लखनऊ: एनआईसी ने हाल ही में सारथी पोर्टल को मेंटेनेंस के लिए दो दिन तक बंद किया था. मकसद था कि आए दिन ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन में आ रही सर्वर की समस्या को दुरुस्त किया जा सके. इसके साथ ही सॉफ्टवेयर को भी अपडेट कर नए वर्जन में ढाला जा सके.
ड्राइविंग लाइसेंस के लिए वर्जन वन को वर्जन टू में बदला गया था, लेकिन अब बड़ी समस्या यह खड़ी हो गई है कि प्रदेश भर में सैकड़ों की संख्या में ड्राइविंग लाइसेंस मिसमैच हो रहे हैं. वर्जन वन से वर्जन टू में डीएल का डाटा ही मैच नहीं कर रहा है. ऐसे में सैकड़ों ड्राइविंग लाइसेंस फिलहाल जारी ही नहीं हो पा रहे हैं. परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.
केएमएस में नहीं मैच कर रहा डाटा:परिवहन विभाग लगातार अपनी ऑनलाइन सेवाओं को समय-समय पर अपडेट करता है. एनआईसी के सर्वर पर परिवहन विभाग का ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ा सारा डाटा मौजूद रहता है. आरटीओ कार्यालय से परीक्षा पास करने के बाद जब परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर प्रिंटिंग के लिए ड्राइविंग लाइसेंस आता है तो "की मैनेजमेंट सिस्टम" यानी केएमएस पर पूरा डाटा सॉफ्टवेयर पर फीड होता है.
लाखों की संख्या में अब तक स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस बन चुके हैं लेकिन पिछले कुछ माह में सवा लाख ड्राइविंग लाइसेंस की पेंडेंसी हो गई थी. यानी आवेदकों के लाइसेंस समय पर घर नहीं पहुंच रहे थे. कारण था, एनआईसी ने केएमस के वर्जन वन को वर्जन टू में तब्दील करने के लिए सारथी पोर्टल का मेंटेनेंस किया था.
सवा लाख डीएल में से 60 हजार लाइसेंस तो वर्जन टू में कन्वर्ट हो गए. यानी उनका डाटा नए वर्जन में मैच हो गया लेकिन 500 से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस अभी भी ऐसे हैं जिनका डाटा अपडेटेड वर्जन में मिसमैच हो रहा है. वर्जन टू में सारा डाटा सीधे एनआईसी के सर्वर पर ही फीड हो रहा है.
पांच स्मार्ट कार्ड भेजे जाएंगे एनआईसी:परिवहन विभाग के आईटी सेल से जुड़े अधिकारियों ने इस समस्या से एनआईसी को अवगत कराया है जिसके बाद एनआईसी ने फिजिकली कम से कम पांच ऐसे स्मार्ट कार्ड भेजने को कहा है जिससे उनका डाटा क्यों मैच नहीं कर रहा है इसकी पड़ताल की जा सके. ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जा सके.