नई दिल्ली:दिल्ली के इंडिया गेट पर 'दिव्य कला मेले' का आयोजन किया गया था. जिसका उद्देश्य दिव्यांगों की कला, हुनर और उपलब्धियों को समाज के सामने लाना था. इस मेले में राम निवास नामक एक प्रेरणादायक व्यक्ति ने अपनी भागीदारी दर्ज की है. वह लकड़ी के सजावटी सामान, डिज़ाइनर डायरी और कपड़ों के लेडीज पर्स जैसे उत्पादों को बेचकर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. राम निवास को इस मेले में शामिल होने का मौका दूसरी बार मिला है और वह इसे अपने लिए एक विशेष अवसर मानते हैं.
संघर्ष से प्रेरणा की ओर
राम निवास का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है. वह एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं और दो साल की उम्र में पोलियो की गिरफ्त में आ गये थे. उनके शरीर ने उन्हें बाधित किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उनके परिवार का समर्थन और उनकी खुद की मेहनत ने उन्हें दिव्यांग संस्था का निदेशक बना दिया, जहां वे अन्य दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
राम निवास का कहना है, "बचपन में हर समय तानों और नकारात्मकता का सामना करना पड़ा. यह अनुभव मुझे तोड़ने वाला था. लेकिन मेरे जीजा ने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और कंप्यूटर की ट्रेनिंग दिलवाई." इसी प्रेरणा ने उन्हें नए अवसरों की ओर अग्रसर किया और वे लकड़ी के सामान बनाने की कला में पारंगत हो गए.