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महाराष्ट्र के बाद अब राजस्थान में भी गाय को मिलेगा राज्यमाता का दर्जा ! मंत्री ने दिए ये संकेत - status of Rajyamata to Cow

महाराष्ट्र में सरकार ने देशी गाय को राज्यमाता-गौमाता का दर्जा दिया है. इसके बाद राजस्थान में भी इस फैसले के लागू होने की संभावना जताई जा रही है.

गाय को राज्यमाता का दर्जा
गाय को राज्यमाता का दर्जा (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 1, 2024, 8:53 PM IST

जयपुर : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिंदे सरकार ने देशी गाय को राज्यमाता-गौमाता का दर्जा दिया है. इस फैसले को हिंदुत्व कार्ड के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के बाद अब राजस्थान में भी गाय को राज्य माता का दर्जा देने की चर्चा शुरू हो गई है.

प्रदेश के देवस्थान और पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने गौमाता को राज्य माता बनाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से वार्ता करने की बात कही है. महाराष्ट्र में गौ माता को राज्यमाता बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि गाय हमारी माता है. गाय से हमें दूध, दही, घी, छाछ मिलती है. गोमूत्र से निकला गोअर्क भी दवाई के रूप में काम आता है. उसे गंगाजल के समान पवित्र माना है. डायबिटीज, बीपी, चर्म रोग जैसी बहुत सारी बीमारियां भी इससे ठीक होती हैं. इसी तरह गाय का गोबर किसानों के काम में आता है. इससे जैविक खाद बनती है, बायोगैस बनती है, बहुत सारे प्रोडक्ट बनते हैं. अब तो गोबर से पेपर भी बनता है और लाख की चूड़ियों में भी गोबर का इस्तेमाल किया जाता है.

गाय को राज्यमाता का दर्जा (ETV Bharat Jaipur)

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धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व : जोराराम कुमावत ने कहा कि यही नहीं गाय के मरने के बाद गाय की चमड़ी भी उपयोगी है. गाय की हड्डियां भी उपयोगी हैं. इसलिए गाय को माता का दर्जा दिया है और शास्त्रों में भी कहा है कि गाय में 33 कोटी देवी-देवता बसते हैं. गाय की पूजा करने से सारे देवी-देवता प्रसन्न होते हैं. इसलिए गाय महत्वपूर्ण भी है. गाय को राज्यमाता का दर्जा महाराष्ट्र सरकार ने दिया है तो राजस्थान से भी गाय को यही दर्जा मिलेगा. इसके लिए मुख्यमंत्री से बातचीत कर प्रयास किया जाएगा. इसमें कितना समय लगेगा इस सवाल पर कुमावत ने कहा कि प्रयास के लिए कोई समय सीमा नहीं होती. हालांकि, जोराराम कुमावत विभिन्न मंचों से गौमाता को राष्ट्रमाता बनाए जाने की भी अपील कर चुके हैं. इसके पीछे उन्होंने वैज्ञानिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का हवाला भी दिया है.

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