भरतपुर.परंपरागत खेती की लकीर से हटकर किसान नत्थीलाल शर्मा ने 'ड्रैगन' पर भरोसा किया और पहली ही पैदावार ने उनके चेहरे पर खुशी ला दी. डीग जिले के सामई गांव के किसान नत्थी लाल शर्मा ने 6 बीघा खेत में दो साल पहले ड्रैगन फ्रूट के 2800 पौधे लगाए. इस बार किसान को ड्रैगन फ्रूट की पहली पैदावार मिलने लगी है. किसान के पास दिल्ली तक से ड्रैगन फ्रूट की डिमांड आ रही है. स्थिति यह है कि कई स्थानीय व्यापारियों ने तो दिवाली के त्योहार के लिए ड्रैगन फ्रूट की एडवांस ऑर्डर भी बुक कर दिए हैं. ऐसे में किसान को अब ड्रैगन पर पूरा भरोसा हो गया है कि वो जल्द ही उसकी झोली भरेगा.
ऐसे की शुरुआत : सामई गांव के किसान नत्थीलाल शर्मा ने बताया कि वन विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद खेती पर पूरा समय देना शुरू किया. लेकिन परंपरागत खेती में कोई संतोषजनक आय नहीं हुई. ऐसे में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की ठानी. आज से दो साल पहले गुजरात और हरियाणा से पिंक टू व्हाइट और पिंक टू पिंक प्रजाति के ड्रैगन फ्रूट के 2800 पौधे मंगाए. ये पौधे 6 बीघा खेत में लगाए. किसान नत्थीलाल ने बताया कि पौधों के साथ ही उनके सपोर्ट के लिए प्रत्येक पौधे के लिए सीमेंटेड फ्रेम भी लगवाए. ऐसे में प्रति पौधा करीब 1500 रुपए की लागत आई. यानी 6 बीघा खेत में ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाने पर करीब 40 लाख रुपए की लागत आई.
'ड्रैगन' भरेगा किसान की झोली (वीडियो ईटीवी भारत भरतपुर) पढ़ें: कपास में अलवर बना अव्वल, अच्छी गुणवत्ता के चलते यूरोपीय देशों में बढ़ी मांग
ड्रैगन यूं भरेगा झोली : किसान नत्थीलाल ने बताया कि अब पौधे दो साल के हो गए हैं. इस बार पहली पैदावार मिलना शुरू हो गया है. फलों को दिल्ली ले जाकर बेचा जा रहा है. वहीं कुछ दिल्ली के व्यापारियों की भी डिमांड आ रही है. स्थानीय व्यापारियों ने तो दिवाली के लिए एडवांस ऑर्डर बुक करा दिए हैं. किसान नत्थीलाल ने बताया कि एक ड्रैगन फ्रूट की साइज 800 ग्राम या उससे भी ज्यादा तक हो जाती है. हमारे खेत के फ्रूट की साइज अभी थोड़ी छोटी है. फिर भी प्रति फल 100 से 150 रुपए तक दाम मिल जाते हैं. जब पौधे 4 से 5 साल के हो जाएंगे तो प्रति पौधा पैदावार करीब 25 से 30 किलो तक पहुंच जाएगी. ऐसे में 25 किलो प्रति पौधे के हिसाब से 2800 पौधों पर एक सीजन में 70 टन ( 70 हजार किलो) तक पैदावार होना शुरू हो जाएगी, जिससे किसान को लाखों रुपए की आय होगी.
गुणों से भरपूर है ड्रैगन फ्रूट (फोटो ईटीवी भारत भरतपुर) एक बार खर्चा, 40 साल तक आय : कृषि विभाग (उद्यान) के संयुक्त निदेशक योगेश शर्मा ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट का पौधा हार्ड स्पीशीज है. इसलिए इस पौधे की ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती. इसमें ज्यादा खाद भी नहीं देना पड़ता. इसमें बीमारियां भी कम आती हैं. इसलिए किसान को एक बार की लागत पर यह पौधा करीब 35 से 40 साल तक पैदावार देता रहता है.
पहली पैदावार से खिला किसान का चेहरा (फोटो ईटीवी भारत भरतपुर) पढ़ें: किसानों ने बढ़ाया लहसुन का रकबा, इस बार भी होगा अच्छा फायदा, यह है कारण - Garlic Prices
ऐसे करें ड्रैगन फ्रूट की खेती : भरतपुर कृषि विभाग (उद्यान) के उपनिदेशक जनकराज मीणा ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट का पौधा कृषि विभाग से जयपुर के पास बस्सी से, गुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा से 60 रुपए से 100 रुपए तक की कीमत में उपलब्ध हो जाते हैं. इनको 3 बाई 3 मीटर की दूरी के हिसाब से लगाया जाता है. एक हेक्टेयर में 1100 पौधे लगाए जा सकते हैं. एक हेक्टेयर में इसकी लागत करीब 15 लाख रुपए तक आती है. ड्रैगन फ्रूट के पौधों से दूसरी या तीसरे साल में पैदावार मिलना शुरू हो जाती है. इसमें फ्रूटिंग जून से नवंबर तक रहती है.
6 बीघा में लगाए 2800 पौधे (फोटो ईटीवी भारत भरतपुर) गुणों से भरपूर है ड्रैगन फ्रूट : उपनिदेशक जनकराज मीणा व डीग उपनिदेशक (उद्यान) गणेश मीणा ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इसके सेवन से व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ लाभ हो सकता है. ड्रैगन फ्रूट एक इम्युनिटी बूस्टर की तरह है. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. इसमें एंटी कैंसर और एंटी एजिंग जैसे तत्व पाए जाते हैं. यानी कैंसर जैसी बीमारी से बचाने में भी यह मददगार साबित हो सकता है.
किसान नत्थीलाल शर्मा (फोटो ईटीवी भारत भरतपुर) उपनिदेशक गणेश मीणा ने बताया कि भरतपुर-डीग जिले में पहली बार किसी किसान ने ड्रैगन फ्रूट की खेती की है. यह सफल साबित हो रही है. विभाग की ओर से किसान को ड्रिप इरीगेशन सिस्टम, सोलर सिस्टम पर अनुदान दिया गया है. समय समय पर किसान को तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है. यदि किसान परम्परागत खेती से हटकर प्रगतिशील खेती से मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो ऐसे किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती वरदान साबित हो सकती है.