नई दिल्ली:स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में दवाओं की कमी को लेकर मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएंगे. दरअसल आप विधायक राजेंद्र पाल गौतम ने अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में दवाओं की कमी और "कुछ संबंधित अधिकारियों" द्वारा मोहल्ला क्लीनिकों में मुफ्त नैदानिक परीक्षणों को रोकने का मुद्दा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से उठाया था.
विधानसभा में सौरक्ष भारद्वाज ने दो रिपोर्ट पेश कीं, जिनमें मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव की रिपोर्ट भी शामिल है. इसमें कहा गया है कि उन्होंने लिखित रूप में दिया है कि अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में दवाएं उपलब्ध थीं और जो अनुपलब्ध थीं, उन्हें बदल दिया गया. दूसरी रिपोर्ट विधायकों की प्रतिक्रिया, समाचार रिपोर्ट और उनकी अपनी पूछताछ पर आधारित थी.
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व नियोजित साजिश' के तहत बोलियां उपलब्ध होने के बावजूद 2023 की केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) निविदा को अंतिम रूप नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, 'सरकारी अस्पतालों, डिस्पेंसरियों और मोहल्ला क्लीनिकों के लिए दवाएं सीपीए के माध्यम से खरीदी जाती हैं.'
भारद्वाज ने कहा कि जनवरी में दवा की कमी और मोहल्ला क्लीनिक में जांच बंद होने का मामला सामने आया था. उन्होंने विवरण और कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को 12 फरवरी, फिर 4 मार्च और 18 मार्च को पत्र लिखा, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अस्पतालों द्वारा स्थानीय खरीद या अनुबंध दर पर खरीद के माध्यम से दवा खरीद के वैकल्पिक तरीके हैं, लेकिन चिकित्सा अधीक्षकों और चिकित्सा निदेशकों ने 1 मार्च और 11 मार्च को हुई बैठकों में बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी परिपत्रों के कारण यह असंभव हो गया है.