भरतपुर: सर्दी का मौसम तेज होते ही शीतलहर और प्रदूषण का दुष्प्रभाव स्वास्थ्य पर दिखने लगा है. सर्द हवा के साथ प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने सांस संबंधी बीमारियों को और गंभीर बना दिया है. भरतपुर के आरबीएम अस्पताल में हार्डन 400 से अधिक मरीज एलर्जी, अस्थमा, सीओपीडी और सांस संबंधी समस्याओं के पहुंच रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति खासकर बुजुर्गों, बच्चों और पहले से बीमार व्यक्तियों के लिए चिंताजनक है.
प्रदूषण और ठंड का घातक मिश्रण: ठंड के साथ-साथ प्रदूषण का स्तर बढ़ने से हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है. फिलहाल भरतपुर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लेवल 157 है. हालांकि यह एक्यूआई कुछ सप्ताह पूर्व 400 से ऊपर निकल गया था. अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन डॉ दीपक सिंह ने बताया कि वायु में मौजूद धूल, धुआं और हानिकारक कण श्वसन तंत्र को प्रभावित कर रहे हैं. ठंड में हवा धीमी हो जाती है, जिससे प्रदूषित कण वातावरण में बने रहते हैं. इससे एलर्जी, अस्थमा और सीओपीडी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. डॉ दीपक सिंह ने बताया कि सर्दियों में इन बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी होती है. उन्होंने बताया कि सांस की बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को ठंड के मौसम में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है.
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हर दिन 400 से अधिक मरीज: सीनियर फिजिशियन डॉ विवेक भारद्वाज ने बताया कि सर्दी तेज होने व प्रदूषण की वजह से बड़ी संख्या में एलर्जी, अस्थमा और सीओपीडी के मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं. अस्पताल में हर ओपीडी के कुल मरीजों में से करीब 70% मरीज (करीब 400 से अधिक) मरीज यही हैं. ठंड और प्रदूषण का सबसे अधिक असर बुजुर्गों और बच्चों पर पड़ता है. बच्चों को विशेष रूप से गर्म कपड़े पहनाएं. बुजुर्गों को घर से बाहर जाने से बचाना चाहिए, खासकर सुबह और शाम के समय. इनके खानपान पर ध्यान दें ताकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे.
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सर्दी और प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव से बचने के लिए सतर्कता बेहद जरूरी है. डॉक्टरों के मुताबिक, नियमित दवाइयों का सेवन, प्रदूषण और ठंड से बचाव और समय पर चिकित्सा सलाह इन बीमारियों के जोखिम को कम कर सकती है.
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