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कब है गोवर्धन पूजा 2024? जानें इसका पौराणिक महत्व, भगवान श्री कृष्ण ने तोड़ा था इंद्रदेव का अभिमान

गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है. आइए जानते हैं कब है गोवर्धन पूजा.

Govardhan puja 2024
गोवर्धन पूजा 2024 (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : 19 hours ago

करनाल:दीपावली पर्व 5 दिनों का होता है. इन पांच दिनों में एक दिन गोवर्धन पूजा भी की जाती है. इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में खास तरीके से गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है. कुछ क्षेत्रों में इसको अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. इस पूजा में लोग अन्नकूट का भोग लगाते हैं. इस दिन गोवर्धन महाराज की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन लोग पशुधन के साथ-साथ खेती-बाड़ी में भी खुशहाली की कामना गोवर्धन भगवान से करते हैं.

हालांकि इस बार गोवर्धन पूजा को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है. जैसे दिवाली की तिथि को लेकर लोग असमंजस में हैं. ठीक वैसे ही लोग गोवर्धन पूजा को लेकर भी लोग असमंजस में हैं. आइए आपको हम बताते है कि आखिर गोवर्धन पूजा कब है और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब है.

इस दिन मनाया जाएगा गोवर्धन पूजा (ETV Bharat)

कब है गोवर्धन पूजा: पंडित विश्वनाथ मिश्र ने बताया कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर को शाम के 6:16 से हो रही है जबकि इसका समापन 2 नवंबर को रात के 8:21 मिनट पर हो रहा है. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत-त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है, इसलिए इस बार गोवर्धन पूजा 2 नवंबर के दिन की जाएगी. पूजा करने का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर की शाम के समय 6:30 से शुरू होकर 8:45 तक रहेगा. इस समय पूजा करना शुभ होगा.

गोवर्धन पूजा की विधि:गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाई जाती है. गोवर्धन महाराज की आकृति के पास ही ब्रजवासी और पशुओं की आकृति भी बनाई जाती है. इसके बाद सबसे पहले देसी घी का दीपक गोवर्धन महाराज के सामने जलाया जाता है. ये दिन भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, इसलिए भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है. उनके आगे छप्पन भोग लगाए जाते हैं. उनसे सुख समृद्धि पशुधन में वृद्धि की कामना की जाती है.

परिवार के सभी सदस्य शुभ मुहूर्त के समय इकट्ठे होकर एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं. इसके साथ ही परिवार में जितने भी हथियार होते हैं, उनकी भी पूजा इस दिन की जाती है. पूजा में खेल-खिलौने और अलग-अलग तरह के फूलों को भी शामिल किया जाता है, जो कि गोवर्धन महाराज को अर्पित की जाती है. इसके बाद सात बार परिक्रमा की जाती है. फिर बड़ों का आशीर्वाद लेकर सभी को प्रसाद बांटा जाता है.

गोवर्धन पूजा का पौराणिक महत्व: पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक महीने की प्रतिपदा तिथि के दिन ही ब्रजवासी इंद्रदेव की पूजा किया करते थे. हालांकि भगवान कृष्ण ने लोगों को इंद्रदेव की पूजा करने के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा. इसके बाद ब्रजवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने चले गए. इससे नाराज होकर इंद्रदेव ने भयंकर वर्षा शुरू कर दी. इसके बाद पूरे ब्रज में हाहाकार मच गया.

श्री कृष्ण ने तोड़ा था इंद्रदेव का घमंड: जब पूरा ब्रज पानी- पानी हो गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी गांव वालों की रक्षा की थी और इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था. उस समय गांव में सब कुछ अस्त-व्यस्त होने की वजह से अन्नकूट तैयार किया गया था और गोवर्धन महाराज की पूजा की गई थी. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. लोग अपने परिवार और पशु धन में सुख-समृद्धि और बढ़ोतरी के लिए गोवर्धन महाराज की पूजा-अर्चना करते हैं.

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