिक्स))

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 19, 2024, 2:14 PM IST

Updated : May 19, 2024, 4:08 PM IST

Lok Sabha election 2024: हिमाचल प्रदेश की मंडी संसददीय सीट (Mandi Lok Sabha Election 2024) इस समय सबसे हॉट सीट बनी हुई हैं. इस सीट पर मुकाबला 'किंग बनाम क्वीन' में है. इस सीट से बीजेपी ने 'बॉलीवुड क्वीन' कंगना रनौत (Kangana Ranaut Candidate for Lok Sabha) को मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस ने एक बार फिर वीरभद्र परिवार पर भरोसा करते हुए विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) को अपना उम्मीदवार बनाया है.

अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव का ट्रेंड बताता है कि मंडी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार की पार्टी केंद्र में सरकार बनाती है. 1951-52 के आम चुनाव से लेकर 2019 लोकसभा चुनाव तक ये सिलसिला जारी है. इस सीट पर दो बार उपचुनाव हुआ है और दोनों बार कांग्रेस की प्रतिभा सिंह ने ही जीत हासिल की है. 2013 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने जब चुनाव जीता तब भी केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी. हालांकि 2021 में ये सिलसिला टूट गया जब इस उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने फिर से जीत का परचम लहराया लेकिन केंद्र में बीजेपी सरकार थी.

मंडी सीट पर इस समय क्या समीकरण हैं इसे लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार उज्जवल सिंह से बात की. उन्होंने कहा 'यहां मुकाबला अभी 50-50 है. मंडी जिले में कांगना को बढ़त मिल सकती है. वहीं, किन्नौर, लाहौल स्पीति, रामपुर बुशहर सहित शिमला एवं अन्य जनजातीय क्षेत्रों में कांग्रेस मजबूत दिख रही है. इसका सबसे बड़ा कारण पूर्व मुख्यमंत्री और विक्रमादित्य सिंह के पिता वीरभद्र सिंह की राजनीतिक विरासत है. आज भी वीरभद्र सिंह का वोट बैंक हॉली लॉज के साथ ही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2021 का मंडी उपचुनाव है. इस उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की थी, जबकि देश-प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी.'

वरिष्ठ पत्रकार उज्जवल शर्मा कहते हैं 'बीजेपी ने कांग्रेस से पहले अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था. ऐसे में बीजेपी ने प्रचार प्रसार कांग्रेस के पहले ही शुरू कर दिया था. वहीं, कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित करने काफी देर कर दी थी. दूसरा बीजेपी के पास मोदी, अमित शाह, स्मृति ईरानी, योगी आदित्यानाथ जैसे स्टार प्रचारक हैं. जैसे ही इनके दौरे प्रदेश में शुरू होंगे ये नेता अपनी जनसभा में न्यूट्रल वोट को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे.वहीं, कांग्रेस के पास उतने बड़े स्टार प्रचारक नहीं है, जो बड़ी संख्या में भीड़ जुटा पाएं. ऐसे में बीजेपी कैंपेनिंग में कांग्रेस से आगे दिख रही है. दूसरा कंगना के नाम की घोषणा के बाद बीजेपी कार्यकर्ता ही पार्टी से नाराज हो गए थे. कंगना की उम्मीदवारी का पार्टी के ही कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था. कार्यकर्ताओं की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ सकती है'

मंडी संसदीय सीट पर मौजूदा स्थिति: इस समय मंडी सीट पर 17 विधानसभा क्षेत्र हैं. इन 17 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के पास चार, बीजेपी के पास 12 सीटें. लाहौल स्पीति की सीट पर उपचुनाव होगा. 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत की थी, जो अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. मंडी जिले की 10 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के पास नौ सीटें हैं. कांग्रेस के पास धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की सीट है, लेकिन ये विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में पड़ता है. मंडी जिला बीजेपी का गढ़ रहा है यहां से पूर्व सीएम जयराम ठाकुर मोर्चा संभाले हुए हैं. ऐसे में मंडी में बीजेपी की स्थिति मजबूत दिखती है.

