करनाल:दीपावली पर्व 5 दिनों का होता है. इन पांच दिनों में एक दिन गोवर्धन पूजा भी की जाती है. इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में खास तरीके से गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है. कुछ क्षेत्रों में इसको अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. इस पूजा में लोग अन्नकूट का भोग लगाते हैं. इस दिन गोवर्धन महाराज की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन लोग पशुधन के साथ-साथ खेती-बाड़ी में भी खुशहाली की कामना गोवर्धन भगवान से करते हैं.
हालांकि इस बार गोवर्धन पूजा को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है. जैसे दिवाली की तिथि को लेकर लोग असमंजस में हैं. ठीक वैसे ही लोग गोवर्धन पूजा को लेकर भी लोग असमंजस में हैं. आइए आपको हम बताते है कि आखिर गोवर्धन पूजा कब है और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब है.
कब है गोवर्धन पूजा: पंडित विश्वनाथ मिश्र ने बताया कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर को शाम के 6:16 से हो रही है जबकि इसका समापन 2 नवंबर को रात के 8:21 मिनट पर हो रहा है. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत-त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है, इसलिए इस बार गोवर्धन पूजा 2 नवंबर के दिन की जाएगी. पूजा करने का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर की शाम के समय 6:30 से शुरू होकर 8:45 तक रहेगा. इस समय पूजा करना शुभ होगा.
गोवर्धन पूजा की विधि:गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाई जाती है. गोवर्धन महाराज की आकृति के पास ही ब्रजवासी और पशुओं की आकृति भी बनाई जाती है. इसके बाद सबसे पहले देसी घी का दीपक गोवर्धन महाराज के सामने जलाया जाता है. ये दिन भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, इसलिए भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है. उनके आगे छप्पन भोग लगाए जाते हैं. उनसे सुख समृद्धि पशुधन में वृद्धि की कामना की जाती है.