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आज पानी पीना है वर्जित, जानिए क्यों - Ekadashi 2024 - EKADASHI 2024

Ekadashi 2024 24 एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ फल देने वाली एकादशी, निर्जला एकादशी मानी जाती है. इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन भगवान विष्णु के लिए समर्पित माना गया है. Nirjala Ekadashi Date

NIRJALA EKADASHI DATE
निर्जला एकादशी 2024 (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 16, 2024, 2:14 PM IST

Updated : Jun 17, 2024, 6:47 AM IST

रायपुर : निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन भगवान विष्णु के लिए समर्पित माना गया है. ऐसी मान्यता है कि 24 एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ फल देने वाली एकादशी मानी जाती है. निर्जला एकादशी में पानी पीना वर्जित माना गया है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला के मुताबिक, निर्जला एकादशी का व्रत 17 जून सोमवार को मनाया जाएगा.

जनिए आखिर क्यों कहा जाता है भीमसेनी एकादशी (ETV Bharat)

आखिर क्यों कहा जाता है भीमसेनी एकादशी ? : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि "ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी है, उसे निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी के नाम से जानते हैं. यह एकादशी 17 जून दिन सोमवार को मनाई जा रही है. निर्जला का आशय यह है कि जिस उपवास में बिना जल और भोजन के किया जाता है, उसे निर्जला कहा जाता है."

"भगवान कृष्ण से पांडवों ने पूछा कि ऐसा कौन सा व्रत है, जिसको करने से साल भर के एकादशी का व्रत का फल मिलता है. तब भगवान श्री कृष्ण ने निर्जला एकादशी के बारे में पांडवों को बताया. इसके बाद भीम ने इस एकादशी का व्रत रखा था. इसलिए इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है." - पं मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर रायपुर

भगवान विष्णु की पूजा में बरतें सावधानी : निर्जला एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु को तुलसी की मंजरी, पीला चंदन, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतु फल, धूप-दीप, मिश्री आदि अर्पित करनी चाहिए. भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजन करना चाहिए. इस दिन तुलसी के पत्र नहीं तोड़ने चाहिए. शास्त्रों में ऐसा करना वर्जित बताया गया है. वैसे तो इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक निर्जला रहकर व्रत करने का विधान है. पर जो लोग कमजोरी या फिर बीमार रहते हैं, वह जल पीकर या एक बार फलाहार करके भी इस उपवास को कर सकते हैं. रात्रि के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य भजन कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए. जागरण करने वालों को जिस फल की प्राप्ति होती है, वह वर्षों की तपस्या करने से भी नहीं मिलता.

अखंड दीपक और दीपदान करना होता है शुभ : व्रत की सिद्धि के लिए भगवान विष्णु के समक्ष घी का अखंड दीपक जलाएं और दीपदान करना शुभ माना गया है. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन आसमान के नीचे शाम के समय घर मंदिर पीपल की वृक्ष और तुलसी के पौधों के पास दीपक प्रज्वलित करना चाहिए. गंगा आदि पवित्र नदियों में दीपदान करना चाहिए. यह व्रत ज्येष्ठ मास में पढ़ने के कारण इस दिन गर्मी से राहत देने वाली शीतल वस्तुओं का दान करना चाहिए. इस दिन गोदान, वस्त्रदान, जूता, फल आदि का दान करना शुभ माना गया है. जातक को जरूरतमंद व्यक्ति या किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा हुआ घड़ा दान करने से परम गति की प्राप्ति होती है. जल से भरा हुआ घड़ा आप मंदिर में भी दान कर सकते हैं.

भीमसेनी एकादशी में इन मंत्रों का करें पाठ : एकादशी के दिन गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. माना जाता है कि इन मंत्रों के जाप से मनुष्य पाप मुक्त और कर्ज मुक्त होकर भगवान विष्णु की कृपा पाता है.

नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.

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Last Updated : Jun 17, 2024, 6:47 AM IST

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