कुल्लू जिले में विधानसभा की चार सीटें हैं. यहां बीजेपी-कांग्रेस को 2-2 सीटें मिली थीं. कंगना खुद को मनाली का भी बताती हैं. प्रचार के दौरान मनाली में फिल्म सिटी बनाने की बात भी कह चुकी हैं. ऐसे कंगना को यहां कुछ फायदा हो सकता है. शिमला की रामपुर सीट पर कांग्रेस का कब्जा है, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को मात्र 567 वोटों से जीत मिली थी. किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. चंबा जिले का भरमौर विधानसभा क्षेत्र भी मंडी संसदीय क्षेत्र में आता है. ये सीट भी बीजेपी विधायक डॉ. जनकराज के पास है.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक ओपी वर्मा के कहते हैं 'मंडी सीट पर कंगना और विक्रमादित्य के बीच मुकाबला कड़ा होने वाला है. ये टक्कर राज परिवार और स्टारडम के बीच है. कंगना रनौत का चुनाव प्रचार और मंच से दिए गए भाषणों से ये प्रतीत होता है कि वो मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही हैं. उनके हर चुनाव में पीएम मोदी और उनके कामों का जिक्र होता है. प्रचार के दौरान कंगना स्थानीय परिधानों में नजर आ रही हैं. इसके जरिए वो लोगों से जुड़ने का प्रयास कर रही हैं और खुद को उन्हीं के बीच का आम इंसान बताने की कोशिश कर रही हैं इस तरह कंगना स्टारडम की छवि को तोड़ने की कोशिश कर रही है. कांगना के साथ मोदी जैसे मजबूत नेता का नाम है. पीएम मोदी इस समय राजनीति में बड़ा ब्रांड है. इसका फायदा उन्हेंजरूर मिलेगा.'

विक्रमादित्य को पिता वीरभद्र का सहारा: ओपी वर्मा के मुताबिक 'जहां कंगना मोदी नाम पर चुनाव लड़ रही हैं तो वहीं, विक्रमादित्य सिंह छह बार के मुख्यमंत्री रह चुके अपने पिता वीरभद्र सिंह के नाम पर मैदान में कूदे हैं. कंगना के सामने कोई और प्रत्याशी होता तो शायद मुकाबला बीजेपी के पक्ष में होता, लेकिन कांग्रेस ने विक्रमादित्य को उताकर मुकाबला कड़ा बना दिया है. विक्रमादित्य सिंह प्रदेश में युवा चेहरा हैं साथ ही राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं. इसके साथ वो वीरभद्र सिंह परिवार से आते है. इसके साथ ही विक्रमादित्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में भी गए थे. विक्रमादित्य सिंह इंडी एलायंस में ऐसे एकमात्र ऐसा कांग्रेस नेता होंगे, जिनके भाषणों में जयश्रीराम का नारा होता है. खुद को श्री कृष्ण वंशज बताते हैं. विक्रमादित्य के इस कदम ने बीजेपी से मंडी सीट पर हिंदूत्व का एजेंडा छीन लिया.

कंगना के नामांकन में जिस तरह से भीड़ जुटी थी उसके बाद बीजेपी की सीना 56 इंच का हो गया है. ओपी वर्मा के मुताबिक 'ये भीड़ वोट में बदल पाएगी या नहीं ये अभी कहा नहीं जा सकता. सेलिब्रिटी के पास भीड़ होना कोई बड़ी बात नहीं. लोग कंगना को सेलिब्रिटी के तौर पर स्वीकार तो करते हैं, लेकिन क्या वो उन्हें अपना नेता स्वीकार करेंगे? इसका पता नतीजों के दिन लगेगा, इसके अलावा विक्रमादित्य अब हिमाचल की राजनीति में स्थापित हो चुके हैं. दो बार विधायक और वर्तमान में मंत्री रह चुके हैं, लेकिन उनके लिए समस्या ये है कि मंडी जिले में कांग्रेस संगठनात्मक तौर पर कमजोर हुई है. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस सीट पर दोनों ही प्रत्याशियों की अपनी-अपनी चुनौतियां और मजबूत पक्ष हैं.'

मंडी सीट का इतिहास: मंडी सीट पर अब तक 19 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें कुल 13 बार राजपरिवारों ने जीत हासिल की है. इसमें राजकुमारी अमृतकौर, राजा जोगेंद्र सेन, ललित सेन वीरभद्र सिंह, महेश्वर सिंह, प्रतिभा सिंह सभी इस सीट से जीत हासिल कर चुके हैं. मंडी सीट का ताल्लुक भले राज परिवारों से रहा हो लेकिन 6 बार ऐसे मौके भी आए हैं जब राज परिवार को कोई सदस्य यहां से जीत नहीं पाया. पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम, रामस्वरूप शर्मा यहां से राजपरिवारों के सदस्यों को हराकर संसद पहुंच चुके हैं.

Last Updated : May 19, 2024, 4:08 PM IST

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