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पहाड़ों की रानी में उत्तराखंड बर्ड फेस्टिवल शुरू, पक्षी प्रेमियों का लगा जमावड़ा - UTTARAKHAND BIRD FESTIVAL

मसूरी में आठवां उत्तराखंड बर्ड फेस्टिवल शुरू हो गया है. बर्ड फेस्टिवल में लगभग 250 पक्षी प्रेमी और पक्षी विशेषज्ञ प्रतिभाग कर रहे हैं.

UTTARAKHAND BIRD FESTIVAL
पहाड़ों की रानी में उत्तराखंड बर्ड फेस्टिवल शुरू (photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 18, 2024, 10:05 PM IST

Updated : Oct 18, 2024, 10:27 PM IST

मसूरी:विनोग हिल वन्य जीव विहार में तीन दिवसीय आठवां उत्तराखंड बर्ड फेस्टिवल का आयोजन मसूरी वन विभाग के तत्वाधान में किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ वन मंत्री सुबोध उनियाल और धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने किया. बर्ड फेस्टिवल में देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 250 पक्षी प्रेमी और पक्षी विशेषज्ञ शामिल हुए हैं.

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पहली बार पहाड़ी क्षेत्र में बर्ड फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है. पूरे देश में लगभग 1300 प्रजाति के पक्षी हैं, जिनमें से 729 उत्तराखंड में पाये जाते हैं, जो पूरे देश में कहीं नहीं पाये जाते. वर्तमान में पूरे विश्व में बर्ड वाचर की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि अमेरिका में हर पांचवा व्यक्ति और इंग्लैंड में हर तीसरा व्यक्ति बर्ड वाचर है. इससे पूरे विश्व में करोड़ों रुपए की आय हो रही है. साथ ही नौजवानों को रोजगार मिल रहा है.

पहाड़ों की रानी में पक्षी प्रेमियों का लगा जमावड़ा (video-ETV Bharat)

सुबोध उनियाल ने कहा कि बर्ड का योगदान मानव विकास में बहुत है. एक फिंच पक्षी है, जो पूरे विश्व में केवल सौ के आसपास है, लेकिन वो भी लुप्त हो रहा हैं. ऐसे में इनका संवर्धन किया जाना चाहिए. साथ ही नये बर्ड वाचर डेस्टिनेशन बनाए जाने चाहिए, ताकि बर्ड लवर आएं और स्थानीय युवकों को रोजगार मिले. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 15 से अधिक डेस्टिनेशन चिन्हित किए गए हैं. वहीं, मसूरी में संपत्तियों का सीमांकन लगभग पूरा किया जा चुका है. हालांकि कुछ बाकी हैं. एनओसी में वन विभाग जांच कराएगा, अगर मानकों का उल्लंघन होगा, तो कार्रवाई भी की जाएगी.

तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में देश से बर्ड फेस्टिवल को पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मसूरी वन प्रभाग कार्यालय परिसर में जिंको बाइलोबा के पौधे को रोपा. इस वृक्ष की आयु सैकड़ों वर्ष होती है और यह पर्यावरण को संरक्षित करता है. कार्यक्रम में केन्द्रीय विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए.

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Last Updated : Oct 18, 2024, 10:27 PM IST

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