गिरिडीह: डुमरी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है. भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सह बेरमो विधानसभा सीट के प्रभारी प्रदीप साहू ने कहा है कि डुमरी भाजपा की सीट है. यहां लोकसभा में आजसू प्रत्याशी को भाजपा का ही मत मिलता है. विधानसभा उपचुनाव में एनडीए ने यहां से आजसू प्रत्याशी को मैदान में उतारा था उन्हें भी जो भारी मत मिला वह भाजपा का है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि इस सीट पर भाजपा अपना उम्मीदवार उतारती है तो जीत कोई नहीं रोक सकता. बाकी केंद्रीय व राज्य नेतृत्व को निर्णय लेना है. निर्णय के तहत ही भाजपा के नेता कार्यकर्ता काम करेंगे. प्रदीप ने उक्त बातें ईटीवी भारत से बात करते हुए कही.
गठबंधन के चक्कर में कार्यकर्ता का गिरता है मनोबल
प्रदीप साहू का कहना है कि यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ है. यहां का समीकरण, वोटर, कार्यकर्ता पार्टी के पास है लेकिन गठबंधन के चक्कर में वोटर भटक जाते हैं. वहीं कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिरता है. यदि लगातार यहां से पार्टी उम्मीदवार दे तो चुनाव जीता जा सकता है.
वैसे हम बता दें कि डुमरी विधानसभा सीट कुर्मी का गढ़ माना जाता है और ज्यादातर इस सीट पर कुर्मी ही विधायक बने हैं. ऐसे में दूसरे वर्ग की जगह कहां है. इस सवाल पर प्रदीप का कहना है कि क्षेत्र में थोड़ी अधिक संख्या कुर्मी जाति कि है लेकिन यहां वैश्य-आदिवासी भी बहुत ही संख्या में हैं. झामुमो, आजसू समेत अन्य दल कुर्मी को टिकट देती है. यदि वैश्य वर्ग का उम्मीदवार रहेगा तो संभवतः सभी वर्ग का समर्थन ऐसे प्रत्याशी को मिलेगा. प्रदीप ने बताया कि वे 14 वर्ष से क्षेत्र में सक्रिय हैं और लोगों के मिजाज को भी समझते हैं. लोग यहां बदलाव चाह रहे हैं और बेहतर जनप्रतिनिधि भी.
डुमरी में भाजपा-आजसू
वैसे हम डुमरी विधानसभा के इतिहास की बात करें तो इस सीट पर 1972 में भारतीय जनसंघ ने कैलाशपति सिंह को उम्मीदवार बनाया. कैलाशपति को 5064 मत मिला. 1980 में बीजेपी ने गुनेश्वर प्रसाद को उम्मीदवार बनाया. गुनेश्वर को 4344 (9.59%) मत मिला और वे चौथा स्थान (लास्ट से एक पहले) रहे. 1985 में भाजपा ने उम्मीदवार नहीं दिया.
1990 में भाजपा के प्रत्याशी प्रशांत कुमार जायसवाल बने. इस चुनाव में प्रशांत को 9860 (11. 87%) मत मिला और वे चौथा स्थान पर रहे. 1995 में भाजपा ने कैलाश पंडित को प्रत्याशी बनाया. कैलाश को 8946 (8.43%) मत मिला और ये भी चौथे स्थान पर रहे. 2000 में इस सीट से भाजपा ने प्रत्याशी नहीं दिया. इस चुनाव में जदयू ने लालचंद महतो को उम्मीदवार बनाया और वे जीते भी.
राज्य गठन के बाद 2014 में मिला प्रत्याशी