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Rajasthan: जैसलमेर में कम हुआ बही खातों का चलन, अब शगुन के रूप में लेते हैं काम

बही खाता सिस्टम चलन से बाहर हो गया है. इसका स्थान कम्प्यूटरों ने ​ले लिया है. अब शगुन के रूप में ही बही खरीदते हैं.

Practice of Bahi Khata is decreased
बही खातों का चलन अब शगुन के रूप में (Photo ETV Bharat Jaisalmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 5 hours ago

जैसलमेर: जीएसटी के इस दौर में टैक्स सिस्टम ऑनलाइन है और हिसाब किताब के लिए नए-नए सॉफ्टवेयर आ गए हैं, ऐसे में बही खाता काम में लेने का चलन कम हो गया, हालांकि बदलाव के इस दौर में भी व्यापारियों ने बही खाते को अपनी दुकान से दूर नहीं किया है. दीपावली पर शगुन के रूप में आज भी बही खाते की पूजा की जाती है.

डिजिटल के साथ मैन्युअल बही खाते भी:कपड़ा व्यापारी राजेंद्र खत्री ने बताया कि इस समय हिसाब-किताब रखने के लिए टैली सॉफ्टवेयर, बही खाता सॉफ्टवेयर आदि आ गए हैं, जिस पर डिजिटल खाते बनाए जाते हैं. जीएसटी आने के बाद केल्क्युलेटर सॉफ्टवेयर में हिसाब रखते हैं, लेकिन डिजिटल के साथ मैन्युअल हिसाब भी मुनीम रखते हैं.

कम हुआ बही खातों का चलन (वीडियो ईटीवी भारत जैसलमेर)

पढ़ें: डिजिटल युग में बही खातों की बिक्री हुई कम, अब सिर्फ शगुन के लिए खरीदते हैं

दीपावली में बदलता है बही:उन्होंने बताया कि दीपावली पूजा के समय बही-खाते की भी पूजा की जाती है. दीपावली का दिन बही खातों के लिए भी शुभ मुहूर्त होता है. इस दिन बही खाता बदलने के खास दिन है. बही खातों के पूजन से पहले शुभ मुहूर्त के तहत केसर युक्त चंदन या फिर लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है. उसके बाद व्यापारी व दुकानदार दीपावली के दिन नई बही से शुरूआत करते हैं. मान्यता है कि धनतेरस से पहले ही बही-खाता में लिखे सभी ग्राहकों का लेनदेन खत्म हो जाना चाहिए. जिससे एक साल का लेखा जोखा की जानकारी हो जाती है. साथ ही व्यापारे के उधार की वसूली हो जाती है.

नई पीढ़ी ने कर रही ई डायरी का उपयोग:दुकानों के हिसाब लिखने का प्रचलन कम्प्यूटर के कारण प्रभावित जरूर हुआ है, लेकिन पूरी तरह बंद नहीं हुआ है. तकनीकी युग में जहां नई पीढ़ी हिसाब रखने के लिए कम्प्यूटर व ई-डायरी का इस्तेमाल कर रही है. वहीं बुजुर्ग कारोबारी और छोटे दर्जे के कारोबारियों में आज भी पारंपरिक बही-खातों का इस्तेमाल हो रहा है.

यह भी पढ़ें: बहियों का बदला रूप, शहर में अब सिर्फ पूजन में ही उपयोग के लिए खरीद

बही-खातों की बिक्री हुई कम:स्टेशनरी व्यापारी रतन पुरोहित ने बताया कि एक दशक पहले दीपावली पर उद्योगपति, व्यवसायी और दुकानदार बही खाते में लेखा-जोखा रखते थे, लेकिन अब डिजिटल युग में बही-खाते का चलन कम हो गया है. पहले दीपावली पर बहियां खूब बिकती थी, अब इनकी बिक्री नाम मात्र की रह गई है. वर्तमान में दीपावली की पूजन के दिन सिर्फ एक बही खाता ही शगुन के रूप में पूजा के लिए लेते हैं. एक समय था जब नवरात्रों के दिनों से ही बहियों की बिक्री शुरू हो जाती थी, लेकिन अब इस व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ा है. बहियों का स्थान कम्प्यूटर ने ले लिया है. वर्तमान में सारा हिसाब-किताब कंप्यूटर से हो रहा है. बही खाता व्यवसाय पर पहले की तुलना में 80 प्रतिशत प्रभाव पड़ा है.

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