चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस इस बार मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है, लेकिन जिस तरह से पार्टी के दिग्गज नेता (हुड्डा और सैलजा) अलग-अलग चलते दिखाई दे रहे हैं. उससे पार्टी को विरोधियों से ज्यादा अपनों से खतरा हो सकता है. कांग्रेस में नेताओं की गुटबाजी का अंदाजा इस से भी लगाया जा सकता है कि एक तरफ हुड्डा जहां अन्य दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल कर रहे हैं. वहीं जेजेपी से कांग्रेस में शामिल होने वाले नेता कुमारी सैलजा को समर्थन देते नजर आ रहे हैं. वहीं कुमारी सैलजा भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं. मतलब ये कि वो सीएम की दौड़ में हुड्डा को चुनौती देने की कोशिश में जुटी हैं.
कांग्रेस की गुटबाजी से दूर हुए कई नेता: हरियाणा में कांग्रेस की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है. इस गुटबाजी की वजह से दस साल तक पार्टी प्रदेश में संगठन खड़ा नहीं कर पाई. इस लड़ाई में पार्टी के कई दिग्गज नेता बीते दस साल में पार्टी से दूर हो गए. जिनमें कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी, अशोक तंवर, राव इंद्रजीत सिंह और चौधरी बीरेंद्र सिंह जैसे नेता शामिल रहे. हालांकि चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनके बेटे इस बार लोकसभा चुनाव से पहले वापस पार्टी में लौट आए.
कांग्रेस में गुटबाजी जारी: वर्तमान में भी कांग्रेस पार्टी धड़ों में बंटी नजर आ रही है. एक तरफ पार्टी का हरियाणा मांगे हिसाब कार्यक्रम नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे और सांसद दीपेंद्र हुड्डा की अगुवाई में चल रहा है. तो वहीं कुमारी सैलजा अभी भी अपना झंडा अलग से बुलंद करके कांग्रेस संदेश यात्रा कर रही हैं. उनके साथ रणदीप सुरजेवाला खड़े हैं. कभी-कभी चौधरी बीरेंद्र सिंह भी उनके खेमे में दिखाई देते हैं.
नेताओं के अपने-अपने गुट: हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एक तरफ अन्य दलों के कई नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल होकर उनमें आस्था जता रहे हैं. वहीं जेजेपी छोड़ने वाले विधायक ईश्वर सिंह ने कुमारी सैलजा में आस्था जताते हुए कांग्रेस का दामन थामा है. वहीं जेजेपी को छोड़ने वाले विधायक देवेंद्र बबली तो लोकसभा चुनाव में सैलजा के पक्ष में प्रचार कर चुके हैं. ऐसे में वो भी जल्द कुमारी सैलजा में आस्था व्यक्त करते हुए पार्टी में शामिल हो जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. इस हालत में गुटबाजी की ये लड़ाई टिकट बंटवारे में भी दिखाई दे, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.
पार्टी नेताओं का गुटबाजी से किनारा: कुछ दिन पहले कुमारी सैलजा और पार्टी अध्यक्ष उदय भान की दिल्ली में पार्टी की एक बैठक में बहस होने की भी खबरें चर्चा में आई थी. हालांकि मीडिया में इसकी चर्चा के बाद कुमारी सैलजा ने इस तरह की बातों का खंडन किया. वहीं इन बातों पर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने भी इन बातों को बेतुका बताया. लेकिन ये बात सभी जानते हैं कि अगर आग लगी होती है तो ही धुआं उठता है. वहीं कुछ वक्त पहले पार्टी अध्यक्ष अलग अलग यात्राओं की गुटबाजी के सवाल पर कह चुके हैं कि अलग अलग यात्राएं कर सकते हैं, यह पार्टी विरोधी नहीं है, कांग्रेस का ही प्रचार है.
विधानसभा चुनाव लड़ेंगी कुमारी सैलजा? कांग्रेस में लड़ाई का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कुमारी सैलजा पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं. लोकसभा चुनाव से पहले सैलजा विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुकी थी. अब लोकसभा सांसद बनने के बाद फिर से उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा होने लगी है. राजनीतिक गलियारों में उनकी इस इच्छा को सीएम पद की दौड़ से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
क्या कहती हैं सैलजा? कुमारी सैलजा उनके उनके सीएम चेहरे, विधानसभा चुनाव लड़ने और पार्टी की गुटबाजी पर कहा कि सीएम वाली बातें तो चलती हैं और चुनाव के वक्त ये ज्यादा चलती हैं. कोई बात नहीं है आज के दिन ये मुद्दा नहीं है. मुद्दा ये है कि हम हरियाणा में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएं. विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरी इच्छा एक तरफ हाईकमान का आदेश एक तरफ. जो उनकी इच्छा होगी वो हम मानेंगे.