देहरादून: फेक रजिस्ट्री और लैंड फ्रॉड केस को लेकर शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देहरादून (उत्तराखंड), सहारनपुर (यूपी), बिजनौर (यूपी), लुधियाना (पंजाब), दिल्ली और बोंगईगांव (असम) के 17 जगहों पर छापेमारी की थी. इस दौरान देहरादून में भी दो आरोपियों कमल विरामनी और इमरान के घर ईडी की टीम पहुंची थी. देहरादून पुलिस से मिली जानकारी से अनुसार, ईडी ने दो बिल्डरों को हिरासत में लेकर पूछताछ की है. उनसे ईडी कार्यालय में पूछताछ चल रही है और ईडी की यह कार्रवाई कुछ दिन और जारी रह सकती है.
क्या है पूरा मामला: जुलाई 2022 में पुलिस ने देहरादून जिला प्रशासन की जांच पर रजिस्ट्री के फर्जीवाड़ा से जुड़े एक के बाद 13 मुकदमे दर्ज किए थे. इनमें देहरादून में नामी वकीलों के नाम भी सामने आए थे. इस मामले में पुलिस ने वकील कमल विरमानी को गिरफ्तार भी किया था, जो करीब एक साल से जेल में बंद है. जनवरी 2024 में पुलिस ने इस मामले में ईडी को भी जांच के लिए लिखा था.
सबसे पहले वकील इमरान की हुई थी गिरफ्तारी: इस मामले में पुलिस ने सबसे पहले वकील इमरान को गिरफ्तार किया था. इमरान ने पूछताछ में बताया कि इस मामले का सूत्रधार सहारनपुर का रहने वाला केपी सिंह है. केपी सिंह की सहारनपुर जिला जेल में तबीयत खराब होने से मौत हो गई थी. पूरे मामले में पुलिस ने करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया था.
इनमें राजस्व के नामी अधिवक्ता कमल विरमानी का नाम भी शामिल है. जबकि दो आरोपी असम, दो पंजाब, हरियाणा का रोहिताश, सहारनपुर का छोटा पंडित, मक्खन सिंह शामिल हैं. अब इस मामले में ईडी ने कार्रवाई शुरू कर दी है. जिसके बाद शुक्रवार को ईडी ने यहां आरोपी अधिवक्ताओं के घर पर छापा मारा. इसके अलावा इस मामले से जुड़े अन्य लोगों के ठिकानों पर भी छापे मारे गए हैं. ईडी ने यहां से बहुत से दस्तावेज बरामद किए हैं. इन सभी के ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा है. सहारनपुर में केपी सिंह के मकान पर भी ईडी पहुंची थी.
ईडी ने ये बताया:उत्तराखंड पुलिस द्वारा आईपीसी 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत एडवोकेट कमल विरमानी और अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की. कमल विरमानी व अन्य पर राजस्व अभिलेखागार में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के आरोप हैं.
ईडी ने जारी प्रेस रिलीज में बताया कि, जांच में ये पता चला है कि आरोपियों ने आपराधिक साजिश के तहत प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी की. इसके साथ ही और रजिस्ट्रार कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों की मदद से रेवेन्यू आर्काइव्स में ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट्स के साथ फर्जी डॉक्यूमेंट्स लगाए.
इसमें सबसे अधिक मामलों में प्रॉपर्टी को पहले साथी आरोपी के मृतक रिश्तेदारों के नाम पर ट्रांसफर दिखाया जाता था, फिर आरोपी मृतक उस प्रॉपर्टी पर कानूनी उत्तराधिकारी होने के दावा करता था. जिसके नाम फर्जी दस्तावेजों के जरिए संपत्ति ट्रांसफर की जाती थी. ईडी ने बताया कि, उनके सर्च ऑपरेशन के दौरान संपत्तियों (अचल और चल) से संबंधित कई आपत्तिजनक दस्तावेज मिले जिनको जब्त कर लिया गया है.
ईडी को इस सर्च में क्या-क्या मिला-
- 24.50 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई.
- बैंक खाते में पड़े 11.50 लाख रुपये फ्रीज कर दिए गए.
- एक परिसर से 58.80 लाख रुपये मूल्य के हीरे, सोने और चांदी के आभूषण भी जब्त किए गए.
- मोबाइल, पेनड्राइव और बैंकों से संबंधित अन्य दस्तावेज जैसे डिजिटल उपकरणों को भी जब्त कर लिया गया है.
ईडी ने दो बिल्डरों को हिरासत में लिया:जानकारी के अनुसार, एजेंसी ने दो बिल्डरों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. हालांकि, इन बिल्डरों के नाम पुलिस जांच में सामने नहीं आए था. लेकिन, माना जा रहा है कि इन बिल्डरों का इस केस से गहरा संबंध है. लिहाजा ईडी अब इनसे पूछताछ में जुटी हुई है.