ग्रामीण लोगों को अपनी चपेट में ले रहा स्किन कैंसर. श्रीनगरः उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है. राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादातर ग्रामीणों का रोजगार खेती-बाड़ी और मवेशी पालन है. इसलिए महिलाएं और पुरुषों का ज्यादातर समय खेतों और जंगलों में गुजरता है. लेकिन अब यही काम ग्रामीणों के लिए एक गंभीर रोग बनता जा रहा है. घंटों-घंटों तेज धूप में रहने से ग्रामीणों पर स्किन कैंसर जैसी बीमारी बढ़ती जा रही है.
खास बात ये है कि सर्दी के दौरान भी पहाड़ों में तेज धूप खिलने के कारण कई ग्रामीण स्किन कैंसर के शिकार हो रहे हैं. जानकारी का अभाव भी इसकी बड़ी वजह बन रहा है. पौड़ी जिले के श्रीनगर संयुक्त अस्पताल में एक 85 वर्षीय महिला पर स्किन कैंसर डिटेक्ट हुआ है. हालांकि, संयुक्त अस्पताल की डॉक्टरों की टीम ने स्किन के जिस पार्ट में कैंसर था, उसे मशीन से रिमूव कर दिया है. बुजुर्ग अब ठीक है. दवाओं के जरिए इलाज किया जा रहा है.
संयुक्त अस्पताल के वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर साधना रतूड़ी ने ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते हुए बताया कि पहाड़ों में स्किन कैंसर साधारण सा रोग है. लेकिन इसका इलाज संभव है. उन्होंने बताया कि पहाड़ी इलाकों में धूप खिलकर आती है. इसलिए धूप में कार्य करने के कारण स्किन कैंसर यहां रहने वाले लोगों में आम है. अधिकांश तौर पर ये रोग 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलता है. मुंह को धूप से ना बचाने के कारण उन्हें इस तरह से स्किन का कैंसर होता है. उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा सन क्रीम लगाने से स्किन कैंसर से बचा जा सकता है. उन्होंने बताया कि संयुक्त अस्पताल में स्किन कैंसर का इलाज संभव है.
स्किन कैंसर के लक्षण: चर्म रोग विशेषज्ञ साधना रतूड़ी ने बताया कि स्किन कैंसर के दौरान छोटे-छोटे दाने धीरे धीरे बड़े हो सकते हैं. उस पर दर्द या खुजली का अनुभव नहीं भी होता है. मस्सा भी इसके एक लक्षणों में एक हो सकता है,जिस पर खून या पस निकल सकता है. पपड़ी का निकलना भी इसका एक लक्षण हो सकता है. ऐसी परिस्थितियों में नजदीकी अस्पताल में चर्म रोग विशेषज्ञ को जरूर दिखाए. जिसका खर्चा मामूली आता है.
